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अब इंसानों में ट्रांसप्लांट किए जा सकेंगे सुअर के अंग, सूअर पालने की योजना, विरोध भी शुरू

नई दिल्ली। अंग प्रत्यारोपण (organ transplant) के क्षेत्र में वैज्ञानिकों के हाथ एक नई सफलता (A new breakthrough in the hands of scientists) हाथ लगी है। अमेरिकी चिकित्सा विज्ञानियों (American medical scientists) को दावा है कि अब से इंसानों में सुअर के अंग आसानी से ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने सबसे पहले 25 सूअर में पर्व्स की मैपिंग की. फिर सूअर की उन सेल्स को टेस्ट किया जो ह्यूमन सेल्स को संक्रमित करती हैं. इसके बाद वैज्ञानिकों ने इन पर्व्स को 100% तक हटाने में कामयाबी हासिल की है. इससे सूअर के किडनी, हॉर्ट और अन्य ऑर्गन को इंसान में ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा।

अब इसी तरह म्यूनिख (Munich) में लुडविग-मैक्सिमिलियंस यूनिवर्सिटी (Ludwig-Maximilians University LMU) के एक वैज्ञानिक एकहार्ड वुल्फ (Eckhard Wolf) की एक अनोखी योजना है. वे चाहते हैं कि अमेरिका में सूअर से इंसान में पहले हार्ट ट्रांसप्लांट में पिछले महीने इस्तेमाल किए गए जेनेटिकली मॉडिफाइड (Genetically Modified) सूअरों का पालन करके उनका उपयोग इंसानों के लिए जरूरी अंग हासिल करने में किया जाए. जिसका कई पशु अधिकार एक्टिविस्ट विरोध कर रहे हैं।



जर्मन वैज्ञानिक ने इस साल आनुवंशिक रूप से संशोधित (Genetically Modified) सूअरों को मनुष्यों के लिए दिल और दूसरे अंगों के डोनर के रूप में काम करने के लिए क्लोन तैयार करने और फिर उनके प्रजनन की योजना बनाई है. ये योजना पिछले महीने दुनिया के पहले सूअर से मानव अंग प्रत्यारोपण में इस्तेमाल किए गए अमेरिका के जेनेटिकली मॉडिफाइड (Genetically Modified) सूअरों पर आधारित है। म्यूनिख में लुडविग-मैक्सिमिलियंस यूनिवर्सिटी (एलएमयू) के वैज्ञानिक एकहार्ड वुल्फ ने कहा कि उनकी टीम का लक्ष्य ऑकलैंड द्वीप नस्ल (Auckland Island breed) के सूअरों से जीन संशोधित नई प्रजातियों को 2025 तक मानव अंग प्रत्यारोपण परीक्षणों के लिए तैयार करना है।

गौरतलब है कि इस तरह की पहली सर्जरी में अमेरिका के मैरीलैंड मेडिसिन विश्वविद्यालय (University of Maryland) की एक टीम ने पिछले महीने एक सूअर के दिल को 10 संशोधनों के साथ एक गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया. उसके डॉक्टरों का कहना है कि संक्रमण, अंग अस्वीकृति (organ rejection) या हाई ब्लड प्रेशर के जोखिमों के बने होने के बावजूद उसकी सेहत बेहतर है। दूसरी ओर वुल्फ की योजना केवल जीन संशोधनों के एक सरल मॉडल के साथ आगे बढ़ने की है।
बहरहाल उनके काम ने यूरोप के सबसे कम अंग दान दरों और एक मजबूत पशु अधिकार आंदोलन वाले देश में एक गर्म बहस शुरू कर दी है। वुल्फ 20 वर्षों से पशु से मानव प्रत्यारोपण यानी जेनोट्रांसप्लांट्स (xenotransplants) पर शोध कर रहे हैं. उनकी टीम क्लोनिंग तकनीक का उपयोग केवल सूअरों की ‘पहली पीढ़ी’ (founder animals) को तैयार करने के लिए करेगी, जिससे भविष्य में आनुवंशिक रूप से समान पीढ़ियों को पैदा किया जाएगा।
वुल्फ ने कहा कि इस तरह की पहली पीढ़ी इस साल पैदा हो जानी चाहिए और उनकी टीम दो या तीन साल में मानव क्लीनिकल ट्रायल (human Clinical trial) के लिए मंजूरी मांगने से पहले उनके दिलों का परीक्षण बबून (baboons) में करेगी. जर्मनी के ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन फाउंडेशन के आंकड़ों के अनुसार 2021 के अंत में जर्मनी में लगभग 8,500 लोगों को ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत थी. वुल्फ के समर्थकों का कहना है कि जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअर उस सूची को छोटा करने में मदद कर सकते हैं, जबकि विरोधियों का कहना है कि इससे सूअरों के मानव अंगों के कारखानों में बदलने का खतरा है।
विदित हो कि फरवरी 2019 में एक जर्मन दबाव समूह डॉक्टर्स अगेंस्ट एनिमल एक्सपेरिमेंट्स (Doctors Against Animal Experiments) ने एक याचिका में जेनोट्रांसप्लांटेशन रिसर्च पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी और इसके लिए 57,000 से अधिक हस्ताक्षर जुटाए थे

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