– गिरीश्वर मिश्र अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य की मानें तो सुख या खुशहाली के मूल में धर्म होता है। इस धर्म के मूल में अर्थ यानी विविध प्रकार के संसाधन की व्यवस्था होती है। सुनने में धर्म का मूल अर्थ में ढूढ़ना कुछ असंगत-सा लगता है पर विचार करें तो स्पष्ट हो जाता है कि धर्म […]