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मोदी सरकार में नए चेहरों की एंट्री से ज्यादा मंत्रियों की छुट्टी बनी चर्चा का विषय, यह है बाहर होने का कारण

 

नई दिल्ली। मोदी सरकार (Modi government) में नए मंत्रियों की एंट्री से ज्यादा मंत्रियों की छुट्टी ज्यादा चर्चा का विषय रही। हेल्थ मिनिस्टर (health minister) से लेकर एजुकेशन मिनिस्टर (education minister) और आईटी मिनिस्टर (IT Minister) से लेकर आईएनबी मिनिस्टर (INB Minister) और लेबर मिनिस्टर (labor minister) की छुट्टी की गई है। कुल मिलाकर 12 मंत्रियों को मोदी मंत्रिमंडल (Modi cabinet) से बाहर किया गया है। कानून और आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद  (Ravi Shankar Prasad) को मंत्रिमंडल से बाहर किया गया है। प्रसाद ट्विटर बनाम सरकार की लड़ाई में सरकार का चेहरा थे और इस मामले में यह आरोप लगे कि सरकार सोशल मीडिया (Social Media) को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है। ट्विटर ने जब कुछ घंटे के लिए रविशंकर प्रसाद का अकाउंट लॉक किया तो प्रसाद के रिएक्शन को लेकर भी सोशल मीडिया में काफी खिंचाई हुई।

क्या ट्विटर विवाद के कारण बाहर हुए प्रसाद
प्रधानमंत्री मोदी शुरू से ही अपने मंत्रियों और सांसदों को सोशल मीडिया के बेहतर इस्तेमाल और इसके जरिए लोगों तक पहुंच बढ़ाने के लिए कहते रहे हैं। माना जा रहा है कि प्रसाद ने ट्विटर विवाद को सही से हैंडल नहीं किया, जिसकी वजह से सरकार और पीएम पर भी सवाल उठे, जो उनकी छुट्टी की एक वजह बना। प्रसाद के पास कानून मंत्रालय भी था। पिछले महीने ही दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले में सख्त टिप्पणी की थी। पिंजरा तोड़ ग्रुप की सदस्य नताशा समेत तीन आरोपियों को जमानत देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य ने संवैधानिक रूप से मिले विरोध के अधिकार और आतंकी गतिविधियों के बीच की लाइन को धुंधला कर दिया है। कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में भी कई मामलों में कानून मंत्रालय सरकार का पक्ष मजबूती से नहीं रख पाया।

जानें जावडेकर के इस्तीफे की वजह
सूचना- प्रसारण मंत्री और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से भी इस्तीफा ले लिया गया। सरकार के प्रवक्ता होने के नाते जावड़ेकर और उनके मंत्रालय की जिम्मेदारी थी कि वह कोरोना काल में सरकार की इमेज सही करने के लिए कदम उठाएं लेकिन उनका मंत्रालय इसमें असफल रहा। देसी मीडिया के अलावा विदेशी मीडिया में भी सरकार की बहुत किरकिरी हुई और सीधे पीएम मोदी की इमेज पर असर पड़ा। जावडेकर की उम्र भी उनके हटने की एक वजह बताई जा रही है। वह 70 साल के हैं।

क्या कोविड मिसमैनेजमेंट के कारण हटे हैं हर्षवर्धन
हेल्थ मिनिस्टर डॉ हर्षवर्धन को भी मोदी मंत्रिमंडल से हटाया गया है। इसकी चर्चा काफी दिनों से चल रही थी और कोरोना की दूसरी लहर में मिसमैनेजमेंट को लेकर हेल्थ मिनिस्टर लगातार विपक्ष के निशाने पर भी थे। हॉस्पिटल बेड की कमी, ऑक्सिजन की कमी और दिक्कतों से निपटने में हेल्थ मिनिस्टर का एक्टिव ना दिखना उनके जाने की वजह बना। कोरोना की दूसरी लहर में सरकार पर भी कई सवाल उठे और हेल्थ मिनिस्ट्री हालात से निपटने के अलावा सरकार के खिलाफ लगातार नेगेटिव बन रहे परसेप्शन से डील करने में असफल रही। पिछली सरकार में भी हर्षवर्धन से हेल्थ मिनिस्ट्री वापस ली गई थी।


स्वास्थ्य कारणों से शिक्षा मंत्री के पद से हटे निशंक
एजुकेशन मिनिस्टर रमेश पोखरियाल निशंक का भी इस्तीफा लिया गया है। उनका खराब स्वास्थ्य इसकी वजह बताई जा रही है। कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें काफी दिक्कत आ गई थी। कोरोना से रिकवर होने के बाद उन्हें कई तरह की दिक्कत हुई और 15 दिन तक आईसीयू में रहना पड़ा। हालांकि उनकी क्वॉलिफिकेशन को लेकर भी बीच बीच में विपक्ष सवाल उठाता रहा है।

गंगवार को इस वजह से मंत्रिमंडल से हटाया गया

लेबर मिनिस्टर संतोष गंगवार को भी मोदी मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। कोरोनाकाल में प्रवासी मजदूरों की दिक्कतों को सही से डील न करने को लेकर लेबर मिनिस्ट्री सवालों के घेरे पर थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मसले पर मिनिस्ट्री पर सख्त टिप्पणी की थी। प्रवासी मजदूरों की खराब हालत को लेकर सरकार पर देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब सवाल उठे।

कोरोना काल में किस मंत्री का परफॉरमेंस कैसा रहा, यह उनके मंत्रिमंडल में रहने या जाने का एक बड़ा फैक्टर रहा। पिछले एक महीने से पीएम मोदी पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ मिलकर हर मंत्री की परफॉरमेंस का रिव्यू कर रहे थे और सबका रिपोर्ट कार्ड भी तैयार किया गया।
केमिकल और फर्टिलाइजर मिनिस्टर सदानंद गौड़ा को भी हटाया गया है और इसके पीछे कर्नाटक में सरकार के भीतर चल रही उथल पुथल भी एक वजह बताई जा रही है। कर्नाटक से अब चार नए लोगों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।

बाबुल सुप्रियो को मिली बंगाल में बीजेपी की हार की सजा

पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी के परफॉरमेंस की वजह से राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो और देबाश्री चौधरी की मंत्रिमंडल से छुट्टी हुई। मंत्री होने के बावजूद बाबुल सुप्रियो विधानसभा सीट भी नहीं जीत पाए। उनके कुछ बयानों ने भी पार्टी की किरकिरी की। देबाश्री चौधरी भी बंगाल चुनाव में असरदार साबित नहीं हुई।

थावरचंद गहलोत को मंत्री पद से हटाकर कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया है और इसके पीछे उनकी उम्र को वजह बताया गया। राज्यमंत्री संजय धोत्रे को स्वास्थ्य वजह से इस्तीफा देना पड़ा। इसके अलावा रतनलाल कटारिया, प्रताप सारंगी को भी मंत्रिमंडल से हटाया गया। उनके रिपोर्ट कार्ड को इसका आधार बनाया गया।

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