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नेपाली संसद को भंग करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं संविधान पीठ के पास

काठमांडू। नेपाल(Nepal) के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी (President Bidyadevi Bhandari) द्वारा प्रतिनिधि सभा को भंग(Dissolve the house of representatives) करने को चुनौती देने वाली सभी 19 याचिकाएं संविधान पीठ को भेज दी (All 19 petitions sent to the Constitution Bench) हैं। राष्ट्रपति (President) के शुक्रवार को सदन भंग करने और प्रधानमंत्री पद के लिए बिद्यादेवी भंडारी (Bidyadevi Bhandari) द्वारा शेरबहादुर देउबा (Sherbahadur Deuba) के दावे को खारिज करने को चुनौती देते हुए विपक्षी गठबंधन ने 30 से ज्यादा याचिकाएं सर्वोच्च अदालत में दायर की हैं।



काठमांडू पोस्ट अखबार ने अदालत के संचार अधिकारी किशोर पौडेल के हवाले से बताया कि 19 याचिकाओं पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा ने उस सभी को सांविधानिक पीठ को भेजने का फैसला किया। प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ द्वारा रिट याचिकाओं पर सुनवाई शुक्रवार को की जाएगी।
इनके साथ ही 11 अन्य मामलों पर भी सुनवाई होगी जिसमें 146 सांसदों द्वारा नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए दायर याचिका भी शामिल है।
बता दें कि राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी ने अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे पीएम केपी शर्मा ओली की सलाह पर पांच माह में दूसरी बार 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को भंग करते हुए 12 व 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की थी।
नेपाल में पांच सदस्यीय संविधान पीठ की अगुवाई मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा कर रहे हैं। पीठ के सदस्यों का चयन भी राणा ने ही किया है। इससे पहले, गत 20 दिसंबर को राष्ट्रपति ने संसद भंग कर 30 अप्रैल व 10 मई को मध्यावधि चुनाव का एलान किया था लेकिन दो माह बाद न्यायमूर्ति राणा की संविधान पीठ ने 23 फरवरी को राष्ट्रपति का फैसला पलटते हुए सदन को बहाल कर दिया था।

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