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स्ट्रेस फ्रैक्चर से जूझ रहे Jasprit Bumrah, जानें इस परेशानी की वजह और लक्षण

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) स्ट्रेस फ्रैक्चर की वजह से आगामी टी20 वर्ल्ड कप से बाहर हो गए हैं. अगले कुछ महीनों तक वह खेल के मैदान पर नजर नहीं आएंगे. यह खबर सामने आने के बाद हर कोई यह जानना चाह रहा है कि स्ट्रेस फ्रैक्चर (Stress Fracture) क्या है. आपको जानकर हैरानी होगी कि ज्यादा रनिंग या फिजिकल एक्टिविटी करने की वजह से यह समस्या हो सकती है. अगर आप भी जरूरत से ज्यादा दबाव अपने शरीर पर डालेंगे तो इस परेशानी का शिकार हो सकते हैं. आज आपको बताएंगे कि स्ट्रेस फ्रैक्चर किस वजह से हो सकता है. इसकी चपेट में कौन से लोग आ सकते हैं और इससे किस तरह बचाव किया जा सकता है.

क्या है स्ट्रेस फ्रैक्चर?
वेब एमडी की रिपोर्ट के मुताबिक स्ट्रेस फ्रैक्चर सबसे कॉमन स्पोर्ट्स इंजरी है. खेल-कूद के दौरान कई बार हड्डियों में मामूली फ्रैक्चर हो जाता है. हड्डियों में यह दरार रनिंग या रिपिटेटिव स्ट्रेस की वजह से होता है. यह परेशानी काफी दर्दनाक होती है और इसे सही होने में लंबा वक्त लग जाता है. इस परेशानी की चपेट में सबसे ज्यादा एथलीट आते हैं. सुनने में तो यह छोटी परेशानी लगती है, लेकिन सही समय पर इलाज न कराया जाए तो समस्या काफी गंभीर हो सकती है और सर्जरी की नौबत भी आ सकती है. अधिकतर मामलों में यह परेशानी पैरों के निचले हिस्सों में हो जाती है.


जानें Stress Fractures के लक्षण
स्ट्रेस फैक्चर होने पर शरीर के उस हिस्से में रनिंग, वॉक, एक्सरसाइज करने पर तेज दर्द महसूस होता है. इतना ही नहीं कुछ देर खड़े होने पर भी दर्द होने लगता है. कई बार फ्रैक्चर वाली जगह के आसपास सूजन भी हो जाती है. जो लोग एक्सरसाइज के दौरान सावधानी नहीं बरतते और ज्यादा इंटेंसिटी वाला वर्कआउट करते हैं, उन्हें इस परेशानी का खतरा बढ़ जाता है. कई बार लोगों को हल्का दर्द महसूस होता है और एक्स-रे में भी स्ट्रेस फ्रैक्चर का पता नहीं चल पाता. ऐसी कंडीशन में एमआरआई या न्यूक्लियर बोन स्कैन की मदद से इसका पता लगाया जाता है.

इस परेशानी की वजह और बचाव के तरीके
जब कोई व्यक्ति अपनी क्षमता से ज्यादा रनिंग या हाई इंटेंसिटी वाली एक्सरसाइज करता है तो उसकी हड्डियों पर प्रेशर बढ़ जाता है, जिसकी वजह से फ्रैक्चर हो जाता है. हड्डियों पर अत्यधिक दबाव की वजह से ऐसा होता है. हैरानी वाली बात यह है कि महिलाओं को यह समस्या ज्यादा होती है. ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी से जूझ रहे लोगों को भी यह परेशानी हो सकती है. इसके अलावा एल्कोहल का सेवन, ईटिंग डिसऑर्डर, अत्यधिक रनिंग और विटामिन D की कमी से भी यह बीमारी हो सकती है. खराब क्वालिटी के रनिंग शूज और इक्विपमेंट की वजह से भी ऐसा हो सकता है. इससे समस्या से बचने के लिए क्षमता के अनुसार फिजिकल एक्टिविटी करनी चाहिए.

क्या होता है स्ट्रेस फ्रैक्चर का ट्रीटमेंट?
स्ट्रेस फ्रैक्चर का ट्रीटमेंट कंडीशन के अनुसार किया जाता है. इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए ट्रीटमेंट के साथ लंबे समय तक आराम करने की सलाह दी जाती है. दर्द से राहत पाने के लिए डॉक्टर दवाएं देते हैं. इसके अलावा भी कई तरीके इस परेशानी से राहत दिलाते हैं. अगर कंडीशन ज्यादा बिगड़ जाती है तो ऐसी स्थिति में सर्जरी के जरिए इसे ठीक किया जाता है.इस परेशानी से रिकवर होने में करीब 6-8 सप्ताह का वक्त लगता है.

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