उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

पंथ पिपलई से सांवेर तक देखा कान्ह का दूषित पानी

  • देवास के हवनखेड़ी का गंदा नाला सीधा मिलते पाया-संत बोले नहर के जरिये कान्ह को शिप्रा से अलग करना जरूरी

उज्जैन। शिप्रा तट पर धरना आंदोलन के बाद शहर के संतों ने कल इंदौर और देवास जाकर कान्ह नदी तथा इनसे आ रहे दूषित नालों के पानी का मौके पर मुआयना किया। संतों का इंदौर जिला प्रशासन ने रेड कारपेट बिछाकर स्वागत किया लेकिन पंथ पिपलई से सांवेर तक संतों को कान्ह नदी का पानी दूषित नजर आया। देवास जाने पर भी प्रशासन ने संतों को भरोसा दिया कि वे यहाँ के नालों के दूषित पानी को साफ करने के लिए जल्द ट्रीटमेंट प्लांट लगाएँगे। उल्लेखनीय है कि पिछले कई दिनों से उज्जैन के संतों ने शिप्रा में मिल रही इंदौर की दूषित कान्ह नदी तथा दूषित नालों को रोकने के लिए आंदोलन छेड़ रखा है। हालांकि संतों का धरना प्रदर्शन मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद अभी स्थगित है लेकिन संतों को अभी भी अधिकारियों के आश्वासन पर भरोसा नहीं हैं।



षट्दर्शन संत समाज के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्रदास महाराज ने बताया कि कल संतों का इंदौर तथा देवास का दौरा था। इसमें कई संत शामिल थे। संत सबसे पहले इंदौर पहुँचे थे। जहाँ जिला प्रशासन ने संतों के स्वागत में रेड कारपेट बिछाए थे तथा निगमायुक्त प्रतिभा पाल और कलेक्टर मनीषसिंह ने संतों को प्रजेंटेशन के जरिये यह बताने का प्रयास किया कि इंदौर से आ रहा कान्ह नदी का पानी ट्रीटमेंट करने के बाद ही शिप्रा में छोड़ा जा रहा है। इस पर संतों ने स्वयं भी पंथ पिपलई में जाकर कान्ह नदी का पानी देखा तो वह खराब था जिसके नमूने लिए गए। इसके अलावा संतों ने इंदौर में राजेन्द्रनगर और मांगलिया में बने ट्रीटमेंट प्लांट पर भी जाकर देखा। इसके अलावा कबीर खेड़ी प्लांट पर भी संत गए लेकिन सांवेर में आने पर उन्होंने पाया कि यहाँ कान्ह नदी का पानी काफी गंदा है। इस पर इंदौर जिला प्रशासन ने संतों को आश्वासन दिया कि जल्द यहाँ भी ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा। इसी तरह देवास में संतों ने नागधम्मन नदी व हवनखेड़ी आदि क्षेत्रों का दौरा किया। हवनखेड़ी में तो संतों ने गंदे नाले सीधे नदी में मिलते पाए। देवास कलेक्टर ने संतों को आश्वासन दिया है कि वे जल्द ही देवास के नालों के पानी के ट्रीटमेंट के लिए प्लांट लगाए जाएँगे, इसके टेंडर जल्द निकाले जाएँगे। इस पर संतों ने कहा कि उन्होंने देवास और इंदौर जिला प्रशासन को स्पष्ट कहा है कि कान्ह नदी हो या देवास से आ रहे गंदे नाले इनका पानी शिप्रा में नहीं मिलना चाहिए। संतों ने कहा कि वे इसकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को देंगे। संतों की माँग है कि कान्ह नदी के पानी के लिए ओपन नहर बनाकर शिप्रा से इसे अलग करना ही मुख्य मार्ग है।

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