इन्दौर। नगर निगम ने कचरे से कमाई के साथ-साथ अब कई नए प्रयोग किए हैं, जिससे लाखों की नई गाडिय़ां नहीं खरीदना पड़ रही हैं। पिछले आठ माह के दौरान निगम ने कबाड़ में पड़ी गाडिय़ों और सामग्री से 30 नई चमचाती गाडिय़ां बना दीं। इनमें कई शव वाहन, मृत पशु उठाने वाले वाहन से लेकर जीपें और एक पोकलेन भी तैयार की है। दस कुशल कारीगरों की टीमें वर्कशाप विभाग में इस काम को अंजाम देती हैं। अगर निगम यही 30 नई गाडिय़ां खरीदता तो उसे लाखों रुपए खर्च करना पड़ते।
नगर निगम ने शुरुआती दौर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए बड़े पैमाने पर हल्ला गाडिय़ां खरीदी थीं। करोड़ों के वाहन अलग-अलग प्रोजेक्ट के तहत खरीदे गए थे। इसके बाद इन सभी वाहनों के व्यवस्थित मेंटेनेंस के लिए निगम ने पूरी प्लानिंग कर जिंसी क्षेत्र में नया वर्कशॉप बनाया था। यहां तमाम सुविधाओं के साथ-साथ कुशल कारीगरों की टीम रखी गई थी, ताकि वाहनों का बेहतर रखरखाव हो सके। एटूझेड ने अधिकांश निगम वाहन खटारा कर दिए थे और यह ट्रेंचिंग ग्राउंड में कहीं मलबे में दबे पड़े थे तो कहीं कचरे के ढेर के बीच। इनमें से कई वाहनों की दशा ऐसी हो गई थी, जिन्हें सुधारना संभव नहीं था। उनके जरूरी पाट्र्स निकालकर रख लिए गए थे।
शव वाहनों की कमी पड़ी तो खुद ने बना डाले वाहन
अप्रैल माह में कोरोना से अत्यधिक मौतें हुई थीं और उस दौरान कई जगह शव वाहनों की भी कमी हो गई थी। ऐसे में निगम ने शव वाहनों के लिए भोपाल की एक फर्म से शव वाहन किराए पर लेने के लिए मशक्कत की थी, लेकिन वाहन नहीं मिले थे। इसके चलते वर्कशाप विभाग ने ही अपने स्तर पर शव वाहन बनाने का काम शुरू कर दिया। कई पुरानी जीपों और बड़े वाहनों को तोडक़र उनकी नई बॉडी तैयार की गई और ऐसे में दस से ज्यादा शव वाहन तैयार किए गए। इन वाहनों को बनने के दूसरे दिन ही कार्यों के लिए मैदान में भेज दिया गया है।
हाइड्रोलिक सिस्टम लगाकर मृत पशु उठाने वाला वाहन
वर्कशाप विभाग में गाडिय़ां तैयार करने के दौरान कई नए-नए प्रयोग किए जाते हैं। पूर्व में नगर निगम के पास कचरा समेटने वाली एक बड़ी गाड़ी थी, जिसमें हाइड्रोलिक सिस्टम लगा हुआ था। यह गाड़ी खराब हुई तो निगम ने वर्कशाप विभाग में भेज दी और विभाग ने उस वाहन को मृत पशु उठाने वाला वाहन बना दिया। अधिकारियों के मुताबिक यह वाहन इस प्रकार है कि मृत पशु को जमीन से हाइड्रोलिक सिस्टम के समान उठाकर वाहन में रख दिया जाता है। इसके अलावा पुरानी खटारा जीपों से भी कुछ नए वाहन बनाए गए हैं।
खटारा से बने चमचमाते वाहन
वर्कशाप विभाग के प्रभारी मनीष पांडे के मुताबिक आठ माह के अंतराल में नगर निगम वर्कशाप विभाग में खटारा वाहनों से चमचमाते वाहनों का प्रयोग शुरू किया गया और दस कारीगरों की टीम ने इस काम को अंजाम दिया। यह सिलसिला जारी है। जिन झोनलों पर खटारा वाहन पड़े मिलते हैं, वहां से वाहनों को वर्कशॉप बुलवाया जाता है, फिर अफसरों की टीम यह पता करती है कि किन वाहनों को फिर से बनाया जाए या फिर इनके कलपुर्जों का उपयोग अन्य वाहनों में किया जाए।