नई दिल्ली । सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Legislative Assembly) से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 12 विधायकों (12 MLAs) का निलंबन (Suspension) रद्द कर दिया (Canceled) है। इस फैसले से महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) को झटका लगा (Got Setback) है।
अपने आदेश में सर्वोच्च अदालत ने कहा कि जिस सत्र में हंगामा हुआ, विधायकों का निलंबन सिर्फ उसी सत्र के लिए हो सकता है। गौरतलब है कि इससे पहले अदालत ने इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी की थी।सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने इसे तर्कहीन बताया था। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने कहा था कि ये फैसला लोकतंत्र के लिए खतरे के समान है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, विधायकों का एक साल का निलंबन निष्कासन से भी बदतर है। सुप्रीम कोर्ट ने माना निलंबन के दौरान विधायकों के संबंधित विधानसभा क्षेत्र का कोई प्रतिनिधित्व नहीं हो सका।अदालत ने कहा कि निष्कासन की स्थिति में उक्त रिक्ति भरने के लिए एक प्रक्रिया है। एक साल का निलंबन विधायकों के विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिए सजा समान है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना विधायकों के उनके निर्वाचन क्षेत्रों का विधानसभा में प्रतिनिधित्व नहीं हो सकता।
गौरतलब है कि विधानसभा के पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ अपमानजनक और दुर्व्यवहार करने के आरोप में पिछले साल 6 जुलाई को महाराष्ट्र विधानसभा से 12 भाजपा विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया था।इनमें आशीष शेलार, अतुल भातखलकर, नारायण कुचे, गिरिश महाजन, अभिमन्यु पवार, संजय कुटे, पराग अलवणी, राम सातपुते, योगेश सागर, कीर्ति कुमार बागडिया, हरीश पिंपले, जयकुमार रावल के नाम शामिल हैं। आरोप के मुताबिक ये विधायक ओबीसी आरक्षण को लेकर हंगामा कर रहे थे। निलंबन का प्रस्ताव संसदीय कामकाज मंत्री अनिल परभ द्वारा लाया गया था। जिसे ध्वनि मत से मंजूर किया था।
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