खरी-खरी

बुझे हुए चिरागों को जलाकर रोशनी कहां पाओगे… जो अपने है उन्हें भी झुलसाओगे…

चुनाव आते ही शुरू हो गया चुनावी पतझड़…कोई आ रहा है, कोई जा रहा है…लेकिन वही आ रहा है और वही जा रहा है, जो अपना वजूद मिटा चुका है…धूप की तपन में झुलसा चुका है… पेड़ की शाख ने जिसे ठुकरा दिया… धूल में जिसने अपने वजूद को मिटा दिया… आबोहवा जिसके साथ नहीं […]