अब यादे रफ़्तगां की भी हिम्मत नहिं रही यारों ने इतनी दूर बसा ली हैं बस्तियां। एक दौर था मियां जब सहाफत (पत्रकारिता) आज की तरा लाइजनिंग बेस्ड नईं थी। गोया के रिपोर्टर ददेड़म अपने काम को अंजाम देते थे। कोई पत्रकार अफसरों के सामने खबरों के लिए गेपें-गेपें नईं करता था। जांपे कोई मामला […]