ब्‍लॉगर

जरूरी है अल्पसंख्यक शब्द की परिभाषा

– सुखदेव वशिष्ठ

देश में अल्पसंख्यक कौन है ? इसकी परिभाषा और आधार फिर से तय करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 फरवरी को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को निर्देश दिया था कि वह तीन महीने में अल्पसंख्यक की परिभाषा तय करे। याचिका में अल्पसंख्यकों को ‘अल्पसंख्यक संरक्षण’ दिए जाने और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम की धारा 2(सी) को रद्द किये जाने की मांग की गई है, क्योंकि यह धारा मनमानी, अतार्किक और अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन करती है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इस धारा में केंद्र को किसी भी समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित करने के असीमित और मनमाने अधिकार दिए गए हैं। साथ ही हिंदू जो राष्ट्रव्यापी आंकड़ों के अनुसार एक बहुसंख्यक समुदाय है, वह पूर्वोत्तर के कई राज्यों और जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक है। हिंदू समुदाय उन लाभों से वंचित है जो कि इन राज्यों में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए मौजूद हैं। अल्पसंख्यक पैनल को इस संदर्भ में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द की परिभाषा पर पुन: विचार करना चाहिए। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के टीएमए पाई मामले में दिए गए संविधान पीठ के फैसले को आधार बनाकर मांग की गई है कि अल्पसंख्यकों की पहचान राज्यस्तर पर की जाए, न कि राष्ट्रीयस्तर पर, क्योंकि कई राज्यों में जो वर्ग बहुसंख्यक हैं, उन्हें अल्पसंख्यक का लाभ मिल रहा है।

अल्पसंख्यक कौन? संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार-‘Any group of community which is economically, politically non-dominant and inferior in population.’ अर्थात ऐसा समुदाय जिसका सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से कोई प्रभाव न हो और जिसकी आबादी नगण्य हो, उसे अल्पसंख्यक कहा जाएगा। अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अल्पसंख्यक ऐसे समूह हैं, जिनके पास विशिष्ट और स्थिर जातीय (Stable Ethnic) धार्मिक और भाषायी विशेषताएं हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29, 30, 350ए और 350बी में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द का प्रयोग किया गया है लेकिन इसकी परिभाषा कहीं नहीं दी गई है। अनुच्छेद 29 में कहा गया है कि भारत के राज्य क्षेत्र या उसके किसी भाग के निवासी नागरिकों के किसी अनुभाग को जिसकी अपनी विशेष भाषा, लिपि या संस्कृति है, उसे बनाए रखने का अधिकार होगा। अनुच्छेद 30 में साफ किया गया है कि धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षा, संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा। अनुच्छेद 350 ए और 350 बी केवल भाषायी अल्पसंख्यकों से संबंधित हैं। 1992 के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम की धारा 2(सी) के तहत 23 अक्टूबर, 1993 को सरकार की अधिसूचना में पांच समुदायों मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी और बौद्ध को अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में मान्यता दी गई है।2014 में जैन समुदाय को भी अल्पसंख्यक की श्रेणी में शामिल किया गया। गुजरात सरकार ने राज्य में जैन समुदाय को अलग से अल्पसंख्यक घोषित किया है।

अल्पसंख्यक’ शब्द को परिभाषित करने की आवश्यकता क्यों? संविधान में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द की परिभाषा कहीं नहीं दी गई है। अल्पसंख्यक कौन होगा? यह राष्ट्रीयस्तर पर तय होगा या राज्यस्तर पर इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है। 1993 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का गठन करते समय भी ‘अल्पसंख्यक’ शब्द को परिभाषित नहीं किया गया। वर्ष 2006 में अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय का गठन हुआ तब भी ‘अल्पसंख्यक’ शब्द को परिभाषित नहीं किया गया। आजादी के 70 साल बीत जाने के बावजूद अल्पसंख्यक कौन हैं? न तो संविधान में परिभाषित किया गया और न ही किसी अन्य कानून में। मिजोरम, मेघालय और नगालैंड ईसाई बहुसंख्यक राज्य हैं। अरुणाचल प्रदेश , गोवा, केरल, मणिपुर, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में इनकी आबादी अच्छी खासी है। फिर भी उन्हें अल्पसंख्यक माना जाता है। इसी तरह पंजाब में सिख बहुसंख्यक हैं। दिल्ली, चंडीगढ़ और हरियाणा में सिखों की पर्याप्त आबादी है फिर भी इन्हें अल्पसंख्यक माना जाता है।

