नई दिल्ली: पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती को पासपोर्ट (PDP President Mehbooba Mufti- Passport) नहीं दिए जाने पर जम्मू कश्मीर में राजनीती तेज़ (Politics intensified in Jammu and Kashmir) हो गयी है. महबूबा मुफ़्ती ने श्रीनगर के पासपोर्ट ऑफिस की तरफ से पासपोर्ट नहीं दिए जाने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. वहीं पूर्व मुख्यम्नत्री रहे उम्र अब्दुल्लाह ने भी इसपर तंज़ कसा है.
महबूबा मुफ़्ती ने तीन महीने पहले श्रीनगर के पासपोर्ट ऑफिस में अपने पासपोर्ट को रिन्यूअल करवाने के लिए अर्ज़ी दी थी लेकिन उनको पासपोर्ट नहीं दिया गया. इसके बाद महबूबा मुफ़्ती ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल की और सरकार से जवाब मांगा कि आखिर उनको पासपोर्ट क्यों नहीं दिया जा रहा?
जवाब में अब पासपोर्ट ऑफिस की तरफ से कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के CID विभाग की तरफ से दी गयी रिपोर्ट को आधार बनाकर पासपोर्ट ना देने का फैसला लिया गया. CID ने अपनी रिपोर्ट में पीडीपी अध्यक्ष को ‘देश की सुरक्षा’ के लिए खतरा बताया था.
इसी के बाद महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट कर इस करवाई को कश्मीर के हालात से जोड़ा और केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने लिखा,” पासपोर्ट ऑफिस ने सीआईडी की रिपोर्ट के आधार पर यह हवाला देते हुए मेरा पासपोर्ट जारी करने से इनकार कर दिया है कि यह भारत की सुरक्षा के लिए खतरा है. अगस्त 2019 से कश्मीर में हासिल की गई सामान्य स्थिति का स्तर यही है कि पासपोर्ट धारण करने वाली एक पूर्व मुख्यमंत्री शक्तिशाली राष्ट्र की संप्रभुत्ता के लिए खतरा है.”
जम्मू-कश्मीर में भी विदेश मंत्रालय के सर्कुलर के अनुसार 30 दिनों के अंदर पासपोर्ट दिए जाने का प्रावधान लागू है लेकिन संवेदनशील हालात को देखते हुवे पासपोर्ट जारी किये जाने से पहले CID की तरफ से वेरिफिकेशन ज़रूरी कर दिया गया है. यहीं पर महबूबा मुफ्ती के लिए पेंच फंस गया .
अपनी अर्ज़ी में महबूबा मुफ्ती ने कोर्ट से कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर की विधानसभा की विधायक और 14वीं और 16वीं लोकसभा की सांसद रहने के साथ साथ जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री भी रही हैं और इसीलिए उनको पासपोर्ट दिया जाए जो संविधान की धारा -21के तहत उनका हक़ है.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट करके सरकार पर निशाना साधा और महबूबा मुफ़्ती को देश के लिए खतरा बताने पर तंज़ कसा. उन्होंने लिखा, ” यह क्या शर्म की बात है. यह कैसे हो सकता है कि महबूबा मुफ़्ती को तब राष्ट्र के लिए खतरा नहीं माना गया जब उनकी पार्टी का बीजेपी के साथ गठबंधन था? मुख्यमंत्री के रूप में वह गृह विभाग की प्रभारी थीं और एकीकृत कमान की प्रमुख थीं, अब अचानक वह खतरा हैं.’
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