- अदालत ने लूट में इस्तेमाल बाइक की पहचान के आधार पर सुनाई सजा, 7 माह में फैसला
इंदौर। लूट में इस्तेमाल बाइक की नंबर प्लेट पर नंबर के बजाय ‘कुमायूं’ लिखा हुआ था। इसी एक सुराग से उसके चालक की पहचान हो गई और कोर्ट ने उसे चार साल के कठोर कारावास की सजा सुना दी। सूत्रों के अनुसार फरियादी शैफाली मरमट इसी वर्ष 29 जनवरी की शाम डमरू उस्ताद चौराहा स्थित ऑफिस से काम करके घर लौट रही थी। बैरवा समाज धर्मशाला के पास काले रंग की बाइक पर सवार दुबला-पतला लडक़ा उसके पास आया और डराकर उसके हाथ से मोबाइल छीनकर भागीरथपुरा की तरफ भाग निकला। फरियादी ने गाड़ी का नंबर नोट करने की कोशिश की तो देखा कि बाइक पर नंबर नहीं केवल लाल रंग से ‘कुमायूं’ लिखा है।
मामले में परदेशीपुरा पुलिस ने अज्ञात शख्स के खिलाफ लूट का मुकदमा दर्ज किया था। दो दिन बाद परदेशीपुरा क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान जांच अधिकारी कमलसिंह रघुवंशी को काली बाइक पर कुमायूं लिखा दिखा तो उन्होंने उसे रोकने की कोशिश की। इस पर बाइक चालक पीयूष उर्फ मोंटी पिता राजेश कुमायूं गोविंदनगर खारचा तेजी से भागने लगा और आगे जाकर गिर पड़ा। पूछताछ करने पर उसने मोबाइल लूटना स्वीकारा।
अदालत में जज राकेशकुमार गोयल ने लुटेरे की पहचान नहीं होने के बावजूद उससे मोबाइल जब्त होने व गाड़ी पर लिखे सरनेम के सबूतों के मद्देनजर उसे मुजरिम करार देते हुए चार साल के कठोर कारावास की सजा सुनाकर जेल भेजने का आदेश दिया। उस पर सौ रुपए का जुर्माना भी किया।
आईएमईआई नंबर से मोबाइल का पैटर्न लॉक खोलना ही शिनाख्ती के लिए पर्याप्त
मुलजिम ने पुलिस द्वारा उसे झूठा फंसाने की दलील दी, किंतु यह नहीं बता सका कि मोबाइल उसके कमरे की आलमारी में कैसे आया, जिसे पुलिस ने उसकी निशानदेही पर जब्त करना बताया था। उसने लूटे गए मोबाइल की शिनाख्त नहीं होने का तर्क भी दिया, किंतु पुलिस ने बताया कि उसने फरियादिया से आईएमईआई नंबर लेकर उसके जरिए मोबाईल का पैटर्न लॉक खोला था। ऐसे में कोर्ट ने इसी के जरिए मोबाइल की शिनाख्ती की कार्रवाई होना माना।