भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

अब समय सीमा में हो सकेगा खाद्य पदार्थों की जांच

  • भोपाल में अलावा इंदौर, जबलपुर में जल्द काम करने लगेंगी प्रयोगशालाएं

भोपाल। मप्र में खाद्य पदार्थों के सेम्पल की जांच के लिए भोपाल में एक मात्र सरकारी प्रयोगशाला है। इस प्रयोगशाला में हमेशा सेम्पल की भरमार रहती है। इस कारण समय पर जांच रिपोर्ट नहीं पहुंच पाती है। लेकिन अब भोपाल की प्रयागशाला पर पडऩे वाला भार जल्द कम होने वाला है। इसकी वजह यह है कि अब इंदौर और जबलपुर में भी सरकारी प्रयोगशाला जल्द बनकर तैयार हो जाएगी और उनमें जांच होने लगेगी। इंदौर और जबलपुर की प्रयोगशाला तैयार होने के बाद खाद्य पदार्थों की जांच अब समय सीमा में हो सकेगी। रिपोर्ट के लिए न तो इंतजार करना पड़ेगा और न ही निजी लैब को लाखों रुपए का भुगतान करना होगा। दरअसल, जबलपुर और इंदौर जिले में बनाई जा रही प्रयोगशालाओं का 10 फीसदी कार्य ही बचा हुआ है। वर्तमान समय में उपकरण व फर्नीचर लगाने का कार्य किया जाना ही शेष है। इसके टेंडर हो गये हैं ओर दो माह की समय सीमा में इसे शुरू कर दिया जाएगा। हालांकि ग्वालियर में प्रयोगशाला शुरू होने में समय लग सकता है। यहां अभी 70 फीसदी ही कार्य पूरा हो सका है।

सरकार बदलते का हुआ धीमा
गौरतलब है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने शुद्ध के लिए युद्ध अभियान शुरू किया था। उस समय बड़ी संख्या में सैंपल लिये गये थे। तब प्रयोगशाला में जांच करना मुश्किल हो गया था। तब तीन जिलों ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर में प्रयोगशाला निर्माण के लिए जमीनों का आरक्षण किया था। साथ ही दावा किया था कि एक साल में प्रयोगशाला का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। जिससे मिलावट की जांच के लिए लंबा इंतजार न करना पड़े। हालांकि सरकार बदलते ही निर्माण कार्य धीमा पड़ । यही कारण है कि अभी तीन में एक भी जिले की लैब शुरू नहीं हो सकी है।


सरकारी पैसे की होगी बचत
प्रदेश सरकार के द्वारा मिलावट से मुक्ति अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के तहत लगातार नमूने लिये जा रहे हैं। इससे प्रयोगशाला में सैंपलों की संख्या भी चार गुना तक बढ़ गई है। प्रयोगशाला में बढ़ते नमूनों को देखते हुए इंदौर की एक निजी लैब को टेंडर दिया गया था। निजी प्रयोगशाला में एक नमूने की जांच के एवज की जांच के एवज में 38 सौ रुपए से अधिक राशि खर्च की जा रही है। जबकि सरकारी प्रयोगशाला में नमूने की जांच में 100 से डेढ़ सौ रुपए से भी कम खर्च आता है। प्रदेश में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच अभी सिर्फ भोपाल में सरकारी प्रयोगशाला है। शहर में जांच के दौरान एकत्रित किए जाने वाले संदिग्ध खाद्य पदार्थों के नमूने जांच के लिए यही भेजे जाते हैं। नमूने लेकर जाने से लेकर रिपोर्ट आने की प्रक्रिया में काफी समय खराब होता है। जांच रिपोर्ट देर से मिलने के कारण आगे की कार्रवाई में भी विलंब होता है। इसमें कई बार व्यापारियों को लाभ मिल जाता है। प्रयोगशालाओं के बनने से खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा लिये जाने वाले खाद्य पदार्थों के संदिग्ध नमूनों की जांच समय पर हो सकेगी। स्थानीय स्तर पर ही जांच की सुविधा होने से मिलावटखोरों को नोटिस सहित आगे की कार्रवाई की प्रक्रिया तेजी से निपट सकेगी। वर्तमान समय में एक से दो माह का समय जांच में लग जाता है। वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी डीके वर्मा का कहना है कि तीन जिलों में प्रयोगशाला का कार्य किया जा रहा है। जबलपुर में और इंदौर में लगभग कार्य पूरा होने वाला है। ग्वालियर में भी तेज गति से कार्य चल रहा है।

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