हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है, चमन मेंदीदावर पैदा। मरहूम राजकुमार केसवानी का नाम ज़हन में आते ही उनके किरदार के भोत सारे रंग हमारे सामने आने लगते हैं। वो सिर्फ सहाफी ही नहीं बल्कि भोत उम्दा मुसन्निफ़ (लेखक) भी थे। खालिस भोपाली…गोया के पुराने शहर के इतवारे […]