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नेपाल: संसद भंग करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज

काठमांडू। नेपाल(Nepal) का उच्चतम न्यायालय(Supreme court) राष्ट्रपति विद्या भंडारी (President Vidya Bhandari) द्वारा संसद को भंग किए जाने के खिलाफ दायर विभिन्न याचिकाओं पर सोमवार को अपना फैसला सुना सकता है। उम्मीद की जा रही है कि न्यायालय के इस फैसले से देश में महीनों से चल रहा राजनीतिक गतिरोध समाप्त हो जाएगा।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (Prime Minister KP Sharma Oli) की सिफारिश पर राष्ट्रपति विद्या भंडारी (President Vidya Bhandari) ने पांच महीने में दूसरी बार 22 मई को संसद के निचले सदन को भंग (dissolution of the lower house of parliament)कर दिया था और 12 नवंबर तथा 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी। उनके इस कदम के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में 30 याचिकाएं दायर की गई हैं। 275 सदस्यीय सदन में विश्वास मत हारने के बाद प्रधानमंत्री ओली अभी अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।



विपक्षी दलों के गठबंधन की ओर से भी एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें संसद के निचले सदन की बहाली और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का अनुरोध किया गया है। इस याचिका पर 146 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने पांच जुलाई को विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली थी। इस संबंध में चार सदस्यीय न्याय मित्र ने भी अपनी राय दी है।
याचिकाकर्ताओं में से एक वरिष्ठ वकील दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि न्यायालय सोमवार को फैसला सुना सकता है। त्रिपाठी ने कहा कि न्यायालय अपना फैसला देते समय संविधान के प्रावधानों और अतीत के उदाहरणों को ध्यान में रखेगा और यह एतिहासिक फैसला होगा। चुनाव आयोग ने पिछले हफ्ते आगामी मध्यावधि चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा की थी, जिसके तहत चुनाव प्रक्रिया 15 जुलाई से शुरू हो रही है।

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