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रैगांव उपचुनावः 22 सभाओं के बाद भी BJP हारी, 32 साल बाद कांग्रेस ने मारी बाजी, कल्पना वर्मा 12290 मतों से जीतीं

जबलपुर। धनतेरस के मौके पर भाजपा (BJP) पर वोटों की बारिश हुई। प्रदेश में 3 विधानसभा और 1 लोकसभा सीट पर आए परिणामों ने बीजेपी को जहां गदगद किया तो वहीं कांग्रेस के लिए भी रैगांव विधानसभा उपचुनाव (Raigaon Bypolls Results) उम्मीद की किरण बनकर सामने आया. यहां कांग्रेस (Congress) की प्रत्याशी कल्पना वर्मा ने बीजेपी प्रत्याशी प्रतिमा बागरी को 12 हजार से अधिक वोटों से मात देते हुए जीत दर्ज की है. कांग्रेस 32 साल बाद यहां से जीती है।

सतना की रैगांव विधानसभा सीट पर 7 विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने यहां जीत का स्वाद चखा है. इस विधानसभा सीट में 1,43,000 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था. कहने को यह भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाने लगी थी. इस बार कांग्रेस ने यहां अपना परचम लहराया।


कांग्रेस को मिला भितरघात का फायदा
कांग्रेस की जीत के पीछे बीजेपी की अंदरूनी कलह और टिकट वितरण भी माना जा रहा है। चुनावी जानकार कांग्रेस की जीत को बीजेपी में हुई भितरघात की भी एक बड़ी वजह मान रहे हैं। ये सीट बीजेपी से विधायक रहे जुगल किशोर बागरी के कोरोना से निधन के काऱण खाली हुई थी। टिकट के लिए बगावत की शुरुआत बागरी परिवार से ही हुई। उनके दोनों बेटों में ठन गयी थी। बड़ा बेटा औऱ छोटी बहू यहां से टिकट मांग रहे थे। लेकिन टिकट मिला तीसरी ही दावेदार प्रतिमा बागरी को।

रैगांव उपचुनाव फायनल रिजल्ट
कल्पना वर्मा कांग्रेस 72989
प्रतिमा बागरी भाजपा 60699
उपेंद्र दहायत 1299
धीरेन्द्र सिंह धीरू सपा समर्थित 838
नंदकिशोर प्रजापति 312
पुष्पेंद्र बागरी 148
राजभैया कोरी 201
कल्पना वर्मा निर्दलीय 366
दद्दू प्रसाद अहिरवार 210
बच्चा सिसोदिया 247
बाल गोबिंद चौधरी 591
राजेन्द्र कुमार वर्मा 321
राजेन्द्र दोहर 883
राजेश सूर्यवंशी 429
राम गरीब चौधरी 1062
रामनरेश चौधरी 1641
नोटा 1436
बैध मत 242236
रिजेक्ट मत पत्र 47
कल्पना वर्मा 12290 मतों से विजयी

घर में थी बगावत
जुगल किशोर बागरी के परिवार से किसी को टिकट ना मिलना और उसके बाद सामने आए बागी तेवरों ने बीजेपी की चिंता पहले ही बढ़ा दी थी। इस विधानसभा सीट को कमजोर कड़ी मानते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां सबसे ज्यादा जनसभाएं कीं। इनके अलावा बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शामिल उमा भारती, नरेंद्र सिंह तोमर समेत प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा ने भी अलग-अलग कुल 22 बड़े चुनावी आयोजन किए। इसके बावजूद भाजपा यहां हार गयी। कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिर्फ 3 जनसभाएं कीं जबकि अजय सिंह राहुल ने एक नुक्कड़ सभा का आयोजन किया था।

कांग्रेस गदगद
रैगांव विधानसभा सीट पर मिली हार पर बीजेपी में आत्ममंथन का दौर जारी है। वह क्या कारण थे जो इस परंपरागत सीट पर भी भाजपा को हार का स्वाद चखना पड़ा. इस पर बीजेपी मंथन कर रही है। रैगांव विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत के बाद कांग्रेस के इस सीट पर प्रभारी रहे पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया ने बातचीत में कहा कि आम जनता ने इस हार के साथ भाजपा को आइना दिखाया है। कोरोना काल में जो जख्म आम लोगों को मिले थे सरकार ने उस पर मरहम की जगह नमक छिड़का और यही वजह रही कि जनमानस ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया है। रैगांव विधानसभा में विकास नाम की कोई चीज नहीं थी। यहां तक कि 20 साल से एक कॉलेज तक नहीं खुल सका।

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