ब्‍लॉगर

बिना डर सरेंडर, अपराधियों का या पुलिस का

कही-अनकही
सरेंडर का शहर बना इंदौर… अपराधी आ रहे हैं… पुलिस वाले कॉलर ऊंची कर गिरफ्तारी दिखा रहे हैं… लेकिन चर्चा यह है कि पुलिसवाले खुद अपराधियों से सरेंडर करा रहे हैं… जीतू सोनी से शुरू हुई यह कवायद अरुण डागरिया तक पहुंच चुकी है…अब और जितने भी आर्थिक अपराधों के फरार अपराधी हैं उन्हें सरेंडर कराया जाएगा…नाम गिरफ्तारी का लिया जाएगा…शहर में चर्चा यह भी है कि पुलिस का एक अमला अपराधियों से बातचीत के लिए लगाया गया है, जो अपराधियों को आश्वस्त करता है कि उन्हें भरपूर सहयोग किया जाएगा… प्रकरणों में पूछताछ जल्दी से जल्दी मुकम्मल कराई जाएगी…केस डायरी भी अपराधियों के हिसाब से बनाई जाएगी…चालान जल्दी पेश किया जाएगा…जमानत में सहयोग दिया जाएगा…इतने ढेर सारे सौदों के बाद कौन भागता हुआ मुजरिम लौटकर नहीं आएगा…यही हो रहा है…सात माह बाद जीतू सोनी शहर लौट आया…बेटे ने तो पहले वीडियो बनाया…सोशल मीडिया पर चलाया…फिर खुलेआम सरेंडर किया…इस बात को लेकर पुलिस की छिछालेदारी हुई… इसलिए सरेंडर का पैटर्न बदला गया… अब सरेंडर कराते हैं तो गिरफ्तारी दिखाते हैं…ढाई साल से फरार हैप्पी धवन पुलिस की शरण में है…रितेश अजमेरा उर्फ चंपू की भी गिरफ्तारी दिखाई गई…पहले कहा गया नेपाल बॉर्डर से पकड़ा…लेकिन 10-12 घंटे पहले ही चंपू लोगों के संपर्क में था…जब यह बात पुलिस को पता चली तो बयान पलटा और उसे उज्जैन से इंदौर आते गिरफ्तार करना बताया…यहीं पुलिस की पोल खुल गई…वह गिरफ्तार नहीं कर रही है, सरेंडर करा रही है…अब अरुण डागरिया लौट आया है…आने वाले दिनों में लोगों को ठगने वाले और भी कई मुजरिम थाने से जेल और जेल से जमानत तक नियत सौदे के तहत पहुंचेंगे… फर्क सिर्फ इतना होगा कि जमानेभर को लूटने वाले लुटेरे लूट का माल लुटाएंगे और लुटे-पिटे लोग सिर पीटते रह जाएंगे…हां, एक बात और…यह तो बात हुई उन लोगों की जो फरार थे और सरेंडर कर रहे हैं और जो जेल में हैं वो भी जमानत पर छूट रहे हैं… उनमें से एक बॉबी छाबड़ा की जमानत भी चर्चा में है…
न अपील न दलील… मोहताज हुए वकील
कोरोना ने सबसे ज्यादा तबीयत वकीलों की खराब कर रखी है…अदालतों में दलीलों की खामोशी के चलते वकीलों की कमाई थम-सी गई है…जो क्लाइंट वकीलों को दिन-रात फोन लगाया करते थे अब वे वकीलों के फोन नहीं उठा रहे हैं…सबको पता है कि वकील साब बिना पैरवी के फीस की मांग करेंगे…और जो लोग पैरवी के डर से फीस लाकर चुकाते थे, दिन-रात वकीलों को मनाते थे अब अदालतों से पीछा छूटने की वजह से जहां सबसे ज्यादा आनंद में हैं, वहीं वकील रोज के खर्चों को लेकर हैरान-परेशान हैं…
लेफ्ट-राइट को रांग कहने की अकड़ दिखाओगे तो आधे से भी जाओगे…
