भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

बारिश की आड़ में मप्र में बढ़ा नक्सली खतरा

  • कान्हा से अमरकंटक तक कॉरिडोर बनाया नक्सलियों ने

भोपाल। मध्य प्रदेश में नक्सली फिर सिर उठा रहे है। इस बार इंटेलिजेंस इनपुट ये है कि उन्होंने प्रदेश के छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा से लगे इलाकों के सेफ जोन में डेरा डाल लिया है। वो किसी बड़ी साजिश की फिराक में हैं। इस इनपुट के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर आ गई हैं और नक्सल विरोधी अभियान को तेज कर दिया गया है। बारिश के सीजन के बीच अब कान्हा नेशनल पार्क नक्सलियों के लिए सेफ जोन बनता जा रहा है। पहले दक्षिण बैहर और लांजी का घना जंगल इन लोगों के छुपने का अड्डा रहता था लेकिन अब नक्सलियों ने कान्हा नेशनल पार्क तक अपने पैर पसार लिए हैं। नक्सलियों ने मंडला, बालाघाट, डिंडौरी और अमरकंटक तक सुरक्षित कॉरिडोर बना लिया है। इसके बीच कई नदियां भी हैं जो इन्हें छुपने में मददगार बन जाती हैं। बारिश शुरू होते ही नक्सली इन जंगलों में डेरा डाल लेते हैं और बरसात के दिनों में यहीं पर रहते हैं। बारिश के दिनों में नक्सली गतिविधियां होती रहती हैं, लेकिन उनका मूवमेंट कम होता है।

बारिश की आड़ में साजिश
पुलिस मुख्यालय में आईजी नक्सल अभियान साजिद फरीद शापू ने जानकारी दी कि बालाघाट और मंडला में बारिश के मौसम में जंगल घने हो जाते हैं। बारिश की वजह से फोर्स का अभियान रुकता नहीं है। नक्सलियों का डेली का मूवमेंट कम हो जाता है। हाल ही में जो मुठभेड़ हुई थी उसमें भी ताजा इनपुट मिले हैं हम कार्रवाई भी कर रहे हैं। मुठभेड़ में कई नक्सली घायल भी हुए थे। बारिश के दौरान नक्सली एक जगह पर 2 से 3 दिन तक पानी से बचते हुए त्रिपाल डालकर रुकते हैं। इसके बाद दूसरी जगह मूवमेंट करते हैं। फॉरेस्ट की चौकी नक्सलियों के निशाने पर रहती हैं।


पहले गांववालों में घुसपैठ फिर
पुलिस सूत्रों ने बताया कि नक्सली खुद के सोशल मूवमेंट के नाम पर पहले ग्रामीणों का विश्वास जीतते हैं फिर उनके बीच घुसपैठ कर अपनी पकड़ मजबूत करते हैं ताकि ग्रामीणों की पनाह मिल जाए और उनकी आड़ में अपने मंसूबों पर काम कर सकें। वो गांव वालों को अपने में शामिल भी करते चलते हैं। बारिश में क्योंकि जंगलों में आवाजाही आसान नहीं होती इसलिए नक्सली ये समय खुद का नेटवर्क मजबूत करने में बिताते हैं।

ये हैं वो इलाके जहां नक्सलियों की घुसपैठ
बालाघाट जिले के आदिवासी अंचल बिठली, सोनगुड्डा, डाबरी, पित्तकोना, चिलौरा, चौरिया, हर्राडीह, खमारडीह, चिलकोना, राशिमेटा, दड़कसा, कोद्दापार, कोरका, बोंदारी, अडोरी, नवी, जगला, देवरबेली सहित कान्हा नेशनल पार्क के गढ़ी क्षेत्र में नक्सलियों की सक्रियता बनी रहती है। नक्सली के अलग-अलग दलम अपने प्लान में कामयाब होने के साथ बारिश के रुकते ही बड़ी साजिश और पुलिस फोर्स को नुकसान पहुंचाने की फिराक में रहते हैं।

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