टेक्‍नोलॉजी

अब पल-पल की शुगर जांचने का यंत्र आया

कोरोना के बाद ब्लैक फंगस जैसी बीमारियों को रोकने के लिए
न उंगली छेदकर खून निकालना पड़ेगा… न एक-दो बार की जांच में बढ़ी हुई शुगर से खतरा बढ़ेगा
इंदौर।  अब तक शुगर (Sugar) की जांच के लिए शरीर से खून की बूंदें निकालना पड़ती थीं, जिसे शुगर (Sugar)  जांचने वाली मशीन की स्ट्रीप पर डालकर शुगर लेबल Sugar Label पता किया जाता था… यह काफी तकलीफदायक होने के साथ ही जांच भी सीमित ही हो पाती थी… लेकिन अब शुगर की जांच के लिए एक ऐसा यंत्र आ गया है, जिसे बांहों में लगाकर बिना किसी रक्त के पल-पल की जांच की जा सकती है…
शुगर (Sugar)  के किसी भी मरीज के लिए किसी भी परिस्थिति में खून की बूंद के जरिए की जाने वाली जांच जहां कठिन परिस्थितियों में दो-चार बार संभव है, वहीं सामान्य परिस्थितियों में सप्ताह में एक-दो बार यहां जांच की जाती है…कभी-कभी डाक्टर  (Doctor) की सलाह पर दिन में एक बार भी जांच कर ली जाती है और इन जांचों के परिणाम को स्थायी मान लिया जाता है… जबकि इस जांच के दौरान मरीज संजीदा भी रहते हैं और अपने खान-पान पर नियंत्रण भी रखते हैं… इसके बावजूद कई बार शुगर की मात्रा ज्यादा आने से मरीज सोच में पड़ जाता है कि आखिर उसकी शुगर (Sugar) इतनी कैसे बढ़ गई…लेकिन अब शुगर की जांच के लिए एक ऐसा ग्लूकोज मॉनीटरिंग सिस्टम आ गया है, जिसके सेंसर को डायबिटीक पेशेंट (Diabetes Patient) की बांहों में लगा दिया जाता है और इस सेंसर के साथ ही एक पेजर टाइप रीडर भी दिया जाता है, जिसे जैसे ही सेंसर के पास लाते हैं वैसे ही वह शुगर की रीडिंग बताने लगता है… इस सेंसर के जरिए डायबिटीक पेशेंट (Diabetes Patient)  पल-पल की अपनी शुगर की जांच कर पता लगा सकता है कि किस चीज के सेवन से आपकी कितनी शुगर बढ़ती है और वर्कआउट या एक्सरसाइज से कितनी शुगर घटती है… इसके अलावा काम के वक्त बढ़ते तनाव के बीच बढऩे वाली स्ट्रेस शुगर का भी पता इस डिवाइस से लगाया जा सकता है… अपने तनाव के वक्त सामान्य रहने के प्रयासों के साथ ही इस अनुमान के आधार पर डायबिटीक पेशेंट (Diabetes Patient)  अपनी बढ़ती शुगर (Sugar)  को आंककर न केवल अपने इंसुलिन की मात्रा तय कर सकते हैं, बल्कि अपनी दिनचर्या और भोजन की मात्रा भी तय कर सकते हैं…


अरबिंदो मेडिकल कालेज सहित मोहक एवं बीएचआरसी में सभी गंभीर मरीजों को डिवाइस लगाकर शुगर नियंत्रित करेंगे
अरबिंदो मेडिकल कालेज के संचालक डाक्टर विनोद भंडारी (Dr. Vinod Bhandari) ने बताया कि यह यंत्र ब्लैक फंगस (Black Fungus) से लडऩे का जहां बड़ा हथियार है, वहीं शुगर से होने वाले अन्य खतरे को नियंत्रित करने का भी उपाय है। उक्त यंत्र का उपयोग जहां अरबिंदो मेडिकल कालेज के गंभीर मरीजों के इलाज में किया जा सकेगा, वहीं उनके अन्य प्रतिष्ठान मेघदूत गार्डन स्थित भंडारी हास्पिटल एवं रिसर्च सेंटर व मोहक हास्पिटल में भी इस डिवाइस के जरिए डायबिटीक मरीजों की शुगर को नियंत्रित किया जाएगा… डाक्टर भंडारी ने बताया कि कोरोना के नियंत्रण के लिए कई ऐसी दवाइयां दी जाती हैं, जिसके कारण शुगर की मात्रा मरीज के शरीर में अनियंत्रित स्थिति में पहुंच जाती है…ऐसे में यदि डिवाइस के जरिए हर घंटे की शुगर का पता लगाया जाकर इंसुलिन के जरिए उसे नियंत्रित किया जाए तो ब्लैक फंगस के साथ ही अन्य साइट इफेक्ट्स को भी रोका जा सकता है…यह यंत्र खासतौर पर कोरोना से ठीक होकर लौटने वाले उन पेशेंट की भी शुगर नियंत्रण के लिए कारगर साबित होगा, जिनकी अनियंत्रित शुगर मौत का कारण बन रही है।
14 दिन तक काम करती है एक डिवाइस…. कीमत 4500 रुपए के करीब
लिब्रा कंपनी द्वारा बनाया गया ग्लूकोज मॉनीटरिंग सिस्टम नामक इस यंत्र की कीमत मात्र 10 हजार रुपए है… जिसमें रीडर करीब साढ़े 5 हजार रुपए तो सेंसर डिवाइस 4500 रुपए में उपलब्ध है… यदि इसके काम्बो ऑफर को स्वीकार किया जाए तो चार सेंसर के साथ यह यंत्र 20 हजार के लगभग उपलब्ध होगा… इस यंत्र की एक डिवाइस जहां 14 दिन तक काम करती है, वहीं रीडर दूसरी बार नहीं खरीदना पड़ता है… यदि कोई व्यक्ति सेंसर डिवाइस नहीं खरीदना चाहे तो बाद में रीडर में स्ट्रीप लगाकर भी रक्त की बूंद के जरिए सामान्य ब्लड टेस्ट शुगर मशीन की तरह शुगर की जांच कर सकता है… और जब चाहे तब सेंसर लगाकर पल-पल की शुगर जांच सकता है…
सेंसर लगा होने के बावजूद स्नान से लेकर सभी काम किए जा सकते हैं…
डायबिटीक मरीजों के लिए बने इस यंत्र का सेंसर बांहों मेें लगाने के बावजूद वह स्नान से लेकर सभी काम करने में सक्षम है… सेंसर पर न किसी पानी का असर होता है न ही वह बांहों से निकल पाता है… इस कारण मरीज स्वयं को सामान्य परिस्थितियों में रख सकता है…

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