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संसद सुरक्षा चूक मामलाः गृह मंत्रालय ने डीजी CRPF की अगुआई में गठित की जांच कमेटी

नई दिल्ली (New Delhi)। संसद की सुरक्षा में चूक (lapse in security of parliament) के बाद एक उच्‍चस्‍तरीय जांच कमेटी के गठन (high level investigation committee) का निर्णय (Decision) लिया गया है. लोकसभा सचिवालय (Lok Sabha Secretariat) के अनुरोध पर गृह मंत्रालय संसद भवन सुरक्षा चूक मामले की जांच करेगा. गृह मंत्रालय ने इस बाबत एक उच्च स्तरीय कमेटी (high level investigation committee) का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक (DG) करेंगे।


केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के पास संसद के बाहरी लेयर की सुरक्षा का जिम्मा है. हथियारबंद सीआरपीएफ जवान संसद भवन परिसर में मौजूद रहते हैं. संसद भवन के भीतर इनकी एंट्री नहीं होती. अन्य एजेंसियों के साथ संसद की सुरक्षा से जुड़ी हर योजना बनाने में सीआरपीएफ ही लीड एजेंसी होती है. सीआरपीएफ के महानिदेशक (डीजी) अनीश दयाल हैं. उनके पास डीजी सीआरपीएफ का अतिरिक्त प्रभार है. वो भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के डीजी भी हैं. अनीश इससे पहले काफी वक्त इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) में भी बिता चुके हैं, इसलिए वह इस संवेदनशील मामले की जांच के लिए बनी उच्चस्तरीय कमेटी की अध्यक्षता कर रहे हैं।

कमेटी में कई एक्सपर्ट भी शामिल
संसद भवन सुरक्षा चूक मामले की जांच करने के लिए बनाई गई कमेटी में कई एक्सपर्ट भी शामिल हैं. यह एक्सपर्ट कमेटी सारे दृष्टिकोण से जांच करेगी कि चूक कहां-कहां हुई है. कमेटी इस बात की जांच करेगी कि आखिर संसद की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई. कहां और किस स्‍तर पर गलतियां हुई और भविष्‍य में इसे सुधारने के लिए क्‍या कदम उठाए जा सकते हैं।

विजिटर गैलरी में लगाए जाएंगे कांच के शीशे
लोकसभा सचिवालय की तरफ सुरक्षा में चूक प्रकरण के बाद एक सर्कुलर जारी किया गया है, जिसके तहत सांसदों को स्मार्ट एक्सेस कार्ड जारी करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. इसके अलावा संसद परिसर में मीडिया ब्रीफिंग का भी एक खास पॉइंट निर्धारित किया गया है. सुरक्षा निर्देश में यह भी कहा गया है कि सभी सांसद फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम की प्रक्रिया को पूरा करने के बाद संसद परिसर में दाखिल हों. लोकसभा और राज्‍यसभा की विजिटर गैलरी में कांच के शीशे लगाए जाएंगे ताकि फिर कभी कोई विजिटर पहली मंजिल से छलांग लगाकर संसद की कार्यवाही के बीच में न कूद सके।

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