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“सोने की लंका” इस तरह हुई कंगाल, श्रीलंका के लोगों ने बताई असली वजह

कोलंबो: श्रीलंका (Sri Lanka) में कंगाली से कोहराम मचा है. अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार चाय की खेती (tea cultivation) और इसका निर्यात है. इससे श्रीलंका को हर साल भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा मिलती रही है. श्रीलंका सरकार (Sri Lanka) के एक फैसले ने चाय बागान के बिजनेस को बहुत मुश्किल के दौर में ला दिया है. दरअसल श्रीलंका ने केमिकल फर्टिलाइजर के आयात पर बैन लगाने का फैसला लिया था. इस वजह से देश में कृषि उत्पादन पर बहुत बुरा असर पड़ा और खाद की कमी से चाय का उत्पादन लगातार कम होता चला गया.

चाय बागान (Tea Plantation Industry) से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार के इस फैसले के कारण ही आज श्रीलंका में आर्थिक संकट आया है. लोगों के मुताबिक, इसी वजह से श्रीलंका के चाय बागानों में खाद की भारी कमी हो गई है. जो खाद बिक भी रही है, उसकी लागत बहुत ज्यादा हो गई है, जिससे हर कोई इसे खरीद नहीं पा रहा है. इसके चलते देश में चाय का उत्पादन लगातार कम होता जा रहा है. इन हालात में चाय बागान से जुड़े लोग अपने भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हैं.


कोलंबो से लगभग 170 किलोमीटर की दूरी पर ऊंची पहाड़ियों के बीच नुआरा एलिया नाम की जगह है. इस इलाके में चाय के बागान काफी तादाद में हैं. नुआरा एलिया में PEDRO Estate के जनरल मैनेजर दिलिम पथिराना हैं. वे बताते हैं कि रासायनिक खाद पर बैन का फैसला चाय बागानों के लिए भारी पड़ा हुआ है.

चाय उत्पादन (Tea Plantation Industry) में कमी का असर श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. जैविक खेती के चक्कर में देश के चाय उद्योग को काफी नुकसान पहुंचा है. श्रीलंका में आए इस आर्थिक संकट के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए गुरुवार को चाय बागान के मजदूरों ने हड़ताल कर सरकार से अपने इस फैसले को वापस लेने की मांग की.

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