धर्म-ज्‍योतिष

Shri Krishna Janmashtami 2023: श्री कृष्‍ण ने राधा से क्यों नहीं की थी शादी?, जानिए पौराणिक क‍था

मथुरा (Mathura)। हर वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार, द्वापर योग (sum) में इस तिथि को भगवान श्रीकृष्ण (lord shri krishna) का आधी रात को जन्म हुआ था। उस समय रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) था। इसलिए जन्माष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र का भी विचार किया जाता है। इस साल भी रोहिणी नक्षत्र व अष्टमी तिथि के चक्कर में जन्माष्टमी की तारीख पर कंफ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। जानें इस साल गृहस्थों के लिए जन्माष्टमी का पर्व मनाना किस दिन रहेगा शुभ-

श्रीकृष्ण का विवाह रुक्मणी
श्रीकृष्ण के प्रेम, त्याग और समर्पण के कई किस्से बचपन से सुनते आ रहे हैं. श्रीकृष्ण और राधा एक दूसरे से प्रेम करते थे, परंतु श्रीकृष्ण का विवाह रुक्मणी से हुआ था। कहते हैं राधा कृष्ण के बीच आध्यात्मिक प्रेम था, इसलिए उन्होंने विवाह नहीं किया।

हम जन्माष्टमी तो हमेशा ही मनाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश करी है कि राधा और श्री कृष्ण (Radha and Shri Krishna) का मिलन कैसे हुआ था. हम एक बात हमेशा से सुनते आ रहे हैं कि राधा श्री कृष्ण के बिना अधूरी हैं और श्री कृष्ण राधा के बिना अधूरे हैं. लेकिन क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की कि जब ये दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं तो इन्होंने शादी क्यों नहीं की. काफी लोग इस बात को जानने के लिए दिलचस्पी रखते हैं. शादी ना करने के बावजूद दोनों की पूजा हमेशा साथ होती है. दुनिया में ऐसे कई जोड़े हैं जो भगवान कृष्ण और राधा को अपनी प्रेरणा मानते हैं. आइए जानते हैं, राधा और भगवान कृष्ण की जिंदगी के कुछ अनसुने किस्से.

धरती पर जन्म लेने के बाद कैसे भगवान कृष्ण और राधा मिले थे
ऐसा माना जाता है कि जब भगवान कृष्ण चार से पांच साल के थे, तब वह अपने पिता जी के साथ गाय चराने खेतों में गए थे. अपने पिता को आश्चर्यचकित करने के लिए उन्होंने वसंत के मौसम में तूफान ला दिया और ऐसे दिखाया जैसे उन्हें कुछ पता ना हो. अचानक से तेज बारिश शुरू हो गई और कृष्ण जी ने रोना शुरू कर दिया. कृष्ण जी को रोते देख उनके पिता जी ने उन्हें कसकर गले लगा लिया. भगवान कृष्ण के पिता परेशान होने लगे कि उन्हें इस मौसम में कृष्ण की देखभाल भी करनी है और साथ साथ गायों की भी देख-रेख करनी है. कृष्ण जी के पिता को उसी समय एक सुंदर कन्या आते हुए दिखी. जिसको देखकर नंद बाबा शांत हुए और उन्होंने उस लड़की को कृष्ण की देखभाल के लिए कहा. जब लड़की ने कृष्ण की देखभाल के लिए हां बोल दिया, उसके बाद नंद जी गायों को लेकर घर चले गए.

जब भगवान कृष्ण और वह लड़की अकेली थी तो कृष्ण जी उस लड़की के सामने एक युवक के रूप में आए, जिसने नारंगी रंग के कपड़े पहने थे, उनके सिर पर मोर का पंख था, काला रंग और हाथ में बांसुरी पकड़ी हुई थी. कृष्ण जी ने उस लड़की से पूछा कि क्या उसे याद है ऐसा ही एक प्रसंग, जब वह दोनों स्वर्ग में थे. उस लड़की ने हां बोला क्योंकि वहीं भगवान कृष्ण की राधा थीं. इस तरह धरती पर जन्म लेने के बाद वह दोनों पहली बार मिले थे.



भगवान कृष्ण और राधा कहां मिला करते थे
ऐसा माना जाता है कि जब भगवान कृष्ण और राधा अक्सर वृंदावन में मिला करते थे. हर रोज भगवान कृष्ण झरने के पास बांसुरी की मधुर धुन बजाते थे और राधा जी उसी मधुर ध्वनि को सुनकर उनसे मिलने आती थीं.

भगवान कृष्ण और राधा कभी अलग नहीं हुए
मान्यताओें के अनुसार राधा कभी भी भगवान कृष्ण से अलग नहीं होती हैं. भगवान कृष्ण और राधा के बीच प्रेम का रिश्ता शारीरिक नहीं था, बल्कि ये भक्ति का एक शुद्ध रूप था. ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान कृष्ण और राधा दैविक रूप के दो अलग-अलग सिद्धांत हैं.

भगवान कृष्ण और राधा ने एक दूसरे से शादी क्यों नहीं की
भगवान कृष्ण और राधा ने एक दूसरे से शादी न करने का फैसला इसलिए किया था क्योंकि उनका ऐसा मानना था कि प्रेम और विवाह एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. यह साबित करने के लिए कि प्रेम शरीर से नहीं बल्कि भक्ति और शुद्धता के साथ होता है. दोनों ने एक-दूसरे से शादी न करके प्रेम की परम भक्ति को पूरे विश्व के सामने रखा. कुछ मान्यताओं के अनुसार, राधा खुद को कृष्ण जी के लिए सही नहीं मानती थीं क्योंकि वह एक गाय चराने वाली थीं. इसलिए, वह भगवान कृष्ण से शादी न करने के अपने फैसले पर अटल थीं. इसके अलावा, एक मान्यता और है कि भगवान कृष्ण और राधा एक दूसरे को एक ही आत्मा मानते थे, इसलिए उन्होंने बताया था कि वह अपनी ही आत्मा से कैसे शादी कर सकते हैं.

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