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खुलासा : फलों के रस का इस्तेमाल करने से झूठे कोरोना पॉजिटिव हो रहे बच्चे

यूके।  स्कूल से बचने के लिए दुनियाभर के बच्चे नित नए बहाने बनाते रहे है यहां तक कि कुछ शरारती बच्‍चों (Children) ने कोरोना (Corona) की जांच (Covid-Test) को प्रभावित करने के तरीके भी खोज लिए हैं। हुल्ल विश्वविद्यालय (Hull University) के विज्ञान संचार और रसायन विज्ञान प्रोफेसर मार्क लोर्च ने बताया कि बच्‍चे कोविड-19 लेटरल फ्लो टेस्ट की रिपोर्ट को प्रभावित करने के लिए सॉफ्ट ड्रिंक और फलों के रस का सहारा ले रहे हैं। प्रोफेसर मार्क ने बताया कि उन्होंने सॉफ्ट ड्रिंक और फलों के रस की बूंदों को कोविड-19 लेटरल फ्लो टेस्ट किट पर डाला, जिससे ये पता चला की इससे परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।


फिर मार्क ने जाना कि आखिर यह कैसे हुआ। इसके लिए उन्होंने किट को खोला, तो उन्हें इसमें कागज जैसे पदार्थ नाइट्रोसैलूलोज की पट्टी और एक छोटा लाल रंग का पेड मिला। इस पेड में कोरोना वायरस को बांधने के लिए एंटीबॉडी होती हैं। ये गोल्ड नैनोपार्टिकलों से जुड़ी होती हैं। जब भी एलएफटी टेस्ट (LFT Test) किया जाता है, तो सैंपल को तरल बफर सॉल्यूशन (Buffer Solution) के साथ मिलाया जाता है। ताकि स्ट्रिप पर गिरने से पहले सैंपल के पीएच का सही स्तर (PH Level) बना रहे।
मार्क ने सोचा कि बच्चों द्वारा झूठी कोरोना रिपोर्ट के इस्तेमाल किए जा रहे फलों के रस और सॉफ्ट ड्रिंक्स (Soft Drinks) में कोई न कोई ऐसी चीज है, जो एंटीबॉडी (Anti-Body) की क्रियाविधि को प्रभावित कर रही है, जिससे वह पॉजिटिव परिमाण दिखाती है।

गौर करने पर पता लगा कि इन रसों और ड्रिंक्स में एक बात समान है कि वे बहुत खट्टे हैं। संतरे के रस में सिट्रिक एसिड, कोला में फॉस्फोरिक एसिड (Phosphoric Acid) और सेब के रस (Apple Juice) में मैलिक एसिड (Malic acid) है, जिनका पीएच 2.5 से चार के बीच रहता है। एंटीबॉडी (Anti-Body) के लिए पीएच की यह स्थिति काफी प्रतिकूल है, जिससे लेटरल फ्लो टेस्ट (Lateral-Flow Test) पर असर पड़ सकता है। ज्यादा पड़ताल करने पर पता लगा कि जांच की सही क्रियाविधि के लिए पीएच का सही स्तर बना रहना बहुत जरूरी है। इसलिए सैंपल को बफर के साथ मिलाया जाता है।

अगर कोला को बफर के साथ मिला दिया जाए तो लेटरल फ्लो टेस्ट निगेटिव ही आएगा, लेकिन बिना बफर के अम्लीय पीएच (Acidic PH) वाले फलों के रस या कोला के संपर्क में आने से एंटीबॉडी (Anti-Body) में नाटकीय परिवर्तन दिखने लगते हैं।

बता दें कि एंटीबॉडी (Anti-Body) प्रोटीन होती हैं, जिनमें एमिनो एसिड बिल्डिंग ब्लॉक (acid building block) समाहित होते हैं और ये एक रेखीय शृंखला 9linear series0 का निर्माण करते हैं। अम्लीय स्थिति में ये प्रोटीन काफी सक्रिय (चार्ज) हो जाते हैं। नतीजतन, आपस में बंधे प्रोटीन क्रियाविधि बाधित होने के कारण ठीक ढंग से काम करना बंद कर देते हैं। इस स्थिति में वायरस के प्रति एंटीबॉडी की संवेदनशीलता खो जाती है।

बच्चों की इस खुराफात को पकड़ने का तरीका भी ढूंढा है। मार्क का कहना है, अधिकांश प्रोटीनों की तरह एंटीबॉडी (Anti-Body)  अनुकूल परिस्थितियों में दोबारा अपनी क्रियाविधि शुरू कर सकती हैं। इसके लिए कोला और फलों के रस से पॉजिटिव आए टेस्ट किट को बफर सॉल्यूशन से धोया गया। सूखने के बाद देखा गया कि एंटीबॉडी अपनी पुरानी स्थिति में लौट आईं, टी-लाइन से गोल्ड कण भी निकलने लगे। इससे पता लगा कि पुराने सैंपल का रिणाम निगेटिव था।


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