- किसी में लॉकअप नहीं, किसी में नहीं रहती 24 घंटे बिजली, किराए की इमारतों में भी चल रहे थाने
भोपाल। तमाम संसाधनों से लैस हो रही राजधानी पुलिस के आधा दर्जन थाने अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। इन थानों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। इन थानों के लिए अधिकारी प्रस्ताव पर प्रस्ताव बनाते हैं और इनका भविष्य फाइलों में उलझकर रह जाता है। पुलिस चौकी से थाना बने छोला मंदिर थाने को 12 साल बीत गए, लेकिन अब भी यहां न तो लॉकअप है और न ही महिला प्रसाधन। नगर निगम भवन के टपरे में संचालित इस थाने में आज भी आरोपी को बेंच से बांधकर रखा जाता है और उस पर नजर रखने के लिए एक संतरी की तैनाती रहती है, ताकि वह भाग न जाए। इस थाने का नया भवन बनने का मसला वर्षों से टीएंडसीपी में अटका है। थाने के बगल में सरकार से आवंटित दस हजार वर्गफ ीट जमीन का लैंड यूज बदला जाना है। थाने की इसी बदहाली का फ ायदा उठाकर जून 2017 में दो बदमाश हथकड़ी खोलकर फ रार हो गए थे।
दूसरों के मसले सुलझा लेने का दावा करने वाली भोपाल पुलिस का ये अकेला ऐसा थाना है जहां मूलभूत सुविधाओं से भी पुलिसकर्मी वंचित हैं। यहां पानी के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है, होटलों से पानी भरवाकर काम चलाया जाता है। इसी के साथ तेज बारिश के दिनों में इस थाने के अंदर घुटनों-घुटनों तक पानी भर जाता है। नगर निगम के टपरे में संचालित इस थाने में इन दिनों भीषण बारिश के चलते जगाह-जगाह पानी टपक रहा है। भयंकर सीडऩ के कारण पूरे थाने में मच्छर, मक्खी का अंबार हो रहा है। पूरे थाने में सीडऩ की बदबू ऐसी है कि थाने में चंद ल हे बैठना भी किसी सजा स लगता है। छोला मंदिर थाने से वर्ष 2017 में दो बदमाश हथकड़ी निकालकर फरार हो चुके हैं। वहीं यहां का स्टॉफ टपरे में बने इस थाने में अपने काम को बखूबी अंजाम दे रहा है। जबकि इसी हालात से गुजर चुके चूना भट्टी थाने को एक साल पहले नया भवन मिल चुका है। जबकि यह थाना छोला थाने के करीब आठ साल बाद वजूद में आया था। इसके बाद भी इस थाने को नया भवन चंद वर्षों के भीतर मिल गया। करीब बीस हजार स्कॉयरफीट जमीन पर इस नए भवन का निर्माण किया गया। जो सर्वसुविधाओं से लौस है। इसी इसी प्रकार एक साल पहले तक टीला जमालपुरा थाना भी किराए के भवन में बिना लॉकअप के संचालित किया जा रहा था। इस थाने को सात महीने पहले नए भवन में शि ट किया गया और थाने की इस इमारत में पुलिस जवानों के लिए तमाम सुविधाएं मौजूद हैं।
यह भी भेजा जा चुका था प्रस्ताव
पुराने शहर के सही संचालन के लिए निशातपुरा में 10 एकड़ जमीन पुलिस ने शासन से मांगी थी। यदि ये जमीन मिलती तो यहां एक पुलिस लाइन, पुलिस कंट्रोल रूम और गौतम नगर थाना बनाए जाने का प्रस्ताव था। अभी गौतम नगर थाना शासकीय जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय के एक तुकड़े में बहुत ही छोटे से हिस्से में संचालित किया जा रहा है। पुराने शहर में पुलिस लाइन बनाने का प्रस्ताव तत्कालीन डीआईजी रमन सिंह सिकरवार और एसपी अरविंद सक्सेना ने संबंधित विभागों में भेजा था। उस दौर के अफ सरों का तर्क था कि पुराने शहर में बल पहुंचाने में वक्त लग जाता है। नए शहर की तर्ज पर यहां भी पुलिस लाइन रहेगी तो रिजर्व बल समय रहते पहुंच सकेगा और छोटा विवाद बड़ा रूप नहीं ले सकेगा। ये प्रस्ताव कलेक्टर भोपाल से प्रमुख सचिव मप्र शासन नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग और मंत्रालय तक फाइलों में उलझकर रह गया। इस प्रस्ताव के पूर्व निशातपुरा इलाके की अमन कॉलोनी में बड़ा दंगा हुआ था। जिसमें दर्जनों घरों में आगजनी की गई थी, सैकड़ों लोग घायल हो गए थे।
राजधानी को मिल सकता है एक और थाना
शहर को जल्द एक और थाने की सौगात मिल सकती है। आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से कोहेफिजा थाना इलाका काफी बड़ा हो चुका है। लालघांटी और ऐयरपोर्ट रोड में कई कॉलोनियां बन चुकी हैं और बड़ी आबादी यहां रहती है। सूत्रों की माने तो एसपी हैड क्वार्टर विनीत कपूर की ओर से विजय नगर में एक थाना बनाने का प्रस्ताव पिछले दिनों शासन को भेजा गया है। हाल फिलहाल इस इलाके में एक चौकी बनाए जाने के लिए ाी जमीन तलाशी जा रही है।
इन थानों को भी है अपने आसरे का इंतजार
राजधानी के कई थाने और हैं, जिन्हें अपने आसरे का इंतजार है। मिसरोद थाने का हाल तो ये है कि सड़क चौड़ीकरण के दौरान थाना प्रभारी के कमरे के साथ-साथ आधे से ज्यादा हिस्सा तोडऩा पड़ा था। हालांकि बाद में कम जगाह में ही इसे व्यवस्थित तरीके से बनाया गया है। अवधपुरी और कटारा हिल्स थाने किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं। कटरा हिल्स थाना ग्राम बर्राई में बना है, यहां लाइट की समस्या है। गांव में थाना होने के कारण यहां लाइट की सप्लाई ग्रामीण इलाके के अनुसार है। इधर, क्राइम ब्रांच को टपरा थाना कहा जाने लगा है, क्योंकि ये आज भी टीन की चद्दरों से बनी छत के नीचे यह थाना संचालित हो रहा है। हालांकि अधिकारियों का तर्क है कि टपरे वाले हिस्से में महज एचसीएम और चंद पुलिसकर्मी ही बैठते हैं। अधिकारी एडीसीपी क्राइम कार्यालय के प्रथम तल पर बैठते हैं। जबकि क्राइम ब्रांच के थाने का कोई स्थाई भवन फिलहाल नहीं है। भोपाल ग्रामीण का ईटखेड़ी थाना अपनी ही चौकी में चलाया जा रहा है।