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पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के साईं बाबा पर बिगड़े बोल, गरमाई महाराष्ट्र की सियासत

छतरपुर (Chhatarpur)। बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham Peethadhishwar) के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) एक बार फिर चर्चा में हैं. वजह है उनका विवादित बयान (disputed statement)। हाल ही में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने साईं बाबा को लेकर कुछ ऐसा कह दिया जिससे न सिर्फ उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है बल्कि इस बयान से महाराष्ट्र की सियासत (Politics of Maharashtra) भी सुलग गई है।

दरअसल सोशल मीडिया पर आचार्य धीरेंद्र शास्त्री का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह कहते नजर आ रहे हैं कि साईं संत हो सकते हैं, फकीर हो सकते हैं, लेकिन भगवान नहीं हो सकते। साईं बाबा की पूजा किए जाने पर भी आचार्य कहते हैं, ‘बोलना नहीं चाहता क्योंकि विवाद खड़ा हो जाता है लेकिन बोलना भी जरूरी है कि गीदड़ की खाल पहनकर कोई शेर नहीं बन सकता है। अगर हम शंकराचार्य जैसा गेटअप कर लें तो इससे हम शंकराचार्य तो नहीं बन जायेंगे। संत संत हैं और भगवान, भगवान हैं।


साईं बाबा का महाराष्ट्र कनेक्शन, तीन प्वाइंट में समझे
1. साईं बाबा के जन्मस्थान को लेकर इतिहासकारों और विद्वानों में अलग-अलग मत हैं. कुछ विद्वानों के अनुसार उनका जन्म सन 1835 में 28 दिसंबर को महाराष्ट्र के पाथरी गांव में हुआ था. हालांकि अब तक इसको लेकर कोई ठोस प्रमाण नहीं है।

2. कहा जाता है साईं बाबा एक युवा फकीर के रूप में सबसे पहले शिरडी गए और जीवनभर वहीं रहें. महाराष्ट्र के शिरडी धाम भी है. जहां हर साल लाखों की तादात में भक्त बाबा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

3. साईं बाबा को भारत में एक महान संत के रूप में जाना जाता है. कहा जाता है कि उन्हें अद्भुत शक्तियां थी. लेकिन साईं बाबा के नाम और पहनावे के कारण विद्वानों का मानना है कि साईं बाबा फकीर थे. वहीं महाराष्ट्र में लाखों लोग साईं बाबा को ईश्वर मानते हैं. उनके सबसे ज्यादा अनुयायी भी वहीं हैं।

साईं बाबा को लेकर महाराष्ट्र में क्यों हुई सियासत गर्म
दरअसल महाराष्ट्र में लाखों लोग हैं जो साईं बाबा को न सिर्फ मानते हैं बल्कि उनकी पूजा भी करते हैं. ऐसे में आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साईं बाबा को लेकर दिए बयान पर महाराष्ट्र के औरंगाबाद से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के सांसद इम्तियाज जलील ने आचार्य पर उचित कार्रवाई करने की मांग की है।

उन्होंने शिवसेना पर निशाना साधते हुए कहा, ‘ धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर उचित कार्रवाई होनी चाहिए. हमारे देश में साईं बाबा के करोड़ों भक्त हैं. उनको लेकर किसी को भी इस तरह के शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए. आए दिन ऐसे कई बाबा हैं जो अपने आपत्तिजनक बयान को लेकर चर्चा में बने रहते है. इन बाबाओं का अंजाम होता है वह सभी को पता है।’

वहीं NCP नेता जितेंद्र आव्हाड ने भी शिंदे-फडणवीस के जवाब मांगा कि वह बागेश्वर के ऐसे बयान पर क्या कार्रवाई करेंगे. जितेंद्र आव्हाड ने शिवसेना पर निशाना साधते हुए कहा, ‘महाराष्ट्र में सभी को महापुरुषों के अपमान करने का आमंत्रण दिया जा रहा है. जिन्होंने बागेश्वर बाबा को यहां बुलाया था वह अब साईं बाबा के विषय में अपना रुख साफ करें।

शिवसेना ने क्यों साधी चुप्पी
आचार्य के इस बयान से लाखों की संख्या में लोग आहत हो गए हैं. वहीं नजदीक आ रहे चुनाव को देखते हुए वर्तमान में बीजेपी या शिवसेना इन वोटर्स को नाराज करने जोखिम नहीं उठाना चाहती है. यही कारण है कि विपक्ष के लगातार निशाने पर लेने के बाद भी इस पूरे मामले पर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और बीजेपी सरकार ने चुप्पी साधी हुई है।

पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
बता दें कि ये पहले बार नहीं है जब 26 साल के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री सुर्खियों में आए हों. इनपर इसके अलावा भक्तों के सवाल का जवाब देना, सनातन धर्म की बातें करना , केंद्रीय मंत्रियों को आशीर्वाद देना,अजीब बर्ताव और जमीन पर कब्ज़ जैसे तमाम आरोप हैं।

कौन हैं आचार्य धीरेंद्र शास्त्री
धीरेंद्र शास्त्री की वेबसाइट के अनुसार उनका बचपन गरीबी में बीता लेकिन परिवार पूजा-पाठ करने वाला था. उनका परिवार पूजा पाठ में मिले दक्षिणा से चलता था. धीरेंद्र तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं. उनकी बहन का नाम रीता गर्ग और भाई का नाम शालिग्राम गर्ग हैं।

धीरेंद्र शास्त्री की वेबसाइट के अनुसार, ”आचार्य धीरेंद्र ने अपनी पढ़ाई बचपन में छोड़ दी थी. उनकी जिंदगी अपने भाई-बहनों को पालने और उनके खर्चे उठाने में बीता. फिर एक दिन आचार्य धीरेंद्र बालाजी महाराज की सेवा में जुट गए.’

कैसे मिली सफलता
भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने का फायदा आचार्य धीरेंद्र को भी मिला है. उनके वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे जिसके कारण लोगों ने उन्हें पहचानना शुरू किया. धीरेंद्र ये विडियो यू-ट्यूब से लेकर वॉट्स ऐप और फिर संस्कार चैनल के ज़रिए बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचने लगे. आज आलम ये है कि शायद ही कोई उन्हें नहीं पहचानता होगा।

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