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Gyanvapi Case: हाईकोर्ट ने ASI के सर्वे पर लगी रोक को बढ़ाया, आज फिर सुनवाई

प्रयागराज (Prayagraj)। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Case) के सर्वे पर लगी रोक (extended stay on survey) बृहस्पतिवार शाम तक बढ़ा दी है। सर्वेक्षण के विरोध में दाखिल याचिका पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद (Anjuman intajaamiya masajid) ने कहा कि देश ने बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) के विध्वंस को झेला है। जल्दबाजी में वैज्ञानिक सर्वे से ज्ञानवापी के मूल ढांचे को नुकसान होगा। हालांकि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) (Archaeological Survey of India – ASI)) ने इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया। एएसआई ने यह भी कहा, सर्वे का पांच फीसदी काम हो चुका है, कोर्ट की इजाजत मिली तो 31 जुलाई तक इसे पूरा कर लेंगे।

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की अदालत में बुधवार सुबह साढ़े नौ बजे मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई शुरू हुई। अंजुमन के वकील एसएफए नकवी ने बहस शुरू होते ही कहा, ज्ञानवापी में बिना तोड़-फोड़ के सर्वेक्षण नामुमकिन है। वहीं, कोर्ट के बुलावे पर हाजिर हुए एएसआई के अधिकारी ने इस दलील को सिरे से खारिज करते हुए कहा, इससे रत्ती भर भी नुकसान नहीं होगा।


एएसआई ने दावा किया, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) की अत्याधुनिक तकनीक से किसी भी तरह के नुकसान की आशंका नहीं है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णुशंकर जैन ने कहा कि हमारा मकसद ज्ञानवापी के मूल ढांचे को नुकसान पहुंचाना नहीं है। हम ढांचे के नीचे छुपी सच्चाई सामने लाना चाहते हैं। सर्वे से ही ज्ञानवापी की सच्चाई का पता चल सकता है। करीब साढ़े चार घंटे तक दावे-प्रतिदावे के बीच कोर्ट ने एएसआई के सर्वे पर लगी सुप्रीम रोक बरकरार रखते हुए सुनवाई बृहस्पतिवार की दोपहर साढ़े तीन बजे नियत कर दी।

सुप्रीम कोर्ट ने बहाल की मुख्य याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ज्ञानवापी मामले में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की मुख्य याचिका को बहाल कर दिया। शीर्ष अदालत ने 24 जुलाई को एएसआई के सर्वे पर रोक लगाते समय अंतरिम की जगह मुख्य याचिका का अनजाने में निस्तारण कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने अंजुमन के वरिष्ठ वकील हुफेजा अहमदी की दलीलों का संज्ञान लिया।

अहमदी ने कहा, कोर्ट ने सुनवाई की पिछली तारीख को एएसआई के काम पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली अंतरिम याचिका के बजाय मुख्य याचिका का निपटारा कर दिया है। यूपी सरकार व एएसआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी विशेष अनुमति याचिका बहाल किए जाने पर आपत्ति नहीं जताई। इस पर पीठ ने आदेश देते हुए कहा, अनजाने में हुई त्रुटि को सुधारा जाएगा।

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