उज्जैन। प्रदेश में आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश सरकार नई नीति बनाने जा रही है, इसमें कीटनाशकों की खरीदी बिक्री पर नजर रखने के साथ उपयोग में लेने से पहले इन्हें बैंकों में रखने का प्रावधान किया जाएगा। प्रदेश में जितने भी आत्महत्या लोग करते हैं उनमें से 25 प्रतिशत मामलों में कीटनाशक पीकर आत्महत्या हो रही है। इसी को देखते हुए सरकार नई नीति बना रही है जिसमें कीटनाशकों की खरीदी बिक्री से लेकर उसके उपयोग पर नजर रखी जा सके। ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में किसानों द्वारा आत्महत्या के लिए कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार कीटनाशक के लिए जो नई नीति तैयार कर रही है उसके अनुसार अब कीटनाशक उपयोग के पहले घर में नहीं बल्कि बैंकों में रखे जाएँगे, इसकी खरीदी-बिक्री से लेकर उपयोग पर भी सरकार की नजर रहेगी। आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए प्रदेश में जल्द ही कीटनाशक बैंक खोले जाएँगे। लोगों को कीटनाशक घर में रखने के बजाय इन बैंकों में जमा कराना होगा। सरकार का इस योजना से मकसद यह है कि आत्महत्या के मामले में कीटनाशकों के उपयोग को कम करना है।
मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा जहाँ आत्महत्या रोकथाम के लिए नीति के साथ कीटनाशक उपयोग के लिए भी नीति बनाई जा रही है। इस नीति में शेड्यूल एच की दवाओं की तरह ही कीटनाशक की बिक्री पर सरकारी नजर रहेगी। विक्रेता को कीटनाशक खरीददार की जानकारी रिकॉर्ड करनी होगी। विक्रेता को स्टार्ट और बिक्री का हिसाब बराबर सरकार को देना होगा। खरीददार कीटनाशक को घर में रखने के बजाय बैंक में जमा करना होगा। व्यक्ति को यह जानकारी भी देना होगी कि कीटनाशक का उपयोग वह कब और कहाँ करेगा। पिछले दिनों शोध में यह सामने आया कि कीटनाशक तक लोगों की पहुँच कम कर दी जाए तो आत्महत्या के मामलों में 15 से 20 फीसदी तक कमी लाई जा सकती है। विशेषज्ञों ने सरकार को राय दी थी कि कीटनाशक जैसे विषैले पदार्थ एवं उनकी बिक्री और उपयोग के तरीकों को लेकर एक कानून बनाने की आवश्यकता है, इस पर सरकार ने विचार किया और नई नीति बनाने का काम भी शुरू हो गया है। जल्द ही नई नीति अमल में लाई जाएगी। पिछले दिनों आत्महत्या की जो आंकड़े सामने आए उनमें 25 प्रतिशत मामलों में लोगों ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या की है। इसी प्रवृत्ति को रोकने के लिए सरकार नई नीति बनाने जा रही है। Share: