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श्रीलंका संकट: राष्ट्रपति गोटबाया नहीं छोड़ेंगे पद, इसी सप्ताह नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति की घोषणा, सड़कों पर सैनिक तैनात


कोलंबो। संकट में घिरे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने पद छोड़ने से बुधवार को इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह इसी हफ्ते नए प्रधानमंत्री एवं मंत्रिमंडल की नियुक्ति करेंगे जो संवैधानिक सुधार पेश करेगा। देश में गंभीर आर्थिक संकट के चलते सरकार के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं।

आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की ‘नाकामी’ को लेकर देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन के बीच श्रीलंका की राजधानी में सुरक्षा के लिए सैनिकों और सैन्य वाहनों को सड़कों पर तैनात कर दिया गया है। प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले महिंदा राजपक्षे को त्रिंकोमाली नौसैन्य ठिकाने पर सुरक्षा घेरे में रखा गया है।

राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में गोटबाया (72) ने कहा कि नए प्रधानमंत्री एवं सरकार को नियुक्त करने के बाद संविधान में 19वें संशोधन की सामग्री तैयार करने के लिए एक संवैधानिक संशोधन पेश किया जाएगा जो संसद को और शक्तियां प्रदान करेगा।

गोटबाया ने कहा, ‘‘मैं युवा मंत्रिमंडल नियुक्त करूंगा जिसमें राजपक्षे परिवार का कोई सदस्य नहीं होगा।’’ उन्होंने देश को अराजक स्थिति में पहुंचने से रोकने के लिए राजनीतिक दलों के साथ चर्चा शुरू कर दी है। अपने संबोधन से कुछ मिनट पहले गोटबाया ने पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के साथ बातचीत की।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘नई सरकार के प्रधानमंत्री को नया कार्यक्रम पेश करने एवं देश को आगे ले जाने का मौका दिया जाएगा।’’ राष्ट्रपति के बड़े भाई और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफा देने के बाद पिछले दो दिनों से देश में कोई सरकार नहीं है। उनके इस्तीफे के बाद अंतरिम सरकार का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति को बिना मंत्रिमंडल के ही देश को चलाने के लिए अधिकार प्राप्त हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए गोटबाया ने कहा कि नौ मई को जो कुछ हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण था। उन्होंने कहा, ‘‘हत्याओं, हमले, धौंसपट्टी, संपत्ति को नष्ट करना और उसके बाद के जघन्य कृत्यों को बिल्कुल ही सही नहीं ठहराया जा सकता।’’


उन्होंने कहा कि पुलिस महानिरीक्षक को जांच करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका पुलिस एवं सैन्यबल को हिंसा फैलाने वालों के विरूद्ध कड़ाई से कानून लागू करने का आदेश दिया गया है। बता दें कि श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (SLPP) नेता महिंदा राजपक्षे 2005 से 2015 तक देश के राष्ट्रपति थे और उस दौरान उन्होंने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के खिलाफ क्रूर सैन्य अभियान चलाया था।

श्रीलंका रक्षा मंत्रालय के महासचिव कमल गुणरत्ने ने स्पष्ट किया कि महिंदा राजपक्षे ने हाल ही में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया है और वह पूर्व राष्ट्रपति भी रह चुके हैं। उन्हें देशव्यापी विरोध-प्रदर्शनों के बीच नौसेना के ठिकाने पर पूर्ण सुरक्षा दी जा रही है। उधर एक दिन पूर्व देश में किसी भी दंगाई को देखते ही गोली मारने का आदेश देने के बाद बुधवार को पूरे देश में सुरक्षा कड़ी कर दी गई।

गुणरत्ने ने प्रदर्शनकारियों से शांत रहने और हिंसा न करने का आग्रह किया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर लूटपाट और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जाता है तो रक्षा मंत्रालय इस तरह के कृत्यों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा।

भारत अपने सैनिकों को श्रीलंका नहीं भेजेगा : भारतीय मिशन
भारतीय उच्चायोग ने उन अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया जिनमें कहा जा रहा था कि भारत अपने सैनिकों को श्रीलंका भेजेगा। साथ ही उच्चायोग ने कहा कि श्रीलंका के लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक सुधार का भारत पूरी तरह से समर्थन करता है। श्रीलंका में सोशल मीडिया मंच पर वायरल खबरों में देश के भीतर भारतीय सेना भेजने की खबरें चल रही थीं। भारतीय मिशन ने ट्वीट करके इन खबरों को ‘फर्जी और गलत’ करार दिया। मिशन ने कहा, ये खबरें और इस तरह के विचार भारत सरकार के रुख से मेल नहीं खाते हैं।

सीआईडी ने पूर्व पीएम के सुरक्षा प्रमुख को किया तलब
श्रीलंकाई आपराधिक जांच विभाग (CID) ने पूर्व पीएम महिंदा राजपक्षे के मुख्य सुरक्षा अधिकारी को तलब किया और देश में सरकार विरोधी और सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों में हुई झड़पों पर बयान दर्ज किया। पुलिस मुख्यालय ने कहा कि आपराधिक जांच विभाग को घटनाओं की जांच के निर्देश दिए गए हैं। इस बीच, अटॉर्नी जनरल ने पुलिस महानिरीक्षक को घटनाओं की जांच में तेजी लाने की सलाह दी।

सियासी गतिरोध को दूर करने के लिए वार्ता जारी
श्रीलंका के पीएम महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद उपजे राजनीतिक गतिरोध को खत्म करने के लिए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे सत्तारूढ़ दल के असंतुष्ट नेताओं और मुख्य विपक्षी दल एसजेबी से वार्ता करेंगे। सत्तारूढ़ एसएलपी के वरिष्ठ नेता अनुरा यापा ने वार्ता से विवाद खत्म होने की उम्मीद जताई। उधर, राष्ट्रपति ने भी ट्वीट किया कि इस वक्त सभी श्रीलंकाई लोगों को एकजुट हो जाना चाहिए।

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