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विरोध करने पर सरेआम फांसी दे रही ईरानी सरकार, कैदी मजीद रजा को क्रेन से लटकाकर दी फांसी

तेहरान। ईरान में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को सरेआम फांसी दी जा रही है। मिजान समाचार एजेंसी के मुताबिक विरोध की आवाज उठाने के आरोप में एक सप्ताह से भी कम समय में दो लोगों को सरेआम मौत की सजा दी गई है। समाचार एजेंसी AFP के मुताबिक ईरान में एक प्रदर्शनकारी को दो सुरक्षाकर्मियों को चाकू मारने का दोषी पाए जाने के बाद सरेआम फांसी दे दी गई। देश के सख्त महिला ड्रेस कोड का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए पुलिस हिरासत में महसा अमिनी की मौत के बाद सरकार विरोधी प्रदर्शनों को लेकर पिछले हफ्ते मोहसिन शेखरी को फांसी पर लटकाए जाने के बाद यह दूसरी फांसी है।

कैदी मजीद रजा रहनवार्द को क्रेन से लटकाकर दी फांसी
ईरान में धर्मतंत्र को चुनौती देने वाले हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिरासत में लिए गए एक और कैदी मजीद रजा रहनवार्द को सोमवार को सरेआम एक क्रेन से लटकाकर फांसी दे दी। यह फांसी दूसरों के लिए एक भयानक चेतावनी थी। मजीद को यह फांसी एक माह से भी कम समय की जेल के बाद प्रदर्शन के दौरान दो सुरक्षा बलों की हत्या के आरोप में दी गई। इसे पहले 8 नवंबर को मोहिसन शेखरी को हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारी के रूप में पहली ज्ञात फांसी दी गई थी। मजीद रहनवार्द को जिस तरह सरेआम क्रेन से लटकाकर फांसी दी गई उसकी सभी मानवाधिकार संगठनों ने निंदा की है।

कार्यकर्ताओं ने बताया कि हिजाब विरोधी प्रदर्शन में शामिल रहे कम से कम एक दर्जन लोगों को पहले ही बंद कमरे में सुनवाई के दौरान मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। इन प्रदर्शनों की निगरानी कर रहे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक, सितंबर के मध्य में प्रदर्शन शुरू होने के बाद से देश में करीब 488 लोग मारे जा चुके हैं जबकि अन्य 18,200 लोग हिरासत में लिए जा चुके हैं। सोमवार को ईरान की सरकारी मिजान समाचार एजेंसी ने क्रेन से लटके रहनवार्द की तस्वीरें एक कोलाज में प्रकाशित कीं। इनमें उसके हाथ-पैर बंधे हुए हैं और उसके सिर पर काला बैग था।

सुरक्षा बल के नकाबपोश सदस्य ईरानी शहर मशहद में सोमवार तड़के जमा हुए और भीड़ को किसी भी हिंसक गतिविधियों के रोकने के लिए पहरा दे रहे थे। एजेंसी के मुताबिक, रहनवार्द ने 17 नवंबर को मशहद में सुरक्षा बल के दो सदस्यों की चाकू मारकर हत्या कर दी और चार अन्य को घायल कर दिया था। प्रदर्शनों को दौरान एक वीडियो फुटेज में मजीद रहनवार्द रिवोल्यूशनरी गार्ड के अर्धसैनिक बासीज को चाकू मारते दिख रहा है। उसी वक्त उसने दूसरे शख्स को भी मारा।


वकील तक नहीं चुनने दिया जा रहा
जानकारी के मुताबिक, बासीज और अन्य की हत्या के बाद मजीद रजा रहनवार्द मौके से फरार हो गया और गिरफ्तारी के दौरान वह विदेश भागने की तैयारी में था। रहनवार्द को मशहद के ‘रिवोल्यूशनरी कोर्ट’ ने दोषी ठहराया। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक, ईरान में जिन प्रदर्शनकारियों पर मुकदमे चलाए जा रहे हैं उन्हें अपने लिए वकील तक नहीं चुनने दिया जा रहा। यहां तक कि उन्हें उनके खिलाफ मौजूद सबूत तक दिखाने की अनुमति नहीं है। ईरान में ये प्रदर्शन हिजाब न पहनने पर 22 वर्षीय कुर्द युवती महसा अमिनी की हिरासत में मौत के बाद भड़क उठे थे।

ईश्वर के खिलाफ युद्ध छेड़ने का दोषी
समाचार एजेंसी मिजान ने बताया कि रहनवार्द को मशहद की क्रांतिकारी अदालत में ”मोहरेबेह” का दोषी ठहराया गया था। मोहरेबेह एक फारसी शब्द है जिसका अर्थ है ईश्वर के खिलाफ युद्ध छेड़ना। 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद के दशकों में दूसरों के खिलाफ यह आरोप लगाया गया है और इस अपराध में मृत्युदंड दिया जाता रहा है। हाल ही के वर्षों में एक निर्माण क्रेन के साथ सरेआम दी गई यह फांसी की दुर्लभ सजाओं में से एक है।

अतीत में ईरान में क्रेन से दी जाने वाली फांसी की सजा कई दबावों के बाद नहीं दी गई। ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ (EU) के विदेश मंत्रियों ने इस सरेआम दी गई फांसी पर निराशा जताई। शीर्ष राजनयिक ने कहा कि ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों की एक नई शृंखला को मंजूरी दी जानी है। उधर, जर्मनी ने भी घटना की निंदा की है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि इस तरह की सजा बेहद ही गंभीर असर छोड़ती हैं।

देश के धर्मतंत्र के लिए गंभीर चुनौती
ईरान द्वारा ज्ञात तौर पर दिई गए इस तरह के मृत्युदंड का यह दूसरा मामला है। ईरान की नैतिकता के आधार पर कार्रवाई करने वाली पुलिस के खिलाफ एक आक्रोश के रूप में शुरू हुआ यह प्रदर्शन 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से देश के ‘धर्मतंत्र’ के लिए सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक बन गया है।

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