इंदौर न्यूज़ (Indore News)

प्राधिकरण में पकड़ाया NOC घोटाला, छोड़ी जमीन पर शॉपिंग मॉल

मामला 97 पार्ट-4 की 210 एकड़ जमीन की सुप्रीम कोर्ट आदेश के चलते जांच का, प्रमुख सचिव ने भी प्राधिकरण के पक्ष में जारी किया आदेश
इंदौर, राजेश ज्वेल
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के आदेश पर प्राधिकरण (authority) को जो योजना 97 (scheme 97) पार्ट-4 में लगभग 210 एकड़ जमीन हासिल हुई है उसका सर्वे करवाया जा रहा है। उसमें कई जमीनों पर एनओसी जारी होने की गड़बड़ी भी सामने आई और एक अभी बड़ा एनओसी घोटाला (noc scam) लगभग तीन एकड़ जमीन का उजागर हुआ है। डेढ़ लाख स्क्वेयर फीट से अधिक यह जमीन हुकमाखेड़ी ( hukmakhedi) में है, जिनके चार से अधिक खसरा नंबरों पर प्राधिकरण ने कूटरचित और भ्रामक एनओसी जारी कर दी, जिस पर शॉपिंग मॉल का निर्माण भी शुरू हो गया। हालांकि उसका अभिन्यास दो साल पहले नगर तथा ग्राम निवेश ने निरस्त कर दिया था, जिसके चलते काम रूका है। अग्निबाण भी इस घोटाले को 4 फरवरी 2021 को प्रकाशित कर चुका है।


अभी प्रमुख सचिव नगरीय विकास और आवास नीरज मंडलोई (neeraj mandloi) ने पिछले दिनों एक आदेश पारित किया, जिसमें प्राधिकरण द्वारा जारी की गई एनओसी का घोटाला उजागर हुआ। दरअसल प्राधिकरण द्वारा एनओसी निरस्त करने और उसके आधार पर नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा जो कार्रवाई की गई उसे प्रमुख सचिव के समक्ष चुनौती देते हुए याचिका दायर की। सुनवाई के पश्चात प्रमुख सचिव श्री मंडलोई ने अभी जो आदेश जारी किया उसमें स्पष्ट कहा कि उक्त एनओसी कूटरचित और अवैधानिक तरीके से दी गई, जिसके चलते तत्कालीन भू-अर्जन अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई भी की जाए। दरअसल उक्त एनओसी सुयश एग्जिम प्रा.लि. के नाम पर जारी की गई, जिसके कर्ताधर्ता अनिल डुंगरमल पोद्दार, कविता अनिल पोद्दार निवासी अमितेश नगर हैं। हुकमाखेड़ी के खसरा नं. 72/2, 73/1, 73/2, 74/1, 72/2/2 सहित अन्य खसरा नंबरों में लगभग 1.401 हेक्टेयर यानी लगभग डेढ़ लाख स्क्वेयर फीट जमीन शामिल है, जिस पर प्राधिकरण ने 6 फरवरी 2010, उसके बाद 22 दिसम्बर 2011 और फिर 8 नवम्बर 2013 को तीन एनओसी गोलमोल तरीके से जारी कर दी। मौके पर शॉपिंग मॉल का निर्माण चल रहा है, जिसे लाभम् ग्रुप द्वारा बनाया जा रहा है। अभी नगरीय विकास और आवास विभाग के प्रमुख सचिव ने जो 7 पेज का विस्तृत आदेश इन कूटरचित एनओसी के संदर्भ में प्रस्तुत किया उसमें स्पष्ट कहा गया कि इन भ्रामक एनओसी के कारण प्रकरण में यह स्थिति निर्मित हुई, लिहाजा तत्कालीन भू-अर्जन अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई तो की ही जाए, साथ ही भविष्य के लिए यह व्यवस्था भी की जाए कि इस तरह के भ्रामक पत्र जारी न हों। दरअसल जमीन मालिकों की ओर से नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1972 की धारा 32 के तहत यह पुनरीक्षण याचिका प्रस्तुत की गई थी, जिसमें प्रमुख सचिव ने आयुक्त उज्जैन संभाग द्वारा प्रकरण की अपील में जो आदेश 17.02.2022 को जारी किया था, उसे भी अपास्त कर दिया और संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश इंदौर के 03.02.2021 के आदेश को भी स्थिर रखा, जिस आदेश के जरिए शॉपिंग मॉल के अभिन्यास को प्रतिसंहत किया गया था। उल्लेखनीय है कि प्राधिकरण पिछले दिनों ही सुप्रीम कोर्ट से लगभग 210 एकड़ जमीनों पर दायर याचिकाओं में जीत चुका है, जिसके चलते सर्वे की प्रक्रिया की जा रही है। इस बारे में जब प्राधिकरण अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा से पूछा गया तो उनका कहना है कि सर्वे पूरा होने के बाद इस तरह की एनओसी के प्रकरण जो भी उजागर होंगे उस मामले में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी और भविष्य के लिए इस तरह के पुख्ता प्रबंध करेंगे, ताकि ऐसी गड़बडिय़ां न हो। वहीं प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार ने भी कहा कि प्रमुख सचिव द्वारा मिले आदेश के परिपालन में कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है।


पौने 5 करोड़ का जुर्माना ठोंक चुका है प्रशासन भी
प्राधिकरण की फर्जी एनओसी के आधार पर जो शॉपिंग मॉल निर्मित हो रहा है उसके खिलाफ तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने भी कार्रवाई करवाई थी और अवैध खनीज उत्खनन के मामले में पौने 5 करोड़ रुपए का जुर्माना भी आरोपित किया था। अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर ने नोटिस देकर बेसमेंट खुदाई में 31537 घन मीटर मुर्रम का अवैध उत्खनन पाया था। इतना ही नहीं, प्राधिकरण से भी कलेक्टर ने इस जमीन के संबंध में जो रिपोर्ट मांगी थी उसमें यह खुलासा हुआ कि ये जमीन योजना 97 पार्ट-4 में ही समाविष्ट है।

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