भोपाल। केंद्र में जबसे मोदी सरकार आई है तबसे देश में बेरोजगारी की दर में लगातार इजाफा हो रहा है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने अब बेरोजगारी के आंकडे देना ही बंद कर दिए, जिससे वो अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो सकें। यही हाल मध्यप्रदेश का भी है। सीएमआइई के अनुसार दिसंबर 2018 में मध्यप्रदेश की बेरोजगारी दर 7 फीसद थी, जो कमलनाथ की 15 महीनों की सरकार में 40 फीसद से घटकर 4.6 फीसद हो गयी थी, लेकिन पुन: शिवराज सरकार आते ही 11 महीनों में ही यह दर 6.2 फीसदी हो गई है। यह बात एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव और मध्यप्रदेश प्रभारी नितीश गौड़ ने रविवार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के राजीव गांधी सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए केंद्र व राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व ने नौकरी दो या डिग्री वापस लो नामक एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम को छात्रों के लिए शुरू किया है, जिसका उद्देश्य सरकार से पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलवाना है और अगर सरकार इसमें आनाकानी करती है तो हम उन छात्रों की डिग्री वापस करवाने का कार्य करेंगे, क्योंकि जब रोजगार ही नही है तो किस बात की डिग्री है। उन्होंने आगे कहा कि हमे नौकरी दो या डिग्री वापस लो कार्यक्रम को प्रत्येक जिले, ब्लॉक, नगर, ग्राम तक पहुंचाना चाहते हैं, इसीलिए हमने इसकी शुरुआत प्रदेश स्तर पर की है, आगे हमारी योजना इसको जन-जन तक पहुंचाने की है। उन्होंने कहा कि हम ऐसे पढ़े-लिखे बेरोजगारों की डिग्रीधारियों का संचय भी करेंगे, जिनको शासन की भ्रष्ट नीतियों के कारण रोजगार नही मिल पा रहा है और फिर इन सभी डिग्रियों को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भेजेंगे और उनसे रोजगार की मांग करेंगे। उन्होंने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस सरकार ने बीते तीन सालों में कई नौकरियों के विज्ञापन निकाले, छात्रों से फॉर्म भरवाए, पैसे ऐंठ लिए गए, लेकिन आजतक उनको ज्वॉइनिंग नही दी।
एमपीपीएससी एक साल पीछे चल रही है
उन्होंने कहा कि एमपीपीएससी की परीक्षा अपने निर्धारित कार्यक्रम से एक साल पीछे चल रही है जिन अभ्यर्थियों ने दो साल पहले परीक्षा दी थी और उसे पास किया था उनकी नियुक्ति भी अभी तक नहीं हुई। ऐसी सरकार से क्या उम्मीद करें। एमपीपीएससी ने असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए भर्ती परीक्षा का आयोजन किया था, लेकिन उसके सफल उम्मीदवार आज भी अपनी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। इसी प्रकार पटवारी भर्ती की परीक्षा में भी जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। यही कारण आज भी कई उम्मीदवार अपनी नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2020 में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर(सीएचओ) के 3800 पदों पर विज्ञापन निकाला गया था, जिसकी परीक्षा 6 दिसंबर को हुई थी और 25 दिसंबर को इसका रिजल्ट जारी हुआ था, लेकिन अब इसमें नया पेंच लाकर उन अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं दी जा रही है। जिनका नाम मेरिट लिस्ट में है इसी को लेकर बीते दिनों एनएसयूआई ने एनआरएचएम डायरेक्टर के कार्यालया का घेराव भी किया था, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं है। प्रदेश का युवा निराश और परेशान है। इस दौरान मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेशाध्यक्ष विवेक त्रिपाठी, जिलाध्यक्ष आशुतोष चौकसे, रवि परमार, समर्थ समाधिया, अक्षय तोमर उपस्थित रहे।