नई दिल्ली: भारत में प्रत्येक एक हजार की आबादी पर 116 लोग गैर संचारी रोगों से ग्रस्त होते हैं। गैर संचारी रोग को गैर संक्रामक बीमारी या पुरानी बीमारी भी कहा जाता है। 35 साल की उम्र पार करने के बाद इन बीमारियों (diseases) के पीड़ितों की संख्या और भी बढ़ जाती है। ये दावा एक रिसर्च में किया गया है और संचारी रोगों के खतरों में वायु प्रदूषण को प्रमुख कारक के तौर पर पहचाना गया है। भारतीय वाणिज्य (Indian commerce) एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) की ‘भारत में गैर संचारी रोगों का बोझ’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में, ‘हाई ब्लड प्रेशर, पाचन तंत्र संबंधी(digestive system) बीमारियों और डायबिटीज’ को तीन प्रमुख गैर संचारी रोग बताया गया है जबकि कैंसर सबसे कम प्रचलित बीमारी है।
प्रति हजार आबादी पर 116 लोग गैर संक्रामक रोग से पीड़ित
रिपोर्ट 21 राज्यों में 673 जन स्वास्थ्य केंद्रों के 2,33,672 लोगों पर किए गए सर्वेक्षण के अधार पर है और देश में गैर संचारी रोगों के बढ़ते मामलों का विश्लेषण करने के लिए तैयार की गई है। थॉट अर्बिट्रेज रिसर्च इंस्टीट्यूट (Thought Arbitrage Research Institute) की तैयार रिपोर्ट के मुताबिक गैर संचारी रोग होने का जोखिम 18 साल की उम्र के बाद बढ़ जाता है और 35 साल की उम्र पार करने पर खतरा तेजी से बढ़ता है। रिसर्च में बताया गया कि गैर संचारी रोगों से ग्रस्त दो तिहाई लोग उत्पादक समूह 26 से 59 साल के हैं।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ये चिंताजनक परिपाटी है और स्याह सच्चाई की तरफ संकेत करता है कि भारत में गैर संचारी लोगों का बोझ दीर्घकालिक होगा क्योंकि देश की 65 प्रतिशत आबादी की उम्र 35 साल से कम है।’’ रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ है, “सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि भारत में प्रति एक हजार की आबादी पर 116 लोगों में गैर संचारी रोग मौजूद है।
रिपोर्ट के मुताबिक 18 साल की उम्र के बाद बढ़ता है जोखिम
तीन शीर्ष गैर संचारी बीमारियों की पहचान हाई ब्लड प्रेशर, पाचन तंत्र संबंधी बीमारी और डायबिटीज के तौर पर की गई है। उसके बाद श्वास संबंधी बीमारियां, दिमाग अथवा तंत्रिका तंत्र की बीमारी, हृदय रोग, किडनी रोग और कैंसर का जोखिम आता है।’’ रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्येक एक हजार पुरुषों में से 119 को गैर संचारी रोग है जबकि प्रति एक हजार आबादी में 113 महिलाएं गैर संचारी रोग से पीड़ित हैं।