भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

राष्ट्रपति पदक से सम्मानित जेलर के बंगले पर काम कर रहे कैदी

  • जेलर के घर कोई कैदी छाछ बना रहा तो कोई धो रहा बर्तन
  • अफसर बोले- 3 दिन से छुट्टी पर हूं, मेरे नहीं रहते वीडियो बनाया गया

भोपाल। झाबुआ जिला जेल के जेलर के बंगले में कैदियों के बर्तन धोने और छाछ बनाने का वीडियो सामने आया है। यह कैदी बिना किसी गार्ड या सुरक्षा के घर में काम कर रहे हैं। एक बर्तन धो रहा है और दूसरा छाछ बना रहा है। एक कैदी बंगले से बाहर निकलते भी दिख रहा है। इस मामले में जेलर (डिप्टी सुपरिटेंडेंट) राजेश विश्वकर्मा का कहना है, ये मेरे खिलाफ साजिश है। तीन दिन से अवकाश पर हूं। परिवार के नहीं रहते वीडियो बनाया गया। इसमें जेल के लोग मिले हुए हैं। बता दें कि पिछले साल राजेश विश्वकर्मा को उत्कृष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक दिया जा चुका है।
वीडियो कितने दिन पुराना है, इसकी तस्दीक नहीं हो सकी है, लेकिन इतना साफ है कि जो लोग बंगले पर काम करते दिख रहे हैं, वो जिला जेल के कैदी ही हैं। जेल प्रशासन की लापरवाही इतनी है कि कैदियों को इस क्षेत्र में जाने दिया जाता है, जहां कोई सुरक्षा गार्ड नहीं रहता। स्टाफ जेल भवन के गेट तक तैनात होता है। इसके बाद आवासीय परिसर है। इसमें आने के लिए एक गेट है, जो खुला रहता है। इस गेट के करीब ही उप जेल अधीक्षक का बंगला है। यहीं पर आने के लिए जेल का गेट खोला जाता है, कैदी बाहर आते हैं, बंगले में जाकर काम करते हैं और काम के बाद फिर लौटकर जेल में चले जाते हैं।

पत्नी बीमार, इलाज कराने आया हूं: विश्वकर्मा
मुझे वीडियो के बारे में पता चला है। मैं तीन दिन से अवकाश पर हूं। पत्नी बीमार है, उसके इलाज के लिए इंदौर आया हूं। मेरे वहां नहीं रहते षड्यंत्र किया गया। स्वाभाविक तौर पर इसमें जेल के लोग भी शामिल हैं। वरना कैदी बाहर कैसे आ सकते हैं। दो दिन और रुकना था, लेकिन अब कल ही लौटूंगा। मैं खुद चाहता हूं कि पूरी जांच की जाए।

यह घटनाएं भी इस जेल में हुई हैं
4 अप्रैल 2001 को जेल में परिसर के अंदर कैदी के सहयोगी ने रस्सी फेंकी और उसकी मदद से एक कैदी भाग गया था। 9 जुलाई 2008 को भी सुबह पौने 9 बजे इसी तरीके से दो कैदी भाग गए थे। 26 सितंबर 2009 की शाम साढ़े पांच बजे तीन कैदी भागने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन प्रहरी की नजर पडऩे से नहीं भाग सके। सबसे बड़ी घटना 24 मार्च 2012 की सुबह मुलाकात के दौरान हुई। चार खूंखार कैदी मुख्य द्वार से भाग गए। मुलाकात के लिए आए सहयोगियों ने दरवाजे के नीचे से पिस्तौल और दूसरे हथियार दिए थे। फायर करते हुए जब भाग रहे थे, तब एक कैदी पर जेलर कूद पड़े और उसे रोक लिया। 22 सितंबर 2020 को डकैत दीपा सामने की ओर बनाई गई कोविड मरीजों की अस्थाई जेल से फरार हो गया था।

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