भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

फिल्मी स्टाइल… 700 किमी दूर से लकड़ी छुड़ा लाई दबंग लेडी आईएफएस

भोपाल। बैतूल वन विभाग की टीम ने 700 किमी दूर राजस्थान के भीलवाड़ा जिले से माफिया के चंगुल से लकड़ी छुड़ाकर वापस लाने के मिशन केा अंदाम दिया है। यह पूरी घटना किसी फिल्मी स्टाइल से कम नहीं है, लेकिन इस मिशन को पूरा करने में बैतूल डीएफओ पूजा नागले ने अहम भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व में ही वन विभाग की टीम राजस्थान पुलिस के सहयोग से वापस बेशकीमती लकड़ी लेकर आई है। वन विभाग की टीम राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के हरिपुरा गांव में अलसुबह एक आरा मशीन पर दबिश देती है। आरा मशीन पर काम कर रहे कुछ कर्मचारियों को भनक लगते ही वे भागने की कोशिश करते हैं, लेकिन उन्हें दबोच लिया जाता है। पूछताछ शुरू होती है, इसी बीच मशीन का मालिक सामने आता है और टीम को ऊंची पहुंच की धौंस देने की कोशिश करता है, लेकिन पूरी तैयारी से साथ पहुंची टीम के तेवर देख वहीं बैठ जाता है। इसके बाद पूरे दिन टीम लकड़ी जब्त करने में जुटी रहती है।

वन विभाग की टीम बैतूल जिले के जंगलों से अवैध रूप से काटी गई लकड़ी की तलाश करती हुए 700 किलोमीटर दूर राजस्थान पहुंची और काटी गई लकड़ी को जब्त कर बैतूल ले आई। महिला आईएफएफ अफसर पूजा नागले ने बताया कि करीब एक महीने पहले महूपानी के जंगलों से सागौन के बेशकीमती 22 पेड़ों की अवैध कटाई कर ली गई थी। वन अमला इस मामले की जांच में जुटा था।
दक्षिण वनमंडल के प्रभारी डीएफओ वरुण यादव खुद इस मामले की पड़ताल कर रहे थे। उनकी टीम में ट्रेनी आईएफएस पूजा नागले के अलावा वन अमले के 12 कर्मचारी शामिल थे। शुरुआती पड़ताल में यह बात सामने आई कि 22 पेड़ों की कटाई में कोई भूरा नाम का व्यक्ति शामिल है। खंडवा से पकड़कर उससे पूछताछ में पता चला कि महूपानी का सागौन हरदा की विश्नोई गैंग ने कटवाकर राजस्थान के भीलवाड़ा में भेजा है। वह खुद इस सागौन को भीलवाड़ा की आरा मशीन पर छोड़कर आया था। यह बात सामने आने के बाद डीएफओ वरुण यादव ने आईएफएस अफसर पूजा नागले के नेतृत्व में टीम गठित की। वन विभाग की टीम ने दबिश दी और जांच की तो ये वही लकड़ी निकली, जो बैतूल के जंगलों से चोरी की गई थी।


संगठित तौर पर चल रहा कटाई काम काम: पूजा नागले
आईएफएस पूजा नागले के अनुसार मुझे प्रशिक्षु ज्वाइन किए 2-3 महीने ही हुए थे। तभी जंगल में लकड़ी कटाई का मामला सामने आया। यह सब ऑर्गेनाइज तरीके से हो रहा था। शुरुआती जांच में हमें 2 लोगों पर शक था। मुखबिरों को सक्रिय किया गया। सबसे पहले शक के आधार पर खंडवा से ड्राइवर भूरा को दबोच लिया। उसने जो बताया वह हैरान करने वाला था। बैतूल के जंगलों से काटी गई लकड़ी ट्रक में लोड कर राजस्थान के भीलवाड़ा में सप्लाई की जा चुकी है। हम हैरान थे कि आखिर इतनी दूर कैसे लकड़ी सप्लाई हो सकती है जबकि रास्ते में कई बैरियर और नाके आते हैं। चूंकि मामला राजस्थान से जुड़ा था इसलिए कार्रवाई करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति लेना थी। शुरुआत में वरिष्ठ अधिकारी असमंजस में थे कि एक ट्रेनी आइएफएस पूरे मामले को किस तरह से डील करेगी। जैसे ही अनुमति मिली, बैतूल से रवाना होने से लेकर लौटते तक का प्लान तैयार किया। कार्रवाई 700 किलोमीटर दूर राजस्थान के भीलवाड़ा के हरिपुरा में करनी थी। चैलेंज यह भी था कि जब्ती के बाद लकड़ी लाएंगे कैसे? कोई हमला हुआ तो कैसे निपटेंगे? तमाम चुनौतियों बावजूद मेरी टीम ने लगातार 57 घंटे तक बिना रुके अपने मिशन को पूरा किया।

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