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शरीर के इस अंग के लिए हानिकारक है मैदा, सेहत को पड़ सकता है भारी, जान लें नुकसान

आटे के रिफाइंड रूप को मैदा कहा जाता है. मैदा बनाने के लिए आटे को कई बार बारीक और महीन पीसा जाता है। मैदे का इस्तेमाल ब्रेड, क्रैकर्स, कुकीज, पिज्जा बेस, और भी कई तरह की खाने चीजें बनाने में होता है। इससे बनी चीजें शरीर के लिए बेहद हानिकारक होती हैं।

औसत अमेरिकी (American) लोग मैदे की 10 सर्विंग्स खाते हैं. मैदा शरीर के लिए बेहद खतरनाक होता है। दरअसल, आटे को पीसकर अच्छी क्वालिटी का मैदा तो मिल जाता है पर इसके सभी पोषक तत्व (Nutrients) खत्म हो जाते हैं। जहां गेहूं को स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है वहीं मैदा सेहत के लिहाज से बेहद खतरनाक होता है।

बोस्टन में बच्चों के अस्पताल के न्यू बैलेंस फाउंडेशन मोटापा निवारण केंद्र के निदेशक डेविड लुडविग, एमडी, पीएचडी के मुताबिक, अमेरिका के लोग ज्यादा मात्रा में ट्रांस फैट कंज्यूम करते हैं जिसमें रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, रिफाइंड ग्रेन प्रोडक्ट्स (refined grain products) आदि शामिल हैं। इन सभी का अमेरिकन डाइट पर सबसे ज्यादा हानिकारक प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं कि मैदा खाने से स्वास्थ्य पर क्या बुरे प्रभाव हो सकते हैं।

ये एसिड-एल्कलाइन असंतुलन का करण बनता है-
शरीर का स्वस्थ पीएच स्तर 7.4 होता है। डाइट में एसिडिक खाद्य पदार्थ की ज्यादा मात्रा होने से शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है। इससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। अनाज को एसिडिक फूड (acidic food) माना जाता है। शोध के अनुसार, खाने में मैदे का ज्यादा इस्तेमाल हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकता है। एसिडिक डाइट इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचाती है, जिससे शरीर बीमारियों (diseases) की चपेट में आ सकता है।

ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकता है-



अगर आप गेहूं का इस्तेमाल खाने में ये सोचकर करते हैं कि ये शरीर के लिए हेल्दी ऑप्शन है, तो आप गलत सोच रहे हैं। गेहूं के आटे से बनी खाने की चीजें आपके शरीर के लिए और भी ज्यादा हानिकारक होती हैं। गेहूं में मौजूद कार्बोहाइड्रेट जिसे एमाइलोपेक्टिन A (amylopectin A) कहा जाता है, किसी भी अन्य कार्बोहाइड्रेट की तुलना में ज्यादा आसानी से ब्लड शुगर (blood sugar) में परिवर्तित हो जाता है। गेहूं की ब्रेड के सिर्फ दो स्लाइस शरीर में ब्लड शुगर के लेवल को 6 चम्मच चीनी या कई कैंडी बार से ज्यादा बढ़ा सकते हैं।

शरीर में सूजन आ सकती है-
अनाज युक्त आहार शरीर में सूजन का कारण बनता है। इसमें ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है और रक्त में ग्लूकोज का निर्माण होता है, जिसमें ग्लोकोज खुद को आस-पास के प्रोटीन से जोड़ लेता है। इसे ग्लाइकेशन नामक एक केमिकल रिएक्सन कहा जाता है। ग्लाइकेशन एक प्रो-इंफ्लेमेटरी (pro-inflammatory) प्रक्रिया है जो गठिया और हृदय रोग सहित कई सूजन संबंधी बीमारियों का कारण बनती है।

मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है-
शोध से पता चला है कि जब आप उच्च मात्रा के ग्लाइसेमिक इंडेक्स (glycemic index) वाली चीजों का सेवन करते हैं तो शरीर के पोषक तत्व वसा में बदल जाते हैं। शरीर को ईंधन मिलने की जगह पर, मैदे से बनी खाने की चीजें वसा जलने की प्रकिया को धीमा करती हैं। इससे शरीर में फैट जमा होने लगता है। ये प्रक्रिया शरीर के मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देती है, जिससे शरीर का वजन बढ़ जाता है।

आंत को नुकसान पहुंचा सकता है-
शोध के मुताबिक, अनाज में पाया जाने वाला लेक्टिन आंत की परत में सूजन का कारण बनता है। जब आप मैदा खाते हैं, तो खाने में 80% फाइबर खत्म हो जाता है। आपके शरीर को वो फाइबर नहीं मिलता है जिसकी उसे जरूरत होती है और कार्बोहाइड्रेट तेजी से रिलीज होने लगते हैं। फाइबर के बिना, शरीर आंत की गंदगी को साफ कर बॉडी को डिटॉक्स करने में सक्षम नहीं होता है।

फूड एलर्जी का करण बनता है-
गेहूं को फूड एलर्जी के सबसे बड़े ट्रिगर्स में से एक माना जाता है। कई अनाजों में पाया जाने वाला ग्लूटन नामक प्रोटीन, आटे को लचीला बनाने का काम करता है। ये रोटी को नरम बनाने में मदद करता है। गेहूं में अब पहले से कहीं ज्यादा ग्लूटेन होता है। जब ग्लूटेन सेंसिटिविटी वाले लोग ग्लूटेन युक्त प्रोडक्ट खाते हैं। इससे उनके शरीर में फूड एलर्जी होने के साथ कई अन्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

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