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गुजरात हाईकोर्ट में हलफनामा देकर झूलता पुल गिरने की जिम्मेदारी ली मोरबी नगर निगम ने


मोरबी । मोरबी नगर निगम (Morbi Municipal Corporation) ने गुजरात हाईकोर्ट में (In Gujarat High Court) एक हलफनामा देकर (By Giving An Affidavit) मोरबी में (In Morbi) झूलता पुल गिरने (Collapse of the Suspension Bridge) की जिम्मेदारी ली (Took Responsibility), जिसमें पिछले महीने 135 लोगों की मौत हो गई थी। नगर निगम ने बुधवार शाम को गुजरात हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है, जिसमें कहा गया कि ‘पुल को नहीं खोला जाना चाहिए था।’


हाईकोर्ट ने मोरबी नगर निगम के प्रमुख संदीपसिंह जाला को 24 नवंबर को तलब किया है, जब इस मामले की अगली सुनवाई होगी। गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार को मोरबी नगरपालिका से पूछा था कि झूलता पुल की गंभीर स्थिति से वाकिफ होने के बावजूद मरम्मत के लिए इसे बंद किए जाने से पहले 29 दिसंबर, 2021 और सात मार्च, 2022 के बीच लोगों के इस्तेमाल के लिए अनुमति कैसे दी गई? हाईकोर्ट ने बुधवार को दो नोटिसों के बावजूद एक हलफनामा दाखिल करने में देरी को लेकर नगर निकाय की जमकर खिंचाई की, जिसमें बताया गया था कि कैसे ढह गया। बुधवार सुबह जब मामले की सुनवाई हुई तो अदालत ने कहा कि अगर निकायपालिका ने शाम हलफनामा दाखिल नहीं किया तो वह एक लाख रुपये का जुर्माना लगाएगा। अदालत ने मंगलवार को 150 साल पुराने पुल के रखरखाव के लिए ठेका देने के तरीके पर सीधा जवाब मांगा था।

बता दें कि, मोरबी शहर में मच्छु नदी पर बना ब्रिटिशकालीन झूलता पुल मरम्मत कर खोले जाने के पांच दिन बाद 30 अक्टूबर को टूट गया था। इस दर्दनाक हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे। हाईकोर्ट ने पुल गिरने के मामले पर एक जनहित याचिका का स्वत: संज्ञान लेते हुए मोरबी नगरपालिका से सूचनाएं मांगी थीं। चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष शास्त्री की बेंच ने अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) को इस्तेमाल के लिए कोई मंजूरी नहीं होने के बावजूद पुल के उपयोग की अनुमति देने के कारणों के बारे में भी पूछा।

अहमदाबाद का ओरेवा ग्रुप झूलता पुल का रख-रखाव और प्रबंधन कर रहा था। मोरबी नगरपालिका ने बुधवार को दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि 29 दिसंबर, 2021 को अजंता कंपनी ने मोरबी नगरपालिका के तत्कालीन मुख्य अधिकारी को सूचित किया था कि पुल की स्थिति गंभीर थी और पुल के रख-रखाव और प्रबंधन को स्वीकृति के लिए मसौदा समझौते के संबंध में निर्णय लेने का अनुरोध किया था। अदालत ने कहा, ”29 दिसंबर, 2021 के पत्र के बाद भी पुल की स्थिति गंभीर थी, फिर भी ऐसा लगता है कि सात मार्च, 2022 तक उक्त पुल का इस्तेमाल करने या बड़े पैमाने पर जनता के लिए खोलने की अनुमति दी गई।”

अदालत ने मोरबी नगरपालिका को अपने हलफनामे में यह बताने का निर्देश दिया कि इस अवधि के दौरान अजंता कंपनी को पुल का इस्तेमाल करने की अनुमति कैसे दी गई। अदालत ने कहा, ”अजंता को इस्तेमाल के लिए कोई मंजूरी नहीं होने के बावजूद पुल का उपयोग करने की अनुमति देने के कारणों को भी उक्त हलफनामे में बताना होगा। हम मोरबी नगरपालिका के वर्तमान प्रभारी को भी सुनवाई की अगली तारीख पर पेश होने होने का निर्देश देते हैं।”

हलफनामे में कहा गया है कि आठ मार्च, 2022 को मोरबी नगरपालिका और अजंता कंपनी के मुख्य अधिकारी के बीच 15 साल की अवधि के लिए पुल का पूरा प्रबंधन सौंपने को लेकर एक समझौता हुआ, जो मोरबी नगरपालिका के आम बोर्ड की मंजूरी के अधीन था। बेंच ने कहा कि हलफनामे में आगे कहा गया है कि 26 अक्टूबर, 2022 को, (मोरबी नगरपालिका से) बिना किसी पूर्व स्वीकृति के अजंता ने उस पुल को फिर से खोल दिया, जिसे आठ मार्च से 25 अक्टूबर, 2022 के बीच सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए बंद कर दिया गया था।

मोरबी नगरपालिका की ओर से पेश अधिवक्ता देवांग व्यास ने कहा कि पुल 8 मार्च से 25 अक्टूबर, 2022 के बीच बंद था और उसके बाद भी बंद रहने वाला था। हलफनामे में कहा गया कि अजंता ने 2008 में राजकोट (जिला बनने से पहले मोरबी राजकोट जिले में था) के जिलाधिकारी के साथ पुल के संचालन, रख-रखाव, सुरक्षा, प्रबंधन, किराए के संग्रह को लेकर नौ साल के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था। यह समझौता 15 अगस्त, 2017 को समाप्त हो गया।
समझौते की अवधि समाप्त होने के बाद भी, बिना किसी नए समझौते के कंपनी द्वारा पुल का रख-रखाव और प्रबंधन जारी रहा। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इसलिए हम मोरबी नगरपालिका को निर्देश देते हैं अगर मोरबी नगरपालिका के आम बोर्ड द्वारा मंजूरी दी गई थी तो वह आठ मार्च, 2022 की मंजूरी की प्रति को रिकॉर्ड पर रखे और अजंता कंपनी द्वारा मोरबी नगरपालिका के मुख्य अधिकारी को 29 दिसंबर 2021 को भेजे गए पत्र को भी प्रस्तुत करे।

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