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हरियाणा में BJP-JJP में तकरार, दुष्यंत चौटाला की सीट को लेकर गठबंधन में दरार के आसार

नई दिल्‍ली (New Delhi) । हरियाणा (Haryana) में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (assembly elections) को लेकर राजनीति ने एक अलग रुख लेना शुरू कर दिया है। हरियाणा की मौजूदा सत्तारूढ़ भाजपा (BJP) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के बीच हाल ही में एक दूसरे के खिलाफ तीखी टिप्पणी देखने को मिली। जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर दरार पड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। दोनों पक्षों के बीच तकरार का ताजा मुद्दा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उचाना कलां विधानसभा सीट उम्मीदवारों की पसंद को लेकर हो सकता है। इस सीट पर मौजूदा वक्त में जेजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला विधायक हैं।

अक्टूबर 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के पोते दुष्यंत ने तब हिसार संसदीय क्षेत्र और उचाना कलां विधानसभा सीट से जेजेपी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लता को हराकर उचाना कलां सीट अपने नाम की थी। हालांकि, वह बीरेंद्र के बेटे बृजेंद्र सिंह से हिसार सीट पर हार गए। चौटाला और सिंह लंबे समय से आमने-सामने हैं, उचाना कलां उनके बीच की तकरार की एक सियासी कड़ी में से एक है। बीरेंद्र सिंह ने 1977 से पांच बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है। वहीं ओम प्रकाश चौटाला ने 2009 में इस सीट पर जीत दर्ज की थी।

4 जून को उचाना कलां में एक सभा को संबोधित करते हुए भाजपा के हरियाणा प्रभारी और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने 2019 के विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि बीरेंद्र सिंह की तरफ से बहाए गए आंसुओं का बदला लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रेम लता को अगली सीट का प्रतिनिधित्व करना चाहिए। उनका बयान ऐसे मौके पर आता है जब अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। देब ने कहा कि हरियाणा के कई निर्दलीय विधायक भाजपा के लगातार संपर्क में थे।


एक दिन बाद दुष्यंत ने भी उचाना कलां में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि उचाना कलां से मेरी जीत के कारण तीन लोगों (बीरेंद्र, प्रेम लता और देब) के पेट में दर्द हो रहा है, लेकिन मेरे पास उनके लिए कोई इलाज नहीं है। मैं उचाना से चुनाव लड़ूंगा क्योंकि इस निर्वाचन क्षेत्र के लोगों ने मुझे अपार प्यार दिया है। लोगों ने मेरी जीत को सुनिश्चित की है जिसके बदले मैं 48,000 से अधिक मतों के अंतर से यहां जीत सका।”

दोनों के बयान से हरियाणा का सियासी पारा बढ़ गया है। देब ने कहा, “उन्होंने [जेजेपी] ने 2019 में गठबंधन करके हम पर एहसान नहीं किया। बदले में उनके कई विधायकों को मंत्री पद मिला।” देब की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने कहा, “गठबंधन कोई जरूरी नहीं, दुष्यंत उचाना कलां से ही चुनाव लड़ेंगे।” उसी दिन जेजेपी के राष्ट्रीय संयोजक दुष्यंत के पिता अजय चौटाला ने कहा, “उचाना एक सीट थी जिसे दुष्यंत ने 48,000 से अधिक मतों के अंतर से जीता था; भाजपा ऐसी सीट पर कैसे दावा कर सकती हैं। मैं यह नहीं समझ पा रहा।”

बीजेपी और जेजेपी दोनों खेमे की ओर से हाल ही में सामने आ रहे बयानों से संकेत मिलता है कि उनके गठबंधन के भीतर सब ठीक नहीं है। दोनों पार्टियों ने 2019 का विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ा था। 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत से कम होने के कारण भाजपा ने 40 सीटें जीतीं। पार्टी ने तब जेजेपी के साथ सरकार बनाई, जिसने 10 सीटें जीती थीं। मौजूदा वक्त में कांग्रेस के 30 विधायक, सात निर्दलीय विधायक और हरियाणा लोकहित पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल के एक-एक विधायक हैं।

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