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न PMO की तमन्ना, न शाह से झगड़ा, फिर किस बात पर PM मोदी को छोड़कर चले गए थे प्रशांत किशोर

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से साल 2014 में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की राहें एक खास वजह से अलग हो गई थीं. उन्होंने इसका खुलासा करते हुए बताया है कि तब चुनाव और शासन को लेकर प्रस्तावित खास प्रोफेश्नल सेटअप्स या मॉडल्स को लेकर दोनों पक्षों में बात नहीं बन पाई थी. नरेंद्र मोदी इलेक्शन से पहले जिस बात पर राजी हुए थे, वह उसे पीएम बनने के बाद पूरा नहीं कर पाए. यही वजह रही कि पीके ने रास्ता अलग कर लिया था. बिहार के आरा से ताल्लुक रखने वाले प्रशांत किशोर ने ये बातें हाल ही में हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया टीवी’ को दिए इंटरव्यू में बताईं. उन्होंने इस दौरान यह भी साफ किया कि नरेंद्र मोदी के चुनाव जीतकर पीएम बनने के बाद वह (पीके) न तो प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में सीधी एंट्री चाहते थे और न ही उनका केंद्रीय मंत्री अमित शाह से कोई झगड़ा हुआ था.

नरेंद्र मोदी से राहें अलग होने के पीछे की असल वजह बताते हुए पीके ने कहा, “चुनाव से पहले तय हुआ था कि इलेक्शन की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने के लिए एक प्रोफेश्नल सेटअप बनाया जाएगा. यह एक किस्म की समानांतर व्यवस्था होगी. ठीक ऐसा एक और व्यवस्था चुनाव जीतने के बाद गवर्नेंस (शासन) के स्तर पर बनाने की बात हुई थी. दुनिया के बड़े और सफल देशों के मॉडल का अध्य्यन के बाद यह मॉडल बना था और लेट्रेल एंट्री व्यवस्था बनाने की बात हुई थी. नरेंद्र मोदी के साथ बैठकर इन दोनों चीजों पर सहमति बनी थी. उसका तब नाम भी तय हुआ था.”

वे कर रहे थे देरी, मैंने पूछा- दिक्कत क्या है?: PK
चुनावी रणनीतिकार आगे बोले, “नरेंद्र मोदी जब पीएम बने तब 2-3 महीने तक समानांतर व्यवस्था के बुनियादी तथ्यों को लेकर चर्चा हुई थी. गलती मेरी ही है, मुझे लग रहा था कि उसमें अधिक समय क्यों लग रहा है? उनका कहना था कि अभी सरकार बनी है और पहले से ढेर सारी समस्याएं हैं. मुझे उनकी इस बात पर लगा था कि उन्होंने तब इस मसले पर किसी से सलाह ली होगी. उनका कहना था कि अभी इतना बड़ा फैसला लेने पर पूरी ब्यूरोक्रेसी विरोध करने लगेगी. वह इस पर और टाइम चाहते थे, जबकि मेरा कहना था कि जब पार्टी में कैंपेन के लिए व्यवस्था बनाई जा रही थी तब भी विरोध था. फिर भी आपने उसे बनाया…ऐसे में जब आप सरकार में आ गए हैं तब उसे लाने में क्या दिक्कत है? सरकार में ऐसे तो कभी सहमति नहीं बनेगी. ऐसे में मैंने तय किया कि मैं अलग प्रयास करूंगा.”


“बाद में कबूला- लागू करना चाहते थे पर हो न पाया…”
पीके ने बताया कि नवंबर, 2014 में औपचारिक तौर पर उनकी नरेंद्र मोदी से बात हुई थी और उन्होंने तब पीएम को सूचित किया कि वह बिहार में नीतीश कुमार की मदद करना चाहते हैं. हालांकि, इस बाबत गलती से जुड़े प्रश्न पर उन्होंने कहा, “मैं जीवन में चीजों को लेकर कभी मलाल नहीं महसूस करता हूं. मेरी कुछ साल बाद उनसे (नरेंद्र मोदी) भेंट हुई और उस दौरान चर्चा हुई थी. हमने उस दौरान यह माना कि उस वक्त मैं जल्दी में था और उनकी ओर से कहा गया कि वह उस व्यवस्था को लागू करना चाहते थे पर तब उनसे हो नहीं पाया. फिर वह बात वहीं खत्म हो गई थीं. वह अपने हिसाब से चल रहे हैं और मेरी भी अपनी जिंदगी है.”

PM मोदी के साथ आगे काम का प्लान है?
यह पूछे जाने पर कि क्या पीएम मोदी के साथ उनका आगे काम करने का कोई प्लान है? इस सवाल पर पीके ने दो टूक जवाब दिया- नहीं साहब! अब क्या जरूरत है. अब तो वह पीएम हैं. उन्हें हमारे जैसे लोगों की जरूरत भी नहीं है. आगे साथ काम करने का कोई मतलब नहीं है. हमारा रास्ता अब अलग है. मैंने बिहार का रास्ता चुन लिया है और वहीं रहता हूं.

“न लीडर रहेंगे, न जनता फेस कर पाएंगे मोदी”
कांग्रेस के राहुल गांधी के मजबूत पक्ष को बताने के दौरान प्रशांक किशोर ने यह दावा भी किया कि इस बात की तुलना कर के दे सकते हैं कि अगर नरेंद्र मोदी 10 वर्षों में 90 फीसदी चुनाव हार जाएं तब वह पूरी ताकत के बाद भी न तो नेता रहेंगे और न ही जनता का सामना कर पाएंगे, जबकि केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद (राहुल) 10 साल में 90 फीसदी चुनाव हारकर भी इस बात पर यकीन करते हैं कि वह सही रास्ते पर हैं.

…तो 4 स्तंभ हैं ‘मोदी-शाह वाली BJP’ की जान!
चुनावी रणनीतिकार पीके बीजेपी को चार वजहों से बेहद खास मानते हैं. उनके मुताबिक, इन फैक्टर्स में 1- हिंदुत्व की विचारधारा, 2- नए राष्ट्रवाद की भावना (2014 के बाद), 3- डायरेक्ट लाभार्थी मॉडल (शौचालय, अनाज, जनधन बैंक खाता, किसानों को किस्त और पेयजल) और 4- संगठनात्मक और आर्थिक शक्ति शामिल है.

मोदी के CM रहते उनके आवास पर रहे थे PK
नरेंद्र मोदी के गुजरात सीएम रहने के दौरान वह उनके घर पर भी रहे. इंटरव्यू में पीके ने इस बारे में पूछे जाने पर बताया, “घर उनका था और किसी को रखना या न रखना…इस पर निर्णय भी उनका था. उन्होंने तब मुझ पर भरोसा किया था और साथ काम करने के दौरान अवसर दिया. मैं भी तब पूरी ईमानदारी से जो उनके लिए कर सकता था, वह मैंने किया.”

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