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मप्र सस्ती बिजली का हब बनेगा: मोदी

  • एशिया का सबसे बड़े सोलर प्लांट का पीएम ने किया लोकार्पण

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रीवा जिले में स्थापित एशिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा प्लांट का लोकार्पण दिल्ली में बटन दबाकर किया। मप्र सस्ती बिजली का हब बनेगा। मध्यप्रदेश जल्द ही सस्ती बिजली दे सकेगा। इसका सबसे अधिक लाभ मध्यप्रदेश के गरीब, मध्यप्रदेश के परिवारों, किसानों को, आसपास के भाइयो, बहनों को मिलेगा। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस मौके पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल स्थित मंत्रालय में मौजूद थे। वहीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल लखनऊ में मौजूद रहीं।

रीवा ने रच दिया इतिहास
रीवा ने आज इतिहास रच दिया। रीवा की पहचान मां नर्मदा के नाम से है। इसमें एशिया के सबसे सोलर प्लांट तैयार है। रीवा का यह सोलर प्लांट इस पूरे क्षेत्र इस दशक में ऊर्जा का बहुत बड़ा केंद्र बना है। इस सोलर प्लांट से मध्यप्रदेश के लोगों को, उद्योगों को तो बिजली मिलेगी, दिल्ली मेट्रो रेल तक को बिजली मिलेगी। मोदी ने कहा कि यह सौर परियोजना 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता को गति प्रदान करती है।

सौर ऊर्जा सबसे प्योर है सिक्योर है
मोदी ने कहा कि हर घर में बिजली पहुंचे, पर्याप्त बिजली पहुंचे, हमारा हवा-पानी भी शुद्ध बना रहे। यही सोचकर हम निरंतर काम कर रहे हैं। यही सोच सौर ऊर्जा को लेकर हमारी नीति और रणनीति में स्पष्ट झलकती है। साल 2014 में सौलर पावर की कीमत 7-8 प्रति यूनिट होती है। अब सवा दो से ढाई हो गई है। इसका बड़ा लाभ लोगों को मिल रहा है। रोजगार निर्माण में मिल रहा है। पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है कि भारत में सौलर पॉवर इतनी सस्ती कैसे। देशभर में 36 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए। वहीं एक करोड़ एलईडी बल्ब देशभर में स्ट्रीट लाइटों में लगाए गए। इसका बडा़ असर भी हुआ। बिजली का बल्ब कम हुआ है। इससे कार्बाइन डाय आक्साइड भी पर्यावरण में कम जा रही है। मोदी ने कहा कि यह ऊर्जा श्योर है, प्योर है सिक्योर है।
शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जो संकल्प और लक्ष्य दिया है आत्मनिर्भर भारत बनाने का, तो हम उनके आदेशों कापालन करते हुए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाएंगे। साथ ही गरीब कल्याण की योजना का भी प्रारूप तैयार कर प्रधानमंत्रीजी को सौंपा जाएगा।
गौरतलब है कि रीवा जिले की परियोजना में 250-250 मेगावाट की तीन सौर उत्पादन इकाइयां शामिल हैं। इस परियोजना से लगभग 15 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर कार्बन उत्सर्जन की संभावना है।

प्रोजेक्ट पर एक नजर

  • रीवा जिले के बदवार पहाड़ पर स्थापित रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर प्लांट की कुल क्षमता 750 मेगावाट है। इसमें पूरी क्षमता से बिजली का उत्पादन शुरू हो चुका है।
  • गुढ़़ तहसील में 1270.13 हेक्टेयर शासकीय राजस्व भूमि एवं 335.7 हेक्टेयर निजी भूमि अधिग्रहित कर प्रोजेक्ट लगाया गया है।
  • इस परियोजना का क्रियान्वयन मध्यप्रदेश शासन के ऊर्जा विकास निगम तथा भारत सरकार की संस्था सोल एनर्जी कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया की संयुक्त वेंचर कंपनी रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर(रम्स) लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।
  • इस पॉवर प्लांट में तीन इकाइयां हैं, सभी की क्षमता 250 मेगावाट की है। दावा है कि यह पर्यावरण के अनुकूल प्रोजेक्ट है, इससे प्रतिवर्ष 15.7 लाख टन कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन को रोका जा रहा है। यह लगभग 2.60 लाख पौधे लगाने के बराबर है।
  • रीवा के अल्ट्रामेगा सोलर पॉवर प्लांट को भारत सरकार ने मॉडल प्रोजेक्ट के रूप में पेश किया है। गत वर्ष इंटरनेशनल सोलर समिट में 121 देशों के प्रतिनिधियों के सामने इस प्लांट की विशेषताएं बताई गईं।
  • यह ऐसी भूमि पर स्थापित किया गया है, जिसका दूसरा कोई उपयोग नहीं था। साथ ही एक ही परिसर में इतना बड़ा प्रोजेक्ट लगाया गया है, इससे पर्यावरण भी संतुलित रहेगा। सरकार के इस प्रजेंटेशन के बाद 13 देशों का प्रतिनिधि मंडल यहां पर भ्रमण करने आया था। कई देशों के प्रतिनिधियों ने कहा है कि वह भी अपने देश में जाकर ऐसे स्थान पर सोलर पॉवर प्लांट लगाने की पेशकश करेंगे जहां पर कृषि या अन्य उपयोग नहीं किया जा सकता।
  • सोलर एनर्जी के अब तक जितने भी प्लांट लगाए जाते रहे हैं, वहां पर बिजली उत्पादन अधिक महंगा रहा है। रीवा के इस प्रोजेक्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुली आनलाइन निविदा आमंत्रित की गई, जिसमें दूसरे देशों की 20 बड़ी कंपनियों ने हिस्सेदारी की थी। कम रुपए में बिजली बनाकर देने की होड़ में आखिरी बोली 2.97 रुपए प्रति यूनिट तक गई। इसी के तहत तीनों यूनिटों में कंपनियों से अनुबंध हुआ है।
  • जिले के बदवार पहाड़ में स्थापित 750 मेगॉवाट क्षमता के प्लांट से उत्पादित बिजली का 24 प्रतिशत हिस्सा दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन को दिया जाएगा। इसकी शुरुआत भी हो गई है। डीएमआरएसी ने कहा है फिलहाल उसे 100 मेगॉवाट तक ही बिजली की आवश्यकता है, बाद में पूरी 180 मेगावॉट बिजली लेगा। कुल बिजली का 76 प्रतिशत हिस्सा एमपी पॉवर मैनेजमेंट कंपनी अपने हिसाब से प्रदेश में उपयोग करेगी।
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