इंदौर न्यूज़ (Indore News) चुनाव 2024 मध्‍यप्रदेश

कांग्रेस के बिना भी मतदान की बाजी में सभी रहे बाजीगर

  • कहीं सक्रियता नजर आई तो कहीं नीरसता… मतदान का एक विश्लेषण
  • भाजपा में आए कांग्रेसी परिदृश्य से रहे नदारद…

इंदौर। संजीव मालवीय इंदौर (Indore) बाजी मार गया… बिना कांग्रेस (without Congress) प्रत्याशी के हुए चुनाव (Election) में संगठन (Organization) और संघ (union) के साथ ही मंत्री कैलाश विजयवर्गीय (Minister Kailash Vijayvargiya) की मेहनत का परिणाम यह रहा कि इंदौर में 61 प्रतिशत मतदान हुआ, जो मात्र सात प्रतिशत कम रहा, जबकि पिछले चुनाव में 40 प्रतिशत मत कांग्रेस प्रत्याशी ने हासिल किए थे।


2019 की लोकसभा में इंदौर में कुल 23 लाख 49 हजार 476 मतदाता थे, जो इस बार बढक़र 25 लाख 26 हजार 803 हो गए हैं। इनमें से 61 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। इंदौर में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जहां पूरा शहर संभाला, वहीं तुलसी सिलावट सांवेर में सक्रिय रहे। राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार ने महू में सर्वाधिक मतदान कराया। इसके बाद सभी विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों से प्रत्याशी के लिए काम किया।
विधानसभा 1
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय यहां से विधायक हैं, लेकिन उनके पास पूरे प्रदेश में प्रचार करने की जवाबदारी थी। उनके पुत्र आकाश विजयवर्गीय ने यहां मोर्चा संभाल रखा था। पिछले दिनों इस विधानसभा से कांग्रेस विधायक रहे संजय शुक्ला, पार्षद शिवम यादव अपने साथियों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। इस विधानसभा में 61 प्रतिशत वोट डले।
विधानसभा 2
6 महीने पहले विधायक रमेश मेंदेाला इस विधानसभा से लाख से अधिक वोटों से जीते थे और 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां 62.84 प्रतिशत मतदान हुआ था, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी की गैर मौजूदगी के बावजूद इस बार यह आंकड़ा 59.36 प्रतिशत पर पहुंच गया। यहां पिछले चुनाव के मुकाबले मात्र 3.48 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। इस क्षेत्र में पिछले दिनों कांग्रेस की पार्षद विनीता मौर्य को भाजपा में लिया गया था।
विधानसभा 3
इंदौर की सबसे छोटी विधानसभा के रूप में 3 नंबर को जाना जाता है। यहां अन्य विधानसभा क्षेत्रों के मुकाबले सबसे कम 8.69 प्रतिशत मतदान घटा। लोकसभा चुनाव में डले वोट प्रतिशत की बात की जाए तो इस बार 58.32 प्रतिशत मतदान इस विधानसभा में हुआ है, जो 2019 की लोकसभा में 67.01 प्रतिशत था।
विधानसभा 4
भाजपा की अयोध्या कही जाने वाली 4 नंबर विधानसभा सीट पर मालिनी गौड़ के सामने चुनाव लड़े राजा मांधवानी भाजपा में आ गए थे। इसी विधानसभा में रहने वाले अक्षय बम ने भी नामांकन के आखिरी दिन अपना फार्म वापस ले लिया था। बावजूद इसके इस विधानसभा में इस बार 5.14 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। इस क्षेत्र में प्रचार के लिए यहां मुख्यमंत्री मोहन यादव आए थे और उनका रोड शो भी हुआ था। हाालंकि इलाके में वोट बढ़ाने के लिए भाजपा में शामिल हुए न तो राजा मांधवानी नजर आए और न ही अक्षय बम।
विधानसभा 5
लगातार चार बार के विधायक महेन्द्र हार्डिया की इस विधानसभा मे मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी-खासी तादाद है। इस बार यहां 57.77 प्रतिशत मतदान हुआ है। पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 65.98 प्रतिशत हुआ था, जो इस बार 8.21 प्रतिशत घट गया है। अब देखना यह है कि यहां से भाजपा को कितने वोट मिलते हंै, क्योंकि इस विधानसभा में मुस्लिम क्षेत्रों में हुआ मतदान अक्सर गड़बड़ी कर देता है।
विधानसभा देपालपुर
पूर्व विधायक विशाल पटेल के भाजपा में आने के बाद इस विधानसभा से माना जा रहा था कि सबसे अधिक वोट यहीं से डलेंगे, लेकिन लोकसभा सीट पर यह विधानसभा दूसरे नंबर पर रही है, लेकिन पिछली बार से यहां 11.28 प्रतिशत मतदान घटा है। यहां से मनोज पटेल विधायक हैं और जिलाध्यक्ष चिंटू वर्मा भी इसी विधानसभा से आते हैं। इनके अलावा और भी कई बड़े भाजपा नेता यहां से रहे हैं। बावजूद वे मतदान का प्रतिशत नहीं बढ़ा पाए।

विधानसभा राऊ
राऊ से विधायक जीतू पटवारी को पटकनी देने वाले मधु वर्मा की विधानसभा इस बार चौथे नंबर पर रही है। आंकड़ों के अनुसार इस विधानसभा से 62.45 प्रतिशत मतदान हुआ है, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में यहां जीतू पटवारी के विधायक रहते 70.11 प्रतिशत मतदान हुआ था।
विधानसभा सांवेर
पूरी लोकसभा में मतदान प्रतिशत के मामले में यह विधानसभा एक नंबर पर रही है, लेकिन गिरते मतदान प्रतिशत में यह विधानसभा दूसरे नंबर पर है। विधायक और मंत्री तुलसी सिलावट की इस विधानसभा में इस बार 67.08 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में यहां 77.87 प्रतिशत मतदान हुआ था। देखा जाए तो इस बार मतदान के आंकड़ों में 10.79 प्रतिशत की कमी आई है।

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