विदेश

तुर्किये में विपक्ष के नेता बने “गांधी”, एर्दोगन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे किलिकदरोग्लु

अंकारा (Ankara)। भूकंप का कहर झेल रहे तुर्की में एक माह बाद राष्ट्रपति पद (presidency) के लिए चुनाव होने हैं। इसके लिए विपक्षी दल राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (President Recep Tayyip Erdogan) के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। सभी विपक्षी दल एर्दोगन (Erdogan) के खिलाफ अपना एक नेता चुनने के लिए सहमत हो गए हैं। इसके लिए विपक्ष के छह दलों ने मिलकर मुख्य सेक्युलर विपक्षी दल रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (CHP) के नेता कमाल किलिकदरोग्लु (Kemal Kilicdaroglu) को अपना प्रत्याशी बनाया है।

कमाल मौजूदा राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। एर्दोगन को भारत विरोधी कहा जाता है। ये वही हैं, जिन्होंने भूकंप के दौरान भारत के ‘ऑपरेशन दोस्त’ की मुहिम और मदद को तुरंत भूलकर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का साथ दे दिया था।



वहीं, कमाल किलिकडारोग्लू ‘तुर्किये के गांधी’ कहे जाते हैं। कमाल तुर्किये में लोगों के हक, सामाजिक न्याय और लोकतंत्र की लड़ाई लड़ते हैं। तुर्किये की मीडिया भी उन्हें कमाल गांधी कहती है। वह महात्मा गांधी की तरह की चश्मा भी पहनते हैं और पोलिटिको की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गांधी की तरह, किलिकडारोग्लू की राजनीतिक शैली भी ‘विनम्र है। खैर, इस बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या तुर्किये के गांधी इस चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति रेसेप एर्दोगन को हरा देंगे? आइए समझते हैं…


कौन हैं कमाल गांधी?
अल जजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, कमाल किलिकडारोग्लू का जन्म 1948 में पूर्वी तुर्किये (तब तुर्की) के शहर टुनसेली में हुआ था। वह एक ऐसे परिवार में जन्में जो अल्पसंख्यक अलेवी विश्वास का पालन करता था। अलेविस 13वीं शताब्दी के फारसी-तुर्की दरवेश हाजी बेक्टश वेली के अनुयायी हैं जिन्होंने इस्लाम के एक गूढ़ और मानवतावादी रूप को सिखाया।

किलिकडारोग्लू ने अंकारा एकेडमी ऑफ इकोनॉमिक्स एंड कमर्शियल साइंसेज (अब गाजी विश्वविद्यालय) में अर्थशास्त्र पढ़ा और सरकार और निजी दोनों क्षेत्रों में तुर्किये के आर्थिक और वित्तीय संस्थानों में शीर्ष पदों पर काबिज हुए। उन्होंने अंकारा में हैकेटपे विश्वविद्यालय में भी पढ़ाया।

2002 में तुर्किये की संसद में इस्तांबुल से किलिकडारोग्लू ने सीएचपी के सदस्य के रूप में प्रवेश किया। उसी चुनाव के बाद जिसने पहली बार एर्दोगन की जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी (एडालेट वी कल्किन्मा पार्टिसि या एकेपी) को सत्ता में लाया।

 

इसके बाद कमाल तुर्किये में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने लगे। 2007 में वह फिर संसद के लिए चुने गए। 2009 में उन्होंने इस्तांबुल के मेयर बनने के लिए चुनाव लड़ा। इसके बाद 2010 में एक वीडियो के लीक होने के बाद कमाल की पार्टी सीएचपी के अध्यक्ष डेनिज बायकल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। तब किलिकडारोग्लू को उनकी पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया।

काफी कड़ी लड़ाई होगी
पोल के आंकड़े बताते हैं कि एर्दोगन और कमाल किलिकडारोग्लू के बीच राष्ट्रपति पद को लेकर काफी कड़ी लड़ाई है। इसके अलावा संसदीय चुनाव में भी जीत के लिए दोनों ही पार्टियों को काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। भूकंप के दौरान एर्दोगन को लेकर लोगों में नाराजगी बढ़ी थी। कई जगहों पर एर्दोगन का विरोध भी हुआ था।

ये चुनाव ऐसे समय हो रहा है जब तुर्कीश रिपब्लिक की स्थापना के 100 साल पूरे हो रहे हैं। इसकी स्थापना मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने की। यह देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है। हालांकि 1990 के दशक से यह सत्ता से बाहर है। अतातुर्क एर्दोगन के विरोधी माने जाते थे।

Share:

Next Post

देश का ऐसा पहला गुरुद्वारा जो बना है लकड़ी से और नाता जुड़ा फिनलैंड से

Mon Mar 13 , 2023
पंजाब (Punjab)। पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंडित गुरुद्वारा श्री हरमंदिर साहिब (Gold plated Gurudwara Sri Harmandir Sahib) देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। अपने अलौकिक रूप की वजह से इसकी अलग पहचान है। अब फाजिल्का (Fazilka) की पुलिस लाइन में नवनिर्मित गुरुद्वारा साहिब भी अपने अनोखे रूप की वजह से चर्चा […]