रविवार को एक दिन के कोरोना कफ्र्यू के दौरान जब सात दिनों तक लॉकडाउन की अफवाह उड़ी तो पूरा शहर हैरान-परेशान हो गया…बड़ी मुश्किल से धंधे-कारोबार ने कुछ राह पकड़ी थी…डरे-सहमे लोग व्यापार के लिए बाहर निकले थे…और एक बार फिर शहर को लॉकडाउन किए जाने की खबरों के चलते लोगों की नींद उड़ गई थी…शाम को जब विजयवर्गीय की अपील सामने आई तो कुछ आशा की किरण दिखाई दी…प्रशासन ने भी प्लान बी पर काम करते हुए कुछ उद्दंड बाजारों पर ताले लगाने का फरमान सुनाया…तो फेल होते ऑड-ईवन के बजाय लेफ्ट-राइट का आदेश लागू किया…ऑड-ईवन के चलते शहर के पूरे बाजार खुले थे…लोग सारी एहतियात को ताक पर रखकर बचाव के नियमों का सत्यानाश करने पर तुले थे…अब जब लेफ्ट-राइट का नियम बनाया तो लोगों को लग गया कि ऑड-ईवन में की जा रही धांधली समाप्त हो जाएगी…इसलिए लेफ्ट-राइट का विरोध करना शुरू कर दिया…विरोधियों को यह नहीं पता है कि इंदौर के जिद्दी कलेक्टर यदि अपनी वाली पर आ गए तो न ऑड-ईवन रहेगा न लेफ्ट-राइट… पूरा शहर एक बार फिर सन्नाटे में डूब जाएगा… इसलिए लेफ्ट-राइट को रांग कहने की अकड़ दिखाने वाले और नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले लोग जुबान और दिमाग को काबू में लाएं… वरना जितनी दुकानें खुली हैं उतनी भी बंद हो जाएंगी….
अधर में धुरंदर
सिलावट के पाला बदलने से उनके कई साथी अब भी असमंजस में हैं कि वे कांग्रेस में रहें या भाजपा में जाएं… लेकिन मुश्किल अब यह है कि पूरी जमावट हो चुकी है और ऐसे में वे पाला भी बदलते हैं तो उनका वजूद समाप्त हो जाएगा… भाजपा में वैसे भी दलबदलू कांग्रेसियों की बखत चुनाव तक ही है, क्योंकि भाजपा में वैसे भी कई संघर्ष करने वाले अभी भी मुकाम तक नहीं पहुंचे हैं… ऐसे में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले न घर के रहेंगे न घाट के…
होने आए थे मालामाल…. बनकर रह गए हम्माल
कोरोना ने सबकी हालत मरो ना जैसी कर दी है…व्यापारी-कारोबारी से लेकर किसान-कर्मचारी तक जहां मोहताज हैं, वहीं सबसे खराब हालत प्रशासनिक अधिकारियों की बनी हुई है…इंदौर में हर अधिकारी पैसे और पॉवर के लिए आता है… लेकिन अभी हाल यह है कि सारे के सारे हम्माल बनकर व्यवस्थाओं में जुटे हुए हैं… प्रशासन के मुखिया मनीषसिंह खुद सुबह से लेकर रात तक जहां कोरोना की चुनौतियों से लडऩे में दिन-रात एक किए हुए हैं, वहीं उन्होंने एक-एक प्रशासनिक अधिकारी पर कई जिम्मेदारियों का बोझ लाद रखा है…कलेक्टर हर घंटे एक-एक अधिकारी से चर्चा कर उनसे रिपोर्ट मांगते रहते हैं…इस कारण कोई अधिकारी घर में बैठकर मक्कारी नहीं कर सकता है…यह और बात है कि कलेक्टर ने अपनी टीम में उन लोगों को ज्यादा तरजीह दे रखी है, जो परिणाम देने के काबिल हैं… हालांकि कलेक्टर ने आश्वस्त कर रखा है कि जो इस चुनौती के मुकाबले में खरा उतरेगा उसका भविष्य सुरक्षित रहेगा…

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40 दिन से एक पद पर दो अधिकारी

Sat Jul 18 , 2020
अजब गजब बिजली विभाग इंदौर। बिजली विभाग आम उपभोक्ता तो परेशान है ही विभागीय अधिकारी कर्मचारियों की रस्साकशी भी कम नहीं है। पोलोग्राउंड मुख्यालय से लेकर इंदौर जैसे महानगर के झोन स्तर पर भी आपसी रस्साकशी पुरजोर चलती है, 40 दिनों से ट्रांसफर होकर एक पद पर दो अधिकारी बैठे हैं। इससे विभागीय हलकों में […]