प्राधिकरण बोर्ड संकल्प पारित कर शासन को भेजेगा, 13 गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें हैं शामिल, जिनमें से अधिकांश जेबी और कागजी ही
इंदौर। ग्राम खजराना की बेशकीमती जमीन पर काबिज योजना 171 की जमीन छुड़वाने के सालों से भूमाफिया और रसूखदार प्रयास करते रहे हैं, मगर समय-समय पर अग्निबाण (Agniban) इस खेल को चौपट करता रहा है। शनिवार को प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में भी योजना 171 को व्यपगत, यानी समाप्त करने का प्रस्ताव रखा गया। बोर्ड संकल्प पारित कर शासन से दो प्रमुख बिंदुओं पर मार्गदर्शन प्राप्त करेगा, जिसमें लैंड पूलिंग एक्ट (land pooling act) के चलते जो संशोधित नियम 2020 में लागू हुए क्या वे आज भी प्रभावशील हैं और दूसरा बिंदु यह शामिल किया गया है कि व्यपगत किए जाने के संबंध में शासन का क्या अभिमत है। हालांकि अधिकारियों का स्पष्ट कहना है कि किसी भी संस्था को सीधे एनओसी नहीं दी जाएगी, बल्कि प्रशासन पात्र भूमि स्वामियों की जांच कर उन्हें एनओसी देगा। इस बारे में संबंधित गृह निर्माण संस्थाओं के सदस्यों की सूचियों पर दावे-आपत्ति के साथ पर्याप्त जांच भी होगी।
योजना 171 में दरअसल 13 गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें शामिल हैं, जिनमें से अधिकांश पर भूमाफियाओं का कब्जा रहा है, जिन्होंने सदस्यों को भूखंड आवंटित करने के बजाय अलग-अलग टुकड़ों में जमीनें रसूखदारों और उनकी फर्मों को बेच भी दीं, जिनमें से कुछ जमीनों को ऑपरेशन भूमाफिया के चलते मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की मंशा अनुरूप छुड़वाया गया और सरेंडर करवाते हुए इन जमीनों की रजिस्ट्रियां भी शून्य कराई जा रही हैं, ताकि सालों से परेशान हो रहे सदस्यों को भूखंड उपलब्ध कराए जा सकें। जैसे मजदूर पंचायत गृह निर्माण संस्था की कालोनी पुष्प विहार और देवी अहिल्या गृह निर्माण की श्री महालक्ष्मी नगर के पीडि़तों को पूर्व में प्रशासन ने ही शिविरों के माध्यम से भूखंडों का मौके पर कब्जा दिलवाया और अधिकांश ने बाउंड्रीवॉल भी बना ली। इसी तरह के कब्जे देवी अहिल्या की कॉलोनी अयोध्यापुरी में भी दिलवाए गए थे। मगर अब परेशानी यह आ रही है कि योजना 171 को 2020 में जो नियम संशोधित हुए उसके मुताबिक 6 महीने में ही व्यपगत कर दिया जाना था, मगर चूंकि योजना में शामिल अधिकांश जमीनें भूमाफियाओं के कब्जे में थीं और अगर प्राधिकरण योजना समाप्त कर देता तो ये भूमाफिया एनओसी हासिल कर इन जमीनों को ठिकाने लगा देते और पीडि़तों को भूखंड नहीं मिलते। यही कारण है कि योजना को व्यपगत नहीं किया गया। मगर अब चूंकि शासन की मंशा अवैध कॉलोनियों को वैध करने की है। साथ ही भूखंड पीडि़तों को न्याय भी दिलवाना है, जिसके चलते योजना 171 को व्यपगत करना पड़ेगा, ताकि प्राधिकरण एनओसी दे सके और उसके बाद फिर नगर निगम से विकास अनुमति, भवन अनुमति प्राप्त हो। अभी प्राधिकरण बोर्ड बैठक में योजना 171 को व्यपगत करने का प्रस्ताव भी रखा गया और अब शासन को इस आशय का संकल्प भी भिजवाया जा रहा है। उसमें महत्वपूर्ण बिंदुओं पर मार्गदर्शन मांगा जा रहा है। दरअसल पिछले हफ्ते इंदौर आए आवास एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई से भी इस संबंध में कलेक्टर, प्राधिकरण अध्यक्ष, सीईओ व निगमायुक्त ने चर्चा की थी। कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी भी स्पष्ट कर चुके हैं कि भूखंड पीडि़तों के साथ न्याय होना चाहिए, लेकिन किसी भूमाफिया को उपकृत नहीं होने देंगे। लिहाजा योजना में शामिल जिन गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें हैं, उनके द्वारा सदस्यों को जो भूखंड दिए गए हैं या पिछले दिनों प्रशासन ने कब्जे दिलवाए उनकी सूची तैयार कर जांच कर ली जाएगी और फिर इन भूस्वामियों को एनओसी प्रदाय की जाएगी। उल्लेखनीय है कि योजना 171 में 13 गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें शामिल हैं, जिनमें त्रिशला, सूर्या गृह निर्माण की जमीनें तो दीपक मद्दे ने ही हड़प रखी हैं। इसी तरह सनी, रजत, मारुति, संजना सहित अन्य संस्थाएं भी जेबी और कागजी हैं।
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