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सिंहस्थ 2028…रुद्रसागर में भरा पानी खाली कर दी जाएगी शंकराचार्यों को पंडालों की जगह

January 16, 2025

  • 27 मार्च से 27 मई तक उज्जैन में आयोजित होगा सिंहस्थ महापर्व
  • 9 अप्रैल से 8 मई के बीच 3 शाही स्नान और 7 पर्व स्नान प्रस्तावित

उज्जैन। आगामी वर्ष 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ महापर्व आयोजित होगा। पिछले सिंहस्थ तक रूद्रसागर के बड़े भाग में विक्रम टीले के आगे शंकराचार्यों को पंडाल की जगह दी जाती रही है। आगामी सिंहस्थ में भी उन्हें रूद्रसागर में भरा पानी खाली कर स्थान देने की योजना है। सिंहस्थ वर्ष 2028 में 27 मार्च से आरंभ होकर 27 मई तक चलेगा। इस दौरान तीन शाही स्नान और सात पर्व स्नान प्रस्तावित हैं।


उल्लेखनीय है कि महाकाल मंदिर के पीछे स्थित पौराणिक रुद्रसागर के दोनों हिस्सों को सिंहस्थ 2028 के लिए नए तरीके से विकसित किया जा रहा है। रूद्रसागर के बड़े भाग में महाकाल लोक का निर्माण किया गया है। इसके अलावा इसे नए सिरे से झील की तरह पर्यटकों को लुभाने के लिए विकसित किया गया है। अभी तक योजना यह है कि आगामी सिंहस्थ में विक्रम टीले के आगे रूद्रसागर में भरे पानी को खाली कर शंकराचार्यों को पंडाल लगाने के लिए स्थान दिया जा सकेगा। रुद्रसागर के दोनों हिस्सों का विकास स्मार्ट सिटी कंपनी कर रही है। महाकाल-रुद्रसागर विकास योजना के पहले चरण में बड़े रुद्रसागर यानी महाकाल मंदिर के पीछे वाले हिस्से का विकास लगभग हो चुका है। इसका कांसेप्ट प्लान है कि इसे सिंहस्थ और आम दिनों में उपयोग के हिसाब से दोनों तरह से विकसित किया जा रहा है। सिंहस्थ के दौरान इसमें शंकराचार्य और अन्य संस्थाओं के पंडाल लगते हैं। वे यहां से अन्य जगह पर पंडाल लगाने के लिए राजी नहीं है। ऐसी स्थिति में रुद्रसागर को दो तरह से विकसित किया जाना है। सिंहस्थ में इसका पानी खाली कर इसे साधु-संतों के डेरे के लिए दिया जा सके। अधिकारियों का कहना है कि योजनाओं को सिंहस्थ को ध्यान में रख कर ही बनाया जा रहा है ताकि इनका फायदा लंबे समय तक मिल सके। अधिकारियों के मुताबिक रुद्रसागर में साफ पानी रहे इसके लिए शिप्रा से पाइप लाइन डाल कर इसमें साफ पानी डाला जाएगा। यह पाइप लाइन दो तरफा होगी। यानी शिप्रा से इसमें पानी डालने व इसका पानी नदी में छोडऩे की व्यवस्था की जाएगी। बारिश में इसका पानी शिप्रा में चला जाएगा तथा गरमी में जब इसका पानी कम होगा तो शिप्रा से इसमें पानी डाला जाएगा। इसमें पानी साफ होता रहे, इसके लिए फिल्टर प्लांट भी लगाने की योजना है। उल्लेखनीय है कि जहां शंकराचार्यों के पंडाल लगते रहे हैं। उस बड़े रुद्रसागर का क्षेत्रफल 38 एकड़ और छोटे का 4.5 एकड़ का है।

एक नजर आगामी सिंहस्थ की तिथि और स्नानों पर
गौरतलब है कि उज्जैन में हर 12 साल पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। यहां पिछला सिंहस्थ 2016 में लगा था। वहीं, अब अगला सिंहस्थ मेला 2028 में लगेगा। साल 2028 में 27 मार्च से 27 मई तक उज्जैन में सिंहस्थ महापर्व होगा। इस दौरान 9 अप्रैल से 8 मई के दौरान 3 शाही स्नान और 7 पर्व स्नान प्रस्तावित हैं। सरकार ने अनुमान लगाया है कि इस महाकुंभ में करीब 14 करोड़ श्रृद्धालु भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन आएंगे। हिंदू ज्योतिष के मुताबिक, उज्जैन में लगने वाले कुंभ मेले को सिंहस्थ मेला भी कहा जाता है, क्योंकि इसका नाम बृहस्पति ग्रह (ब्रहस्पति) के सिंह राशि में प्रवेश करने के उत्सव के अवसर पर पड़ा है।

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