लक्षद्वीप में 96.20 फीसद और जम्मू-कश्मीर में 68.30 फीसद मुसलमान हैं, जबकि असम (34.20 फीसद), पश्चिम बंगाल (27.5 फीसद), केरल (26.60 फीसद), उत्तर प्रदेश (19.30फीसद) और बिहार (18फीसद) में भी इनकी अच्छी-खासी जनसंख्या है फिर भी इन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है। वह इसका लाभ ले रहे हैं। दूसरी ओर वे समुदाय, जो वास्तविक रूप से अल्पसंख्यक हैं, राज्यस्तर पर अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त न होने के कारण लाभ से वंचित हैं। लक्षद्वीप में मात्र 2 फीसदी हिंदू हैं लेकिन वह वहां अल्पसंख्यक न होकर बहुसंख्यक हैं और 96 फीसद आबादी वाले मुसलमान अल्पसंख्यक हैं। उत्तर प्रदेश के अनुसूचित जाति का व्यक्ति राजस्थान में अनुसूचित जाति का नहीं माना जाता। जब प्रदेश बदलने के साथ उस व्यक्ति की एससी , एसटी, ओबीसी स्थिति बदल जाती है तो अल्पसंख्यक की स्थिति को बदलने में क्या समस्या है? लोकतांत्रिक, बहुलवादी राजनीति में अल्पसंख्यक अधिकार आवश्यक हैं। फ्रैंकलिन रूजवेल्ट ने कहा है -“कोई भी लोकतंत्र लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता है जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों की मान्यता को अपने अस्तित्व के लिए मौलिक नहीं मानता है।”

संविधान में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द को परिभाषित न करने का कारण उस समय की परिस्थितियां थीं लेकिन आज की परिस्थिति के अनुसार इसमें बदलाव आवश्यक है। भारत लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और लोक कल्याणकारी राज्य है। अतः सभी वर्गों के लोगों को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार है। संविधान सभा ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए संविधान में भाषायी और धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यकों को संरक्षित करने की बात की लेकिन अल्पसंख्यक को परिभाषित करने से परहेज किया। बदलते परिदृश्य में अब समय आ गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर नहीं बल्कि प्रादेशिक स्तर पर अल्पसंख्यकों को परिभाषित किया जाए, जिन राज्यों में जिस समुदाय के लोग सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप और जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यक हैं, उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए।

वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की गई थी। इसका उद्देश्य था जम्मू और कश्मीर राज्य में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करना। इस याचिका में दलील दी गई थी कि अल्पसंख्यक आयोग कानून राज्य में लागू न होने की वजह से कई तरह की विसंगति आ गई थीं। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया था कि 2007-08 में केंद्र ने राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यकों के लिए 20,000 छात्रवृत्ति निकाली पर जम्मू और कश्मीर में इस योजना के तहत आईं 753 छात्रवृत्ति में से 717 मुसलमानों को मिलीं, जो वहां अल्पसंख्यक नहीं थे। हालांकि ऐसा न हो, इसके लिए प्रावधान पहले से है। अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री के 15 सूत्रीय कार्यक्रम के बारे में केंद्र के दिशा-निर्देशों में साफ लिखा है कि अगर किसी राज्य में राष्ट्रीयस्तर पर अल्पसंख्यक अधिसूचित किया गया समुदाय राज्यस्तर पर बहुसंख्यक है तो अलग अलग योजनाओं के लक्ष्यों का आवंटन उसके अलावा दूसरे अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के लिए होना चाहिए, जहां ऐसा नहीं हो रहा है वहां दिशा-निर्देशों का उल्लंघन रोकने के लिए निश्चित ही कदम उठाए जाने चाहिए।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

Share:

Next Post

महाराष्ट्र में मिले कोरोना के 1494 नए मरीज, एक की मौत

Mon Jun 6 , 2022
मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra) में रविवार को पिछले 24 घंटे में कोरोना के 1494 नए मरीज (1494 new corona patients last 24 hours) मिले हैं और एक कोरोना मरीज की मौत (death of a corona patient) हुई है। सूबे में 614 रोगियों को छुट्टी दे दी गई। राज्य में 6767 सक्रिय मरीजों का इलाज जारी है। […]