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भारतीय वायुसेना की माउंटेन रडार बढ़ाएंगे ताकत, चीन पर रहेगी गहरी नजर

नई दिल्ली (New Delhi) । भारतीय वायुसेना लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चीन (China) के साथ विवाद के बीच अपनी ताकत मजबूत करने में जुटी है। विवादित सीमा पर पड़ोसी क्षेत्र के अंदर तक नजर बनाए रखने के लिए माउंटेन रडार (mountain radar) जैसे कई मिलिट्री हार्डवेयर डेवलप किए जा रहे हैं। इनमें लंबी दूरी तक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, नए लड़ाकू जेट, उन्नत लड़ाकू विमानों सहित कई स्थानीय तौर पर निर्मित हथियार शामिल हैं। वायुसेना अगले 7-8 साल में ढाई-तीन लाख करोड़ रुपये के मिलिट्री प्लेटफॉर्म, इंस्ट्रूमेंट्स और हार्डवेयर शामिल करने पर विचार कर रही है। वायुसेना 60,000 करोड़ रुपये की लागत से 84 सुखोई-30 एमकेआई विमानों को उन्नत बनाने और 97 तेजस मार्क-1ए विमानों की खरीद के लिए 1.15 लाख करोड़ रुपये के सौदे को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।

फरवरी 2021 में रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना के लिए 83 तेजस एमके-1ए विमानों की खरीद के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 48,000 करोड़ रुपये का करार किया था। 97 अतिरिक्त तेजस मार्क-1A विमानों की खरीद के बाद वायुसेना के बेडे़ में इन विमानों की कुल संख्या 180 हो जाएगी। रक्षा मंत्रालय कुल 156 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) खरीदने के लिए अगले साल एचएएल के साथ करार पर हस्ताक्षर करने पर भी विचार कर रहा है, जिसमें से 66 हेलीकॉप्टर वायुसेना के लिए होंगे। वायुसेना के पास फिलहाल 10 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर हैं।


एयरफोर्स चीफ वीआर चौधरी ने 8 अक्टूबर को वायुसेना दिवस से पहले संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा, ‘हमने 83 एलसीए-मार्क 1ए के लिए करार पर हस्ताक्षर किए थे। अब हम 97 अतिरिक्त विमान खरीदने की प्रक्रिया के अंतिम चरण में हैं। इसक अनुबंध का मूल्य 1.15 लाख करोड़ रुपये से कुछ अधिक होगा।’ उन्होंने कहा कि अनिश्चित भू-राजनीतिक स्थिति मजबूत सेना की जरूरत को फिर से बता रही है। वायुसेना क्षेत्र में भारत की सैन्य ताकत दिखाने का आधार बनी रहेगी। इसे ध्यान में रखते हुए हमने अग्निपथ योजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।

सीमा पार स्थिति पर ISR तंत्र के जरिए निरंतर नजर
एयर चीफ मार्शल ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद पर कहा कि वायुसेना की योजनाएं बहुत ही मजबूत हैं। LAC पर जहां भी यह शत्रु की संख्या या शक्ति का मुकाबला नहीं कर सकती वहां बेहतर तरकीबों और ट्रेनिंग के जरिए चुनौतियों से निपेटेगी। उन्होंने कहा कि टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाए जाने तक क्षेत्र में सीमा पर वायुसेना की तैनाती बनी रहेगी। सैन्य बुनियादी ढांचे में चीन के तेजी से विस्तार करने और LAC पर हवाई साजो-सामान की तैनाती के बारे में उनसे सवाल पूछा गया। इस पर उन्होंने कहा कि वायुसेना सीमा पार स्थिति पर आईएसआर (खुफिया, निगरानी, और टोह) तंत्र के जरिए निरंतर नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा, ‘हम सीमा पर एकत्र किए गए संसाधनों और क्षमताओं का संज्ञान लेंगे। हमारी अभियानगत योजनाएं बहुत मजबूत हैं और स्थिति के आधार पर बदलती रहती हैं।’

‘टकराव वाली कुछ जगहों से सैनिकों को पीछे हटाया गया मगर…’
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि वायुसेना का LAC पर महत्वपूर्ण क्षेत्रों में साजो-सामान की तैनाती को लेकर कोई तय सोच नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हमारा जोर हर वक्त बदलाव करने पर बना रहेगा और खास इलाकों में साजो-सामान की तैनाती के संदर्भ में तय सोच नहीं होगी। लेकिन हम बहुत ही लचीली और मजबूत युद्ध नीति रखेंगे, जिसकी हर वक्त समीक्षा की जाती रहेगी। यह हमें प्राप्त खुफिया सूचनाओं पर आधारित होगी।’ उन्होंने कहा, ‘स्थिति वही बनी रहेगी जो पिछले एक साल में थी। टकराव वाले कुछ स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाया गया है। लेकिन उन्हें अब तक पूरी तरह नहीं हटाया गया है। सैनिकों को पूरी तरह से हटाए जाने तक हम तैनात रहेंगे।’

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