मध्‍यप्रदेश

प्रदेश के इस गांव में दूध बेचते नहीं बल्कि मुफ्त में बांटते हैं लोग

बैतूल। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक ऐसा गांव है, जहां मवेशी पालक दूध को बेचते नहीं है, बल्कि मुफ्त में देते हैं। लगभग तीन हजार की आबादी वाले बैतूल जिले के चूड़िया गांव में लोग दूध का व्यापार नहीं करते, बल्कि घर में उत्पादित होने वाले दूध का अपने परिवार में उपयोग करते हैं और जरूरत से अधिक उत्पादित होने वाले दूध को जरूरतमंदों को मुफ्त में देते हैं। क्योंकि इस गांव में सदियों से दूध बेचना प्रतिबंधित है, जबकि गांव में 90 फीसदी ग्वाले रहते हैं। यहां लोग दूध के बदले पैसे लेने के बारे में सोचते भी नहीं हैं।


ग्रामीणों का मानना है कि गांव के एक संत ने एक सदी पहले यहां दूध बेचने पर प्रतिबंध लगाया था जिसे लोग आज भी निभा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया की 1912 में इस गांव में चिन्ध्या बाबा नाम के एक संत रहा करते थे, जो एक बड़े गौसेवक थे। उन्होंने ग्रामीणों को सीख दी कि दूध में मिलावट करके बेचना पाप है। इसलिए गांव में कोई दूध नहीं बेचेगा और लोगों को दूध मुफ्त में दिया जाएगा। संत चिन्ध्या बाबा की बात पत्थर की लकीर बन गईं और इसके एक सदी बाद आज भी चूड़िया गांव में दूध मुफ्त मिल रहा है।

सबसे बड़ी हैरत की बात यह है कि यहां 90 फीसदी ग्वाले रहते हैं जिनके पास हजारों गौवंश हैं। ये चाहें तो रोजाना सैकड़ों लीटर दूध बेचकर बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं, लेकिन परंपराओं ने इनके दिलों से लालच को हमेशा के लिए खत्म कर दिया है। केवल दूध ही नहीं इस गांव में तो आम, जामुन जैसे फल भी मुफ्त में ही मिलते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिसने भी यहां दूध का व्यापार करने की कोशिश की वो बर्बाद हो गया, इसलिए यहां दूध बेचने का ख्याल भी किसी को नहीं आता है। गांव वालों ने एक संत का आदेश अपनी किस्मत मानकर खुशी से आज भी लोगों की सेवा कर रहे हैं।

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