इंदौर न्यूज़ (Indore News)

डीजल कारों से दूरी बना रहे इंदौरी

  • अक्टूबर से अब तक बिकी 11 हजार से ज्यादा कारों में सिर्फ 16 ‘ कारें डीजल की
  • डीजल के सस्ता होने और कार का एवरेज ज्यादा होने के बाद भी पेट्रोल हाइब्रिड, सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों का रुख कर रहे

इंदौर, विकाससिंह राठौर। शहर में पिछले कुछ महीनों में वाहनों की बंपर बिक्री हुई है। इनमें सामान्य दो पहिया से लेकर करोड़ों की लक्जरी कारें तक शामिल हैं। लेकिन इस बंपर बिक्री में लोगों का नया मिजाज भी सामने आया है। शहर में लोग डीजल वाहनों से दूरी बनाने लगे हैं। कारों की बिक्री की बात करें तो पिछले करीब तीन माह में शहर में 11 हजार से ज्यादा कारों की बिक्री हुई है, लेकिन इनमें डीजल कारों की संख्या 20 प्रतिशत से भी कम है। ऑटो एक्सपर्ट्स की माने तो लोगों का यह मिजाज ना सिर्फ इंदौर में बल्की पूरे देश में बदल रहा है। इंदौर परिवहन विभाग के आंकड़ों को देखें तो सामने आ रहा है कि अक्टूबर से अब तक इंदौर में कुल 11,051 कारों की बिक्री हुई है। इनमें से डीजल कारों की संख्या सिर्फ 1,792 है, जो कुल कारों की संख्या का सिर्फ 16 प्रतिशत है। यानी 84 प्रतिशत कारें पेट्रोल, सीएनजी और इलेक्ट्रीक हैं। इनमें सर्वाधिक गाडिय़ां पेट्रोल की हैं।

कार कंपनियों ने भी बंद किया डीजल कारों का उत्पादन
डीजल कारों से आम लोगों से लेकर इनका निर्माण करने वाली कार निर्माता कंपनियां भी दूरी बना रही हैं। एसोसिएशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स इंदौर के अध्यक्ष प्रवीण पटेल ने बताया कि पिछले कुछ सालों में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए देश और दुनिया में कार निर्माता कंपनियों के लिए सरकार ने काफी कड़े नियम बना दिए हैं, क्योंकि डीजल कारों से पेट्रोल कारों की अपेक्षा ज्यादा प्रदूषण होता है। इसलिए नए नियमों में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए काफी एडवांस टेक्नोलॉजी को अनिवार्य किया गया है, जिससे कारों की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हो जाती है। इसे देखते हुए पिछले कुछ सालों में कई कंपनियां डीजल कारों का निर्माण पूरी तरह से बंद कर चुकी हैं। इनमें मारुती प्रमुख है। इसी तरह कई कंपनियां अपनी मशहूर डीजल गाडिय़ों को डीजल के बजाए अब पेट्रोल में लेकर आ रही है।

कार मालिकों में जागरुकता के साथ बचत और डर का भाव भी
कार खरीदने वालों द्वारा डीजल गाडिय़ों से दूरी बनाए जाने के कई प्रमुख कारण हैं। इनमें सबसे बड़ा कारण तो डीजल वाहनों का पेट्रोल वाहनों से महंगा होना है। इसके साथ ही लोगों में भी प्रदूषण के प्रति जागरुकता बढ़ी है, जिससे लोग डीजल वाहनों से दूर हो रहे हैं। वहीं डर भी एक प्रमुख कारण है, क्योंकि जैसे दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर रोक लग चुकी है, लेकिन पेट्रोल कारें 15 सालों तक चल सकती हैं। उसे देखते हुए लोगों में डर है कि कहीं देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसे नियम लागू होते हैं तो उनकी कार भंगार हो जाएगी। वहीं विशेषज्ञों की माने तो डीजल कारों में मेंटेनेंस भी ज्यादा होता है। इसके साथ ही डीजल कारों पर सरकार द्वारा टैक्स भी ज्यादा लिया जा रहा है।


सीएनजी और हाइब्रिड कारों की मांग बढ़ी
पटेल बताते हैं कि पिछले दिनों में डीजल कारों की बिक्री में कमी के साथ ही पेट्रोल कारों की बिक्री बढ़ी है। इसके साथ ही लोगों का रुझान अब हाइब्रिड कारों और सीएनजी कारों की ओर भी काफी बढ़ गया है। हाइब्रिड कारें पेट्रोल चलित होती हैं और इनमें बेटरी भी लगी होती है, जो कार के चलने के साथ चार्ज होती है और चार्ज होने पर कार बैटरी से चलने लगती है। इस तरह इन कारों में एवरेज काफी ज्यादा मिलता है। इलेक्ट्रीक कारों के प्रति भी लोगों की रुची में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

अक्टूबर से अब तक बिके वाहन
श्रेणी दिसंबर नवंबर अक्टूबर कुल
ट्रेक्टर 62 193 97 352
ओमनी बस 9 6 10 25
दो पहिया 4042 13036 16978 34056
कार 1729 2859 6463 11051
कुल 5842 16094 23548 45484
(आंकडे 20 दिसंबर तक के)

किस ईंधन के कितने वाहन
माह दिसंबर नवंबर अक्टूबर कुल
डीजल 362 723 1059 2144
इलेक्ट्रिक 300 671 881 1852
पेट्रोल 4877 14187 20495 39559
पेट्रोल सीएनजी 135 251 579 965
पेट्रोल हाइब्रिड 168 261 535 964
कुल 5842 16093 23549 45484
(जानकारी परिवहन विभाग के अनुसार)

डीजल कारें महंगी और टैक्स भी ज्यादा इसलिए कम हो रही बिक्री
डीजल कारों की बिक्री में पिछले कुछ समय में गिरावट आई है। इसका प्रमुख कारण इनका अन्य कारों की तुलना में सवा से ढाई लाख रुपए तक महंगा होना। वहीं सरकार की भी डीजल कारों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए बनाई गई निती के तहत इन कारों पर कर ज्यादा लगना है। – प्रदीप शर्मा, आरटीओ इंदौर

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