आज तू है, कल कोई और होगा ये भी एक दौर है, वो भी एक दौर होगा। सहाफत (पत्रकारिता) में किस कदर का बदलाव आ चुका हेगा भाई मियां के हम जैसे ओल्ड माडिल के क़लम घिस्सु सहाफत की इस नई डिजिटल जमात के सामने तो एकदम अनपढ़ ही हैं। दरअसल ये डिजिटल या मोबाइल […]
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ये सहाफत नहीं आसां, भादो का महीना है और भीगते हुए जाना है
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था। सावन-हो या भादो जब बरसते हैं तो इंसानी दिल की कैफियत का क्या पूछिये। आप में से कई कई लोग बरसते बादलों के मज़े लेने के लिए पचमढ़ी या मांडू का रुख कर लिया करते हैं। […]
आज भी सहाफत में मसरूफ हैं 92 बरस के ठाकुर विक्रम सिंह
हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अखबार हो जाना। आइये आज आपको भोपाल के उस बुजुर्ग सहाफी (पत्रकार) से मिलवाएं जिसने आज़ादी के आठ नो बरस बाद अपनी सहाफत का सफर शुरु किया। आज भी इन्होंने अपनी सहाफत के कमिटमेंट को जारी रखा हुआ है। ये हैं […]