नई दिल्ली। खासगी ट्रस्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट से ट्रस्ट को राहत मिली। मध्यप्रदेश सरकार और इंदौर प्रशासन ने की थी ट्रस्ट के विरुद्ध सख्त कार्यवाही। खासगी ट्रस्ट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शासन की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 02 दिसम्बर को होगी। पिछले दिनों देशभर में अरबों रुपए की खासगी ट्रस्ट की सम्पत्तियों को बचाने का इंदौर हाईकोर्ट ने 118 पेज का ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसके चलते सभी सम्पत्तियां अब मध्यप्रदेश सरकार की हो जाएगी और ट्रस्ट द्वारा की गई डीड को भी हाईकोर्ट ने शून्य कर दिया है। इस फैसले के खिलाफ खासगी ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट गया था।
दरअसल 1732 में पुणे में छत्रपति शिवाजी महाराज के पोते छत्रपति साहूजी महाराज का शासन था, जिसे पेशवा नियुक्त किया जा चुका था और पेशवा की संधी के तहत इंदौर व मालवा की सुबेदारी होलकरों को सौंपी गई और महाराजा होलकर को इंदौर का सुबेदार बनाया एवं धार में पंवारों और उज्जैन में सिंधियाओं को सुबेदारी दी गई। राजमहल और राज परिवार की सुविधाओं के खर्च के अलावा दान‑धर्म के लिए पैसे की व्यवस्था करने के लिए महारानी गौतमबाई ने पेशवा से इसकी शिकायत की और तब इस समस्या को साहू जी महराराज ने गंभीरता से लिया और एक निधि स्थापित की, जिसे खासगी दौलत या खासगी जागीर नाम दिया गया। इसमें लूट और आक्रमण से मिली दौलत इसमें शामिल होती थी।
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