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Deepfake पर गूगल-फेसबुक ने दिखाई ढील तो सरकार बैन करेगी ऐप-प्लेटफॉर्म

नई दिल्ली: सरकार ने डीपफेक जैसे मुद्दों से निपटने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों से बातचीत की है. इस मामले में सरकार सख्ती से आगे बढ़ रही है. 24 नवंबर को हुई इस मीटिंग में इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री (MeitY) ने सोशल मीडिया कंपनियों को चेतावनी दी है. मिनिस्ट्री ने कहा कि देश के कानूनों के नियमित उल्लंघन के लिए भारत में प्लेटफार्म्स पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, खासकर डीपफेक और दूसरे प्रतिबंधित कंटेंट के संबंध में ये कार्रवाई की जा सकती है. इस मीटिंग में रिलायंस गूगल, फेसबुक-मेटा, एपल जैसी कंपनियों की मौजूदगी रही.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और ऐप्स पर बैन लगाना कल हुई मीटिंग के कुछ खास बिंदुओं में से एक है. मनीकंट्रोल की रिपोर्ट में मिनिस्ट्री के एक सीनियर ऑफिसर के हवाले से बताया गया कि नियमों का बार-बार उल्लंघन करने वाले प्लेटफॉर्म्स के लिए बैन करने जैसे कदम का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो ये वाकई बड़ा कदम होगा क्योंकि अबतक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ‘इंडरमीडियरी’ स्टेटस का फायदा उठाकर ऐसे मामलों से बचते रहे हैं.

मीटिंग में शामिल रहीं ये कंपनियां
MeitY और सोशल मीडिया कंपनियों के बीच हुई मीटिंग की अध्यक्षता IT राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने की थी. इस मीटिंग में Meta, Google, Snap, Sharechat, Telegram, Reliance Jio, Koo, Samsung और Apple जैसी कंपनियों के रिप्रेजेंटेटिव शामिल थे. अगर ये कंपनियां IT रूल्स का बार-बार उल्लंघन करती हैं तो भारत में इनके प्लेटफॉर्म्स को अस्थाई तौर पर बैन किया जा सकता है.


सरकार पब्लिक इंफॉर्मेशन की पहुंच को ब्लॉक करने के लिए IT एक्ट के सेक्शन 69A के तहत ऑर्डर जारी कर सकती है. नेशनल सिक्योरिटी, पब्लिक ऑर्डर और IT एक्ट में शामिल दूसरे आधार के संबंध में अगर कोई खास चिंताएं हैं तो सरकार ये कदम उठा सकती है.

IT नियमों का उल्लंघन है Deepfake
मीटिंग के दौरान सोशल मीडिया कंपनियों को एक प्रेजेंटेशन भी दी गई. इसमें सराकर ने बताया कि कैसे डीपफेक IT नियमों, खासतौर पर रूल 3 (1) (b) (v) के दायरे में आता है. इस नियम के तहत भ्रामक या गुमराह करने वाली जानकारी, जिसमें इंपर्सनेशन या झूठे फैक्ट्स फैलाना शामिल है, और केंद्र सरकार के बारे में गलत जानकारी फैलाना IT नियमों का उल्लंघन है.

सबसे पहले मैसेज भेजने वाले की जानकारी मांगी
सरकार ने सबसे पहले मैसेज करने वाले यूजर (First Originator) की जानकारी का खुलासा करने के लिए भी कहा है. IT नियमों का रूल 7 कहता है कि अगर प्लेटफॉर्म प्रावधानों का पालन नहीं करते हैं तो उनका इंटरमीडियरी का दर्जा खत्म किया जा सकता है.

बता दें कि पिछले दिनों इंडियन एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना और कैटरीना कैफ के डीपफेक वीडियो वायरल हुए थे. इनके अलावा चुनावी मौसम में कुछ नेताओं के भी डीपफेक वीडियो सामने आए हैं.